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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

विश्व आदिवासी दिवस: क्या आप 20 हजार साल पुरानी इस जनजाति को जानते हैं? जानें क्यों हैं खास

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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

आधुनिकता और शहरीकरण से दूर इस देश में आज भी कुछ ऐसी जनजातियां हैं जिनका अस्तित्व हज़ारों साल पुराना है.

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तस्वीर: इंडिया टुडे

ऐसी ही एक 20 हजार साल पुरानी जनजाति "बैगा" है, जिन्होंने अपने पूर्वजों के सौंपे गए अद्वितीय रीति-रिवाजों और परंपराओं को बरकरार रखा है.

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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजाति ‘बैगा’ सबसे ज्यादा कबीरधाम और कोरिया जिले में निवास करती है.

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तस्वीर: इंडिया टुडे

लोक कथा के अनुसार, नागा बैगा नाम के एक देवता ने अपनी तपस्या से संतान का सृजन किया जो बाद में ‘बैगा’ कहलाए.

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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

मध्य भारत के जंगलों में रहने वाली बैगा जनजाति को औषधि और उपचार पद्धति में बेहद कुशल माना जाता. कहा जाता है कि बैगा शब्द की उत्पत्ति वैद्य शब्द से हुई है.

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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

पारंपरिक रूप से बैगा आदिवासी बहुत कम कपड़े पहनते हैं. बैगा पुरुष शॉर्ट धोती और बिना आस्तीन के कमरकोट पहनते हैं. जबकि महिलाएं लुगरा पहनती हैं.

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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

बैगा महिलाएं अपने शरीर पर स्थाई गोदना(टैटू) बनवाती हैं. यह आभूषण के विकल्प के साथ-साथ इनकी सांस्कृतिक पहचान भी है.

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तस्वीर: केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय

बैगाओं को लोक नृत्य कर्मा का आविष्कारक भी माना जाता है जो कि छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय नृत्यों में से एक है.

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