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लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़े सवाल जवाब
लोकसभा चुनाव 2024 देशभर में कुल 7 चरणों में कराए जा रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में यह आम चुनाव संपंन्न होंगे. तीनों फेज की वोटिंग क्रमशः 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई को है. वोटों की गिनती के बाद 4 जून को ही नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी. चुनाव के दौरान लोग कई प्रकार के सवालों के जवाब (Lok Sabha Election 2024 FAQ) ढूंढ रहे हैं. जैसे- इस बार का लोकसभा चुनाव कब होगा? कितने फेज में होगा? कितनी सीटों पर कितने प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं? क्या वोटर आईडी कार्ड नहीं होने पर भी मतदान किया जा सकता है? वोटिंग लिस्ट में अपना नाम कैसे चेक किया जा सकता है? वगैरह-वगैरह... तो आपको इन तमाम सवालों के जवाब यहां मिल जाएंगे. आइए, आपको लोकसभा चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण FAQ के जवाब बताते हैं.
मतदाता बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे कर सकते हैं?
एक जनवरी 2024 तक 18 साल की आयु पूरी करने वाला हर नागरिक रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पात्र है. इसके लिए समय-समय पर मतदाताओं के जोड़ने के लिए अभियान भी चलाया जाता है. वहीं आप इंटरनेट के माध्यम से भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म-6 भरकर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. इसके बाद मतदान में भाग ले सकते हैं.
अपनी लोकसभा सीट के पोलिंग बूथ की जानकारी कैसे पता करें?
निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर राज्य के विकल्प को चयन करेंगे. राज्य सेलेक्ट करने के बाद उसमें जोन को चुनना होगा. इसके बाद लोकसभा सीट को सेलेक्ट होगा. जिसके बाद आपको अपने पोलिंग बूथ की पूरी जानकारी मिल जाएगी.
मेरी लोकसभा सीट से कौन-कौन प्रत्याशी हैं.
राष्ट्रीय मतदाता पंजीकरण पोर्टल (एनवीएसपी) https://voters.eci.gov.in/Homepage पर इससे संबंधित पूरी जानकारी मिल जाएगी. जैसे ही खुद से जुड़ी जानकारी यहां दर्ज करेंगे, इसके बाद पोर्टल आपके लोकसभा क्षेत्र का नाम और दूसरी सभी जानकारियां मुहैय्या करा देगा.
क्या एक मतदाता एक साथ दो शहरों से खुद को रजिस्टर कर सकता है?
ऐसा करना कानूनन जुर्म है. ऐसे व्यक्ति को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत सजा हो सकती है.
फॉर्म 6, 6A और 8, 8A क्या है?
अक्सर लोग फॉर्म 6, 6ए, 8 और 8 ए को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं. बता दें कि जिनकी उम्र एक जनवरी 2024 तक 18 वर्ष हो गई है, उन्हें फॉर्म 6 भरना होगा. भारतीय मूल के ऐसे लोग जो विदेशों में रहते हैं और चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं, उन्हें फॉर्म 6A भरना होता है. ऐसे मतदाता जिनके मतदाता परिचय पत्र पर नाम, आयु, वोटर, वोटर कार्ड (EPIC) नंबर, पता, जन्मतिथि, रिश्तेदार का नाम, रिश्तों के प्रकार, लिंग में परिवर्तन, सुधार और फोटो में बदलाव करना हो, उन्हें फॉर्म 8 भरने की आवश्यकता होती है. किसी मतदाता का उसके लोकसभा क्षेत्र में ही पता बदलना होता है तो उसे फॉर्म 8A भरना होगा.
मतदाता अपने रजिस्ट्रेशन की स्थिति के बारे में कैसे पता करें?
वोटर को https://electoralsearch.in/ लिंक पर जाकर मतदाता सूची देखने की जरूरत होगी. अगर आपका नाम इस सूची में है, तो आप मतदान करने के लिए पूरी तरह योग्य हैं. अगर आपको यहां अपना नाम नहीं मिलता, तो https://www.nvsp.in/ लिंक पर जाकर फिर से रजिस्टर करना होगा.
क्या वोट डालने के लिए अपने आधार कार्ड का उपयोग किया जा सकता है?
जब आपका नाम मतदाता सूची में हो. ऐसे में मतदान केंद्र पर आईडी प्रूफ के रूप में आधार कार्ड को दिखाकर वोट डाला जा सकता है.
मतदाता ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
मतदाता को इसके लिए चुनाव पंजीकरण अधिकारी या उप चुनाव पंजीकरण अधिकारी से संपर्क करना होगा. यहां से फॉर्म 6 की दो प्रतियां लेकर उसे भरने के बाद, जरूरी दस्तावेज के साथ जमा करना होता है.
घर से दूर रहने वाला विद्यार्थी कैसे वोट डाल सकता है?
विद्यार्थी जिस हॉस्टल/मेस के पते पर हैं, वहां से मतदाता के रूप में रजिस्टर कर सकते हैं. इसके लिए वह फॉर्म 6 के साथ अपने संस्थान के हेडमास्टर/प्रिंसिपल/डायरेक्टर/रजिस्ट्रार/डीन से (चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध फॉर्म 6 से जुड़े एनेक्सर II के मुताबिक) एक बोनाफाइड सर्टिफिकेट अटैच कर सकते हैं.
कोई शख्स बेघर है तो वह अपने मतदान अधिकार का इस्तेमाल कैसे कर सकता है?
बूथ स्तर का एक ऑफिसर उस बेघर व्यक्ति के सोने के स्थान को वेरिफाई करेगा. इसके बाद बेघर व्यक्ति को अपने एड्रेस प्रूफ के लिए कोई भी डॉक्यूमेंट देने की आवश्यकता नहीं होगी.
EVM या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या होती है?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी या EVM का उपयोग वोट डालने और मतों की गिनती के लिए होती है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में दो यूनिट मेंट होती हैं. एक कंट्रोल यूनिट और दूसरी बैलेटिंग यूनिट. इन दोनों को जोड़ने वाले तार का कंट्रोल यूनिट मतदान अधिकारी के पास होता है. EVM में प्रत्याशियों के नाम और उनकी पार्टी के चिह्न होते हैं. मतदाता इसके सामने दिए गए बटन को दबाकर अपने पसंदीदा प्रत्याशी और दल को वोट दे सकता है.
पहली बार EVM का उपयोग भारत में कब हुआ?
भारत में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग 1982 में किया गया था. लेकिन इसका व्यापक और सिस्टेमिक उपयोग 1999 के लोकसभा चुनावों में किया गया था. तब से, EVM भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. इसने निर्वाचन की प्रक्रिया को तेज, सुरक्षित, और अधिक अविश्वसनीय बनाया है.
VVPAT और EVM से कैसे होती है मतगणना?
वीवीपीएटी (VVPAT) और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का संयोजन चुनाव में मतगणना को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है. जब चुनावक्षेत्र में वोटर वोट करता है, तो EVM में उनका वोट रिकॉर्ड किया जाता है. इसके साथ ही, VVPAT मशीन भी उपयुक्त वोटर का वोट प्रिंट करती है. मतदान केंद्र पर पोस्टल बैलट की गिनती से इसकी शुरूआत होती है. ये पोस्टल बैलट नौकरी करने वालों, चुनाव में काम करने वालों के होते हैं. आधे घंटे बाद ईवीएम खुलनी शुरू होती हैं. पोस्टल बैलट को ईवीएमके साथ मतगणना टेबल पर पहुंचाया जाता है. एक बार में अधिकतम 14 ईवीएम से मतगणना की जाती है. मतगणना केंद्र पर तैनात पर्यवेक्षक पहले ईवीएम की सुरक्षा जांच करते हैं. उन्हें इस बात की पुष्टि करनी होती है कि कहीं मशीन से किसी प्रकार की छेड़छाड़ तो नहीं की गई है. इसके बाद बटन दबाकर काउंटिंग का काम चुनाव अधिकारी करते हैं. ईवीएम के कंट्रोल यूनिट का रिजल्ट बटन दबाते ही पता चल जाता है कि कुल वोटों की संख्या कितनी है और किस उम्मीदवार को कितना वोट मिला है. इसके बाद वोटों की गिनती का मिलान पांचों VVPAT से करके रिटर्निंग अधिकारी को भेजा जाता है.
क्या EVM इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन भरोसेमंद है?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) भारतीय चुनाव प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख तकनीकी साधन है. चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है और इसके नतीजे सटीक हैं.
क्या हो यदि किसी मतदान केंद्र पर EVM खराब हो जाए?
अगर किसी पोलिंग सेंटर पर किसी ईवीएम में खराबी आती है, तो उसे नई ईवीएम से बदल दिया जाता है. ईवीएम में खराबी आने तक रिकॉर्ड किए गए वोट कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में स्टोर हो जाते हैं.
क्या मैं पोस्टल बैलेट/ डाक-मतपत्र का उपयोग करके वोट डाल सकता हूं?
पोस्टल बैलट (Postal Ballot) यानी डाक मतपत्र का इस्तेमाल करके केवल तभी वोटिंग की जा सकती है जब संबंधित व्यक्ति सेना, केंद्रीय बलों या केंद्र व राज्य सरकार के लिए काम करते हों.
नोटा क्या है और क्या है इसका मतलब?
नोटा (NOTA) यानी 'उपरोक्त में से कोई नहीं' नाम का एक ऑप्शन EVM में होता है. इस विकल्प की सहायता से मतदाता को अपने निर्वाचन क्षेत्र में हर प्रत्याशी को अस्वीकार करने का अधिकार मिलता है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोटा का विकल्प अक्टूबर साल 2013 में लाया गया था.
यदि नोटा को मिले वोटों की संख्या किसी मुख्य दल के वोटों से अधिक हो तो क्या होगा?
ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग के अनुसार, अगर नोटा को मिले वोट, मुख्य दल के प्रत्याशी को मिले वोटों से भी ज्यादा हैं तो भी सबसे अधिक वोट पाने वाले प्रत्याशी को ही विजेता घोषित करने का प्रावधान है.
निर्वाचन अधिकारी की शिकायत कैसे कर सकते हैं?
निर्वाचन अधिकारी की शिकायत जिला चुनाव अधिकारी के पास कर सकते हैं लेकिन यह व्यवस्था संशोधन अवधि के दौरान ही होती है. इसके बाद उनकी शिकायत जिला मजिस्ट्रेट/अपर डीएम/कार्यकारी मजिस्ट्रेट/जिले के संबंधित जिला कलेक्टर के पास भेजी जाएगी. अपीलीय प्राधिकार के आदेश के विरुद्ध राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के सामने अंतिम अपील होती है.
इलेक्शन से जुड़ी किसी भी गलत गतिविधि की शिकायत कहां और कैसे की जा सकती है?
इलेक्शन से जुड़ी किसी भी गलत गतिविधि की शिकायत एनजीएसपी के पोर्टल https://eci-citizenservices.eci.nic.in/default.aspx पर जाकर दर्ज कराई जा सकती है. शिकायत फाइल कराने के बाद आपको एक आईडी मिलती है. इस आईडी से आप https://eci-citizenservices.eci.nic.in/trackstatus.aspx पर जाकर अपनी शिकायत के स्टेटस की जानकारी ले सकते हैं. इसके अलावा complaints@eci.gov.in पर मेल करने का भी विकल्प है.
एग्जिट पोल क्या है?
एग्जिट पोल को मतदान के अंतिम दिन ही जारी किया जाता है. इसके लिए डेटा संग्रह वोटिंग के दिन भी किया जाता है. अंतिम फेज के मतदान के दिन वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल जारी किए जाते हैं. इस तरह के सर्वेक्षण से अनुमान लगाया जाता है कि मतदान के बाद किस पार्टी की सरकार बन रही है.
एग्जिट पोल पहली बार कब और किसने किया?
एग्जिट पोल शुरू करने का श्रेय नीदरलैंड्स के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम को दिया जाता है. मार्सेल वॉन डैम ने 15 फरवरी, 1967 को पहली बार इसका उपयोग किया था. तब नीदरलैंड्स में हुए चुनाव के लिए उनका किया गया आकलन सटीक निकला था. वहीं भारत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के चीफ एरिक डी कोस्टा ने इसकी शुरुआत की थी.
पोस्ट पोल क्या होते हैं?
एग्जिट पोल में सर्वे एजेंसी मतदान के फौरन बाद मतदाताओं से उनकी राय पूछती है और उस हिसाब से अपना आंकड़ा निकालती है. जबकि पोस्ट पोल हमेशा वोटिंग के अगले दिन या फिर एक-दो दिन बाद होते हैं. अगर 6वें फेज का मतदान 10 मई को हुआ था, तो सर्वे एजेंसी इस चरण में वोट देने वाले मतदाताओं से 11, 12, या 13 मई तक उनकी राय जानने की कोशिश करे, तो इसे पोस्ट पोल कहा जाता है.
ओपिनियन पोल क्या है और कैसे होता है?
पत्रकारों, चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसियां ओपिनियन पोल का सबसे अधिक उपयोग करती हैं. इसकी सहायता से पत्रकार विभिन्न मसलों, मुद्दों और चुनावों में जनता के मूड को भांपने का प्रयास करते हैं. इसका श्रेय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन को जाता है. इन दोनों ने इसकी शुरुआत की थी.
कैसे की जाती है पोल सैंपलिंग?
ओपिनियन पोल या जनमत सर्वेक्षण तैयार करने में सबसे प्रमुख काम फील्ड वर्क होता है. इसके लिए, चुनावी सर्वेक्षण करने वाली एजेंसी के कर्मचारी आम मतदाताओं से मिलते हैं और उनसे कुछ प्रश्न पूछते हैं. इन प्रश्नों के जरिए, प्रत्याशियों के बारे में लोगों की राय जानने का प्रयास किया जाता है कि वह अच्छा है या बुरा. इस प्रक्रिया में शामिल लोगों को एक कोश्चनायर भी भरने के लिए दिया जाता है. यह कोश्चनायर प्रत्याशियों के प्रदर्शन, चुनाव के मुद्दों और वोटर की प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. सैंपलिंग ओपिनियन पोल का एक अहम भाग है.
आदर्श आचार संहिता या MCC क्या है और इसे कब लागू किया जाता है?
आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct, MCC) एक गैर-कानूनी आचार संहिता है जो भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा लागू की जाती है. यह संहिता राजनीतिक पार्टियों, उम्मीदवारों, और अन्य संगठनों को चुनावी अभियान के दौरान नियमों और नैतिकता का पालन करने के लिए प्रेरित करती है. MCC उस समय से लागू होती है जब चुनावों के आयोजन की घोषणा की जाती है और चुनाव प्रक्रिया के अंतिम चरण तक या चुनावी प्रक्रिया के समापन तक लागू रहती है. चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रखने के लिए प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों और सरकारों को इसका पालन करना होता है. यह चुनावों के दौरान 'क्या करें' और 'क्या न करें' का एक सेट है. MCC लागू होने के दौरान सरकारी सुविधाओं या मुफ्त सुविधाओं जैसी घोषणा पर रोक लगाई जाती है. कोई भी नई योजना या नए काम सरकार शुरू नहीं कर सकती है. चुनाव में धार्मिक और जातीय भावनाओं के उपयोग पर रोक लगाई जाती है. प्रत्याशी और राजनीतिक दल अपने विरोधियों के विरूद्ध अपमानजनक या भड़काऊ भाषा का भी उपयोग नहीं कर सकते हैं. नकदी पैसों के आदान-प्रदान पर भी लिमिट लगा दी जाती है. नतीजे घोषित होने तक आदर्श आचार संहिता लागू रहती है.
क्या कोई विधायक/ MLA लोकसभा चुनाव लड़ सकता है. क्या कोई राजनेता एक साथ सांसद और विधायक रह सकता है?
कोई भी व्यक्ति विधायक रहते हुए भी लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है. हालांकि इसको लेकर कुछ नियम हैं. इसके अनुसार लोकसभा चुनाव में जीत मिलने पर अगले 14 दिनों के भीतर उन्हें राज्य विधानमंडल की सदस्यता से इस्तीफा देना होता है. यदि वह चौदह दिनों के भीतर दो में से एक सदस्यता से इस्तीफा देने में नाकाम रहते हैं, तो संसद में उनकी सीट खाली मानी जाती है. ऐसे में स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति एक साथ विधायक और सांसद, दोनों नहीं रह सकता है.
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे क्या थे?
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की थी. यह चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई 2019 तक आयोजित किया गया था, और इसमें 543 सीटों पर मतदान हुआ था. नतीजे 23 मई 2019 को घोषित किए गए थे. इस चुनाव में BJP और उसके सहयोगी दलों ने संयुक्त रूप से 303 सीटें जीतीं, जबकि विपक्षी कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने केवल 52 सीटें जीतीं. इसके अलावा, अन्य छोटे राजनीतिक दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने बची हुई सीटों पर जीत दर्ज की. BJP ने इस चुनाव में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई.
छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल कितनी सीटें हैं और 2019 में यहां के नतीजे क्या थे?
छत्तीसगढ़ में कुल 11 लोकसभा सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 9 सीटों पर कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटें कौन-कौन सी है?
छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं. इसमें राजनांदगांव,कांकेर, महासमुंद, रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, दुर्ग शामिल हैं.
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