बीजापुर मुठभेड़ को लेकर भाजपा सरकार पर भड़के कवासी लखमा, कांग्रेस ने बनाई जांच कमेटी
Bijapur Naxal Encounter: बीजापुर के पीडिया जंगल में हुए मुठभेड़ को लेकर कांग्रेस सत्ताधारी बीजेपी पर हमलावर है. इस एनकाउंटर की जांच के लिए कांग्रेस ने 8 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है.वहीं पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी बताया है.
ADVERTISEMENT
Bijapur Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुई मुठभेड़ पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ग्रामीणों ने इस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है. इस बीच पीडिया मुठभेड़ को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 8 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है. वहीं इसके पहले बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा ने भी इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इस मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग छत्तीसगढ़ सरकार से की है.
प्रेस कांग्रेस कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि पीडिया मुठभेड़ की जांच के लिए 8 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है.पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम इस दल के संयोजक बनाए गए हैं.उनके अलावा जांच दल में मोहला-मानपुर विधायक इंद्रशाह मंडावी, बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी,बिंद्रानवागढ़ विधायक जनक राम ध्रुव, भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मंडावी, दंतेवाड़ा पूर्व विधायक देवती कर्मा, नारायणपुर जिला अध्यक्ष रजनू नेताम और बीजापुर जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुडियाम शामिल है.ये दल जल्द ही पीडिया गांव का दौरा करेगा और अपनी जांच रिपोर्ट पार्टी को सौंपेगा.
आदिवासियों की दुश्मन है भाजपा- लखमा
स्थानीय लोगों के बाद पूर्व मंत्री और बस्तर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी कवासी लखमा ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी बताया था.कवासी लखमा ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बाद भी बस्तर में आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं. भोले-भाले आदिवासियों को या तो नक्सली बताकर जेल में ठूंसा जा रहा है, या फिर इनामी नक्सली बताकर एनकाउंटर में मार गिराया जा रहा है. इससे आदिवासी समाज में काफी रोष है. लखमा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद बस्तर संभाग के सभी एसपी और प्रशासन के अधिकारियों का रंग बदल चुका है. कांग्रेस भी चाहती है कि बस्तर में शांति हो, बस्तर नक्सलवाद मुक्त हो, लेकिन ऐसे कैसे मुक्त होंगे? नक्सलियों की जगह आदिवासी मुक्त हो जाएंगे.
ADVERTISEMENT
लखमा ने कहा कि जिस तरह से इस तरह की फर्जी मुठभेड़ हो रही है, भाजपा सरकार तत्काल इसे रोके और इस तरह की मुठभेड़ की न्यायिक जांच करे.लखमा ने यह भी कहा कि निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर गिरफ्तार किया जा रहा है,जेल में ठूंसा जा रहा है.भाजपा आदिवासियों की दुश्मन है.
भूपेश बघेल ने भी उठाए थे सवाल
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भू्पेश बघेल ने भी मुठभेड़ को लेकर सवाल उठाया था और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा था, 'नक्सली समस्या का हल ज़रूरी है और सुरक्षा बलों का हौसले बढ़ाना भी. लेकिन सुरक्षा बलों पर अनपेक्षित राजनीतिक दबाव ऐसा नहीं होना चाहिए कि उनकी कार्रवाइयों पर सवाल खड़े हों. सुरक्षा बलों को भी ध्यान में रहना चाहिए कि अंतत: उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति है. प्रदेश की भाजपा सरकार को भी आगाह करना ज़रूरी है कि वह नक्सलवाद को ख़त्म करने की आड़ में आदिवासियों को प्रताड़ित करने के अपने अतीत को न दोहराए.'
ADVERTISEMENT
12 नक्सलियों को मारने का दावा
बता दें कि 10 मई (शुक्रवार) को पीडिया के जंगल में 12 नक्सलियों के मारे जाने का दावा पुलिस कर रही है. लेकिन वहां रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि मारे गए लोग निर्दोष ग्रामीण है. गांव वालों का यह भी कहना है कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ किया है और निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की है. हालांकि पुलिस ग्रामीणों के दावों को नकार रही है. पुलिस का कहना है कि नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण झूठ बोल रहे हैं.
ADVERTISEMENT
नक्सलियों ने उठाए सवाल
पुलिस के जवाब के बाद माओवादी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है जिसमें वे दावा कर रहे है कि पुलिस की ओर से किए गए एनकाउंटर में 10 निर्दोष आदिवासी सहित उनके पीएलजीए साथी जो बीमारी के चलते सिविल ड्रेस में थे उन्हें भी निहत्थे पकड़ कर बेरहमी से मार दिया. माओवादियों ने इसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को जिम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने बयान में लिखा है कि 9 मई की रात को बीजापुर दंतेवाड़ा सुकमा जिले के उप निरीक्षक कमलोशन कश्यप, एसपी के नेतृत्व में संयुक्त ऑपरेशन चलाया है. 10 मई को सुबह तेंदू पत्ता संग्रहण करने गए ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई, टूंइच मोटर सेल और रॉकेट दागे गए. मुठभेड़ को नरसंहार बताते हुए माओवादियों ने जनता, आदिवासी मित्रों, आदिवासी हितैशी, बुद्धिजीवियो को इसका खंडन करने को अपील की है.
ADVERTISEMENT