बस्तर में कवासी पर कांग्रेस का भरोसा, बुरे फंसे दीपक बैज?
Bastar लोकसभा सीट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज मौजूदा सांसद है. बावजूद पार्टी ने कवासी पर भरोसा जताया है. लंबे इंतजार के बाद कवासी के नाम के ऐलान के साथ ही बस्तर सीट पर मुकाबले की तस्वीर भी साफ हो गई है. अब बस्तर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कवासी का मुकाबला बीजेपी के महेश कश्यप से होगा.
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Bastar लोकसभा सीट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज मौजूदा सांसद है. बावजूद पार्टी ने कवासी पर भरोसा जताया है. लंबे इंतजार के बाद कवासी के नाम के ऐलान के साथ ही बस्तर सीट पर मुकाबले की तस्वीर भी साफ हो गई है. अब बस्तर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कवासी का मुकाबला बीजेपी के महेश कश्यप से होगा.
लंबी अटकलों के बाद आखिरकार बस्तर लोकसभा सीट से दीपक बैज का पत्ता कट ही गया और यहां से दादी यानी कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) ने बाजी मार ली. अब ऐसे में सवाल ये कि दीपक बैज (Deepak Baij) का क्या होगा. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में होने वाले बस्तर सीट पर कांग्रेस का सस्पेंस आखिरकार खत्म हुआ. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी चौथी और छत्तीसगढ़ में दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इसमें बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता कवासी लखमा को प्रत्याशी बनाया गया है. इस सीट पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज मौजूदा सांसद है. बावजूद पार्टी ने कवासी पर भरोसा जताया है. लंबे इंतजार के बाद कवासी के नाम के ऐलान के साथ ही बस्तर सीट पर मुकाबले की तस्वीर भी साफ हो गई है. अब बस्तर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कवासी का मुकाबला बीजेपी के महेश कश्यप से होगा.
मोदी लहर में भी बैज ने जीता था चुनाव
बता दें साल 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भी दीपक बैज ने कांग्रेस से इस सीट पर जीत हासिल की थी. बैज ने के भाजपा के बैदूराम कश्यप को हराया था. इसके चलते ही पार्टी ने बैज को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद भी दिया. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव में बैज को हार का सामना भी करना पड़ा. बावजूद बैज पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी बरकरार रखा. लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर इस बार बस्तर सीट पर कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.. पहले से ही इस सीट पर दीपक बैज और लखमा के बीच टिकट को लेकर पेंच फंसा था.इस बीच कोंटा विधायक कवासी लखमा ने इस सीट पर अपने बेटे हरीश कवासी के लिए भी टिकट की मांग पार्टी आलाकमान से की... लेकिन बात नहीं बनी और आखिरकार पार्टी आलाकमान ने कवासी लखमा को टिकट देकर चौका दिया..
बेटे हरीश के लिए कवासी मांग रहे थे टिकट
बात करें कवासी लखमा की तो वे बस्तर के कद्दावर आदिवासी नेता के तौर पर जाने जाते है. कोंटा विधानसभा से वे 6 वीं (छठवी) बार के विधायक हैं. साल 1998 से लेकर साल 2023 तक छह बार से उन्होंने जीत हासिल की है. 2018 में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार मे उन्हें आबकारी और उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री भी बनाया गया था. कोंटा विधानसभा में भाजपा, कांग्रेस और सीपीआई के बीच लड़ाई में कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. इस बार लखमा अपने बेटे हरीश को टिकट दिलाना चाहते थे. इस वजह से दिल्ली में पार्टी आलाकमान के सामने भी उन्होंने बात रखी थी. ऐसा माना जा रहा है कि हरीश को टिकट देने पर विवाद हो सकता था इसलिए पार्टी ने कवासी को टिकट दिया.
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बैज को कांकेर से मिल सकता है मौका
बस्तर सीट से मौजूदा सांसद प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, हाल ही में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. ये एक बड़ी वजह हो सकती है कि पार्टी ने उन्हें बस्तर से टिकट नहीं दी. लखमा को बस्तर से टिकट मिलने के बाद संभावना है कि दीपक बैज को कांकेर सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. शनिवार की देर रात कांग्रेस ने 46 नामों की चौथी सूची में छत्तीसगढ़ से सिर्फ बस्तर सीट शामिल है. लोकसभा चुनाव के पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को मतदान होना है. बस्तर की सीट के साथ ही छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में 7 में कांग्रेस ने प्रत्याशी उतार दिए हैं.
कांग्रेस ने दिग्गजों पर लगाया दांव
बस्तर के अलावा कांकेर, बिलासपुर, रायगढ़ और सरगुजा में भी प्रत्याशी के नाम फाइनल होने थे, लेकिन कांग्रेस बस्तर के बाद अब भी 4 सीटों कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर फैसला नहीं ले पाई है. ऐसे में बाकी चार सीटों पर अब तक संस्पेंस बना हुआ है. इसके पहले कांग्रेस की पहली सूची आठ मार्च को जारी हुई थी. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस इस बार एड़ी चोटी का जोर मार रही है. यहीं वजह है कि एक- एक सीट पर मंथन कर टिकट फाइनल की जा रही है. अब तक कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, कवासी लखमा, शिव डहिरया. ज्योत्सना महंत, विकास उपाध्याय जैसे दमदार नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारकर बीजेपी के सामने चुनौती बढ़ा दी है.
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बस्तर से धर्मेंद्र महापात्रा की रिपोर्ट छत्तीसगढ़ तक
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