Chhattisgarh Road Politics- छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की बदहाल सड़कें अब 84 करोड़ रूपए से संवर जाएंगी. दरअसल, चुनाव बहिष्कार की धमकी के बाद कोलियारी से लेकर जोरातराई गांव तक 33 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए लोक निर्माण विभाग ने 84 करोड़ के रकम की स्वीकृति दे दी है. लेकिन अब इस पर भाजपा और कांग्रेस के बीच श्रेय लेने की होड़ मचती दिखाई दे रही है.
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सड़क के लिए फंड स्वीकृति के बाद यह तय हो गया है कि अब आने वाले समय में इस सड़क से जुड़ने वाले 24 गांव के लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है. इन 24 गांव के लोगों ने बीते 15 साल में बदहाल सड़कों को झेला है. हादसों में अपनों की जान गंवाई है और लगातार सड़क के लिए आंदोलन किया है. लगभग 24 गांव के लोगों ने सड़क के लिए मोर्चा खोसला था और आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी भी दी थी. लिहाजा उनके चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद सरकार पर और जिला प्रशासन पर दबाव बना हुआ था. वहीं विपक्षी भाजपा नेता लगातार इस सड़क के मुद्दे पर सत्ता पक्ष पर हमलावर बने हुए थे. फिलहाल सरकार की इस घोषणा के बाद सड़क निर्माण संघर्ष समिति और इन 24 गांव के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है. और इसके लिए सरकार, विधायक सहित सभी लोगों का आभार जताया है.
क्यों हो रही है राजनीति?
सामने चुनाव है और अगर किसी बड़े मुद्दे पर कोई बेहतर ऐलान है तो उसके लिए श्रेय लेने की होड़ मचना भी लाजमी है. प्रशासन के 84 करोड़ की स्वीकृति के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल भूमि पूजन किया. धमतरी कलेक्टर परिसर में कांग्रेस नेता और जिला पंचायत उपाध्यक्ष निशु चंद्राकर,धमतरी भाजपा विधायक रंजना साहू और धमतरी महापौर और कांग्रेस नेता विजय देवांगन ने एक साथ पूजा पाठ के साथ भूमि पूजन की औपचारिकता पूरी की. इसके ठीक बाद सभी नेताओं के समर्थकों ने अलग-अलग स्वागत किया आतिशबाजी की और जमकर नारे लगाए.
कांग्रेस और भाजपा में ठनी
कांग्रेस पार्टी खुलकर कह रही है कि मुख्यमंत्री की ओर से इस सड़क की घोषणा दो माह पहले ही कर दी गई थी. आज सिर्फ उसकी प्रशासकीय स्वीकृति मिली है. इसलिए इस विकास कार्य का पूरा का पूरा श्रेय छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जाता है. दूसरी तरफ भाजपा भी इस सड़क के मिलने का कारण क्षेत्रवासियों के आंदोलन और भाजपा नेताओं के विधानसभा में इस मुद्दे को उठाए जाने को बता रहे हैं. धमतरी में भाजपा की रंजना साहू विधायक हैं. सड़क के लिए पदयात्रा भी उन्होंने किया था और विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया था. इसलिए विधायक रंजना साहू का दावा है कि सरकार ने दबाव में आने के बाद लोगों के इस हक को सरकार को देना पड़ा है.
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