CG Lok Sabha Election: कांकेर में टूटेगा सालों पुराना रिकॉर्ड? इस बार जीत जाएंगे बिरेश!
CG Lok Sabha Election: मध्यप्रदेश के दौर में इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन 1995 के बाद से यहां कांग्रेस को जीत का इंतजार है. इस बार कांकेर सीट में बीजेपी के भोजराज नाग और कांग्रेस के बिरेश ठाकुर के बीच सीधा मुकाबला है. बिरेश ने बीते दिनों लोगों से कह दिया था कि तुम्हे नींबू काटने वाला चाहिए क्या?
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CG Lok Sabha Election: मध्यप्रदेश के दौर में इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन 1995 के बाद से यहां कांग्रेस को जीत का इंतजार है. इस बार कांकेर सीट में बीजेपी के भोजराज नाग और कांग्रेस के बिरेश ठाकुर के बीच सीधा मुकाबला है. बिरेश ने बीते दिनों लोगों से कह दिया था कि तुम्हे नींबू काटने वाला चाहिए क्या?
CG Lok Sabha Election: उत्तर बस्तर की कांकेर लोकसभा सीट का प्रदेश की राजनीति में बड़ा दखल रहा है. अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन 1995 के बाद से यहां कांग्रेस को जीत का इंतजार है. इस बार कांकेर सीट में बीजेपी के भोजराज नाग (Bhojraj Nag) और कांग्रेस के बिरेश ठाकुर (Biresh Thakur) के बीच सीधा मुकाबला है. बिरेश ने बीते दिनों लोगों से कह दिया था कि तुम्हे नींबू काटने वाला चाहिए क्या? नींबू काटने के पीछे कारण यह है कि बीजेपी प्रत्याशी भोजराज नाग बैगा भी है. इस लिहाज से कांकेर लोकसभा सीट में आरोप प्रत्यारोप का दौर चरम पर है.
कांग्रेस को बिरेश पर भरोसा
कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार कांकेर लोकसभा सीट से बिरेश ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिरेश ठाकुर को करीबी हार का सामना करना पड़ा था. उस वक्त वे 6 हजार 954 वोट से भाजपा प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे. भाजपा ने 2 मार्च को कांकेर लोकसभा सीट के लिए अपने प्रत्याशी भोजराज नाग के नाम का ऐलान कर दिया था. इसके बाद से भाजपा प्रत्याशी जनसंपर्क में जुट गए हैं, तो वहीं कांग्रेस में नामों को लेकर मंथन चल रहा था. पीसीसी चीफ दीपक बैज मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन आखिरी मौके में पार्टी ने उनका टिकट काटकर बिरेश ठाकुर को अपना भरोसा जताया.
बिरेश को राजनीति विरासत में मिली
बात करें बिरेश ठाकुर की तो राजनीतिक घराने से आने वाले बिरेश के पिता सत्यनारायण सिंह ठाकुर साल 1972 से 1977 तक अविभाजित मध्यप्रदेश के भानुप्रतापपुर से विधायक रहे. इस लिहाज से बिरेश को राजनीति विरासत में मिली. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनपद पंचायत सदस्य के रूप में की. वे साल 1995 में पहली बार जनपद सदस्य बने, इसके बाद साल 2000 में दोबारा जनपद पंचायत सदस्य के साथ ही भानुप्रतापपुर जनपद अध्यक्ष बने. 2010 में फिर से जनपद सदस्य और जनपद अध्यक्ष निर्वाचित हुए. बिरेश साल 2015 में जिला पंचायत सदस्य बने. बिरेश ठाकुर साल 2010 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय हैं. साल 2010 से 2022 तक वे प्रदेश कांग्रेस के सदस्य रहे, जिसके बाद साल 2019 से बिरेश छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैë. 2019 में भी कांकेर लोकसभा सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन उन्हें बीजेपी के मोहन मंडावी से हार का सामना करना पड़ा था. बिरेश ने छत्तीसगढ़ तक से चर्चा करते हुए कहा था कि 2019 में उनको हराने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को तक आना पड़ गया था.
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भोजराज धर्मांतरण को लेकर रहे मुखर
वहीं भोजराज नाग की बात करें तो भोजराज नाग 1992 में अंतागढ़ के ग्राम हिमोड़ा के सरपंच निर्वाचित हुए थे. इसके बाद साल 2000 से 2005 तक जनपद पंचायत अंतागढ़ के अध्यक्ष भी रहे. भोजराज 2009 से 2014 तक जिला पंचायत सदस्य रहे. नाग 2014 में हुए चर्चित अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव को जीतकर विधायक बने थे. इस दौरान ये चुनाव पूरे प्रदेश में राजनीति का केंद्र था. भोजराज नाग बैगा भी हैं. कांग्रेस सरकार में बस्तर में हो रहे धर्मांतरण पर मुखर रहे भोजराज को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है.
बिरेश को हराने बीजेपी ने झोंकी ताकत
अब बात कर लेते है कांकेर लोकसभा सीट की. कांकेर लोकसभा में 4 जिलों की 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, तो वहीं 3 सीटें भाजपा के विधायक काबिज है. 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें, तो पूरी 8 सीटें कांग्रेस के कब्जे में थीं, इसके बावजूद बिरेश ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा था. इस बार भी भाजपा के भोजराज नाग से कांग्रेस के बिरेश ठाकुर का कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है. कांकेर लोकसभा में दोनों ही राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ताकत झोंकने में कमी नहीं की है. कांकेर लोकसभा में बीजेपी ने गृहमंत्री अमित शाह की रैली करवाकर माहौल बनाने की कोशिश की है तो कांग्रेस ने शाह के जवाब में प्रियंका गांधी की बड़ी सभा करवाई हैं. ऐसे में देखना होगा कांकेर में 2019 में मिला हार से सीख लेकर बिरेश इस बार बीजेपी के कब्जे से इस सीट पर सालों बाद फिर से कांग्रेस का कब्जा दिला पाते है या नहीं..
ब्यूरो रिपोर्ट छत्तीसगढ़ तक
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