तस्वीर: अक्षय दुबे 'साथी'

Bhoramdev Temple: जानें इस मंदिर को क्यों कहते हैं छत्तीसगढ़ का खजुराहो, देखकर हो जाएंगे हैरान

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दुनिया भर में प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से कोई अनजान नहीं है मगर क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में भी खजुराहो का प्रतिबिम्ब मौजूद है.

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छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित भोरमदेव मंदिर को "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" भी कहा जाता है.

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कवर्धा जिले से 18 किमी दूर सतपुरा की पहाड़ियों में बना ये भोरमदेव मंदिर अपनी वास्तु कला और सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

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इस प्राचीन मंदिर की बनावट की तुलना ओडिशा के कोणार्क और मध्य प्रदेश के खजुराहो से की जाती है.

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मंदिर की बाहरी दीवारों पर कामुक मुद्रा वाली मूर्तियां है जो बेहद खूबसूरत तरीके से उकेरा गया है.

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यहां की मूर्तियाँ कामसूत्र के विभिन्न आसन से प्रेरित हैं, इसी वजह से खजुराहो के मंदिर और स्थापत्य कला के कारण उड़ीसा के सूर्य मंदिर से इसकी तुलना होती है.

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भोरमदेव मंदिर की मिथुन मूर्तियां नागरशैली में बनी हैं जिसे 11 वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है.

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इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर नागवंशी राजा गोपाल देव ने गोंड समुदाय के देवता भोरमदेव के लिए बनवाया था जो कि भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे.

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भोरमदेव मंदिर में हर साल भोरमदेव महोत्सव मनाया जाता है जहां देश के विभिन्न कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने आते हैं.

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