डायल 112 का स्टाफ बना मिसाल, प्रसूता को कांवड़ में लेकर सुरक्षित बाहर निकाला, इस तरह की गर्भवती महिला की मदद

नरेश शर्मा

26 Jul 2023 (अपडेटेड: Jul 26 2023 7:14 AM)

कहते हैं कि सिक्के के दो पहलू होते हैं. ठीक उसी तर्ज पर अपराध की जद में उलझे रहने वाली खाकी का भी एक मानवीय…

ChhattisgarhTak
follow google news

कहते हैं कि सिक्के के दो पहलू होते हैं. ठीक उसी तर्ज पर अपराध की जद में उलझे रहने वाली खाकी का भी एक मानवीय चेहरा है जो समय-समय पर निकलकर सामने आते रहता है. कापू पुलिस की एक ऐसी ही मानवीय पहल की अब पूरे रायगढ़ जिले में चर्चा हो रही है. दरअसल, डायल 112 की टीम ने सड़क विहीन गांव से एक गर्भवती महिला को पगडंडी रास्ते से सुरक्षित बाहर निकाला और मितानीन की सहायता से रास्ते में सुरक्षित प्रसव कराकर जच्चा और बच्चा दोनों को अस्पताल में भर्ती करवाया.

यह भी पढ़ें...

आदिवासी अंचल में आज भी सड़क नही होने से वहां के गरीब आदिवासी परिवार स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिये संघर्ष कर रहे हैं. स्थिति यह है कि कई इलाकों में सड़क नही होनें से आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस तक दर्द से तड़तपी गर्भवती महिलाओं तक नहीं पहुंच पाती. ऐसी स्थिति में कांवड़ से मीलो दूर चलकर एंबुलेंस तक पहुंचा जाता है, तब उनको इलाज की सुविधा मिलती है. ऐसा ही एक नजारा रायगढ़ जिले के कापू क्षेत्र में देखने को मिला जब एक गर्भवती महिला दर्द से तड़पती हुई एंबुलेंस का इंतजार कर रही थी. वहीं सड़क नही होनें से लगभग आठ किलोमीटर तक खाकी में आए ‘देवदूत’ ग्रामीणों के साथ महिला को कांवड़ में बिठाकर एंबुलेंस तक पहुंचाया. इस दौरान खेत खलिहान पार करते हुऐ नाले, पगडंडी के साथ गड्ढे पार किए. उसके बाद महिला को स्वास्थ्य लाभ मिला और तब महिला ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. अगर समय पर वहां कापू पुलिस के जवान नही पहुंचते तो दर्द से तड़पती आदिवासी महिला की जान भी जा सकती थीट

ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब खाकी में देवदूत बनकर कोई किसी की जान बचाने के लिये सामने आए. रायगढ़ जिले के कापू क्षेत्र में स्थित बिरहोर आदिवासी क्षेत्र ग्राम पारमेर में ऐसा ही दृश्य देखने को मिला जहां एक आदिवासी परिवार ने अपने घर की गर्भवती महिला के लिये 112 की मदद मांगी लेकिन दुरस्थ पहुंचविहीन इस क्षेत्र में सड़क नही होनें से 112 की टीम करीब 60 किलोमीटर दूर तक पहुंची. कापू पुलिस के जवानों ने अपनी गाड़ी से लंबा सफर तय किया और उसके बाद सड़क नही होनें से मीलो दूर पैदल चलकर गर्भवती महिला तक पहुंचे. वहां से परिवार वालों की मदद से महिला को कांवड़ के जरिए पगडंडियों से होते हुए गर्भवती महिला को अपनी गाड़ी तक पहुंचाया. उसके बाद पुलिस की गाड़ी से अस्पताल तक पहुंचाया. कुछ ही देर बाद आदिवासी महिला ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. आदिवासी अंचल में ऐसे प्रसव बहुत कम देखने को मिलता है, क्योंकि स्वास्थ्य सुविधा नही मिलने से वहां के लोग दर्द से तड़पते हुए या तो जान दे देते हैं या फिर भगवान भरोसे रहते हैं.

बिरहोर आदिवासी बहुल इलाके में नही है सुविधाएं

जिला मुख्यालय से लगभग 125 किलोमीटर दूर धरमजयगढ़ विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पारेमेल में विलुप्त हो रही आदिवासी प्रजाति बिरहोर रहते हैं और इनकी संख्या लगभग दो से तीन हजार है. ये बिरहोर आदिवासी ज्यादातर पहाड़ों के उपर अपना जीवन यापन करते हैं. शासन स्तर पर यहां बिजली, पानी की समस्या केवल कागजों में दी गई है और सड़क तो यहां आधे रास्ते से गायब हो जाती है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये तड़पते इस गांव के लोग हर बार कभी कांवड़ से तो कभी खाट पर मरीजों को पैदल लेकर अस्पताल तक पहुंचते हैं. कई बार तो स्थिति यह रहती है कि मरीज स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में रास्ते में दम तोड देते हैं. ऐसे में ग्राम पारेमेर की 23 वर्षीय महिला रतियानों को सही समय पर कापू पुलिस के जवानों की मदद नही मिलती तो इस गर्भवती महिला की असमय मौत हो सकती थी.

जमकर हो रही तारीफ

कापू पुलिस के जवान अभय मिंज आर ईआरव्ही वाहन चालक छोटू दास ने जानकारी मिलते ही अपने 112 वाहन से इस क्षेत्र के लिये रवाना हुए. उन्होंने जब देखा कि वहां सड़क नही है तो रास्ते में अपने वाहन को छोड़कर पैदल चलते हुए भरी बरसात में नाले और पगडंडियों को पार करते हुए गभवर्ती महिला रतियानों के घर पहुंचे. महिला को कांवड़ में बिठाकर अपने वाहन तक पहुंचाने के बाद सीधे पास के मितानिन से मिलकर अस्पताल तक पहुंचाया. तब जाकर प्रसूता को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलीं. दोनों जवानों की इस सहायता को लेकर बिरहोर आदिवासियों ने दुआओं की झड़ी लगा दी है.

    follow google newsfollow whatsapp