Chhattisgarh Lok sabha Election 2024: जिस लोकसभा सीट से दो सीएम जीत चुके हैं चुनाव, वहां से हैं 6 दावेदार

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Chhattisgarh Loksabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नज़दीक हैं. छत्तीसगढ़ में 11 की 11 सीटें जीतने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है. वहीं विपक्षी दल भी उलटफेर करने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. छत्तीसगढ़ की 11 में से वर्तमान में बीजेपी (BJP) के पास 9 सीटें हैं और कांग्रेस के पास मात्र 2 सीट. छत्तीसगढ़ बनने के बाद रायगढ़ (Raigarh) लोकसभा सीट पर हमेशा से बीजेपी का कब्जा रहा. ये एक ऐसी सीट है जहां से छत्तीसगढ़ के दो मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) और विष्णुदेव साय (Vishnu deo sai) चुनाव जीतकर सांसद बने.  2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से टिकट के लिए कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं.

रायगढ़ लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है. 1962 से लेकर अब तक यहां 18 चुनाव हो चुके हैं.1962 में पहली बार इस सीट का गठन हुआ जहां से रामराज्य परिषद की तरफ से विजय भूषण सिंहदेव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.उसके बाद से इस सीट पर राज परिवार का दबदबा रहा.लेकिन 1976 में जनता पार्टी के नारायणी साय ने राज परिवार का ये दबदबा तोड़ दिया और चुनाव जीत गए.

अजीत जोगी भी रायगढ़ से जीत चुके हैं चुनाव

इसके बाद 1980 और 1984 में सारंगढ़ के राजकुमार और कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा सिंह यहां से दो बार लगातार जीतीं. इसके बाद 1989  में बीजेपी के नंदकुमार साय ने यहां से बाजी मारी.वहीं इस सीट से छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी चुनाव जीत चुके हैं.1998 में अजीत जोगी रायगढ़ से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने.

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रायगढ़ से लगातार 20 साल तक सांसद रहे विष्णुदेव

इसके बाद 1999 से लेकर अब तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है….या यूं कहें छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस सीट पर कांग्रेस कभी जीत नहीं पाई.1999 से लेकर 2019 तक लगातार 20 साल तक छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सांसद रहे.2019 में भाजपा ने विष्णुदेव साय की जगह गोमती साय को प्रत्याशी बनाया.और गोमती ने 2 लाख से भी अधिक वोटों से चुनाव जीतकर बीजेपी का भरोसा बरकरार रखा.

रायगढ़ लोकसभा के अंदर आती है ये 8 विधानसभा

इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें जशपुर, कुनकुरी, रायगढ़, पत्थलगांव, लैलूंगा , सारंगढ़, खरसिया और धरमजयगढ़ शामिल है…जशपुर जिले की तीनों सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है…वहीं रायगढ़ जिले की चार में से दो सीटें एसटी के लिए रिजर्व है…तो जाहिर है कि इस लोकसभा सीट पर आदिवासी मतदाता हार जीत का फैसला करते हैं….

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इस लोकसभा में ये हैं प्रमुख मुद्दे

रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी, प्रदूषण, कोयला खदान के आबंटन को लेकर ग्रामवासियों के रहवास का मुद्दा चुनाव में हावि रहा है…इसके अलावा दक्षिण पूर्व रेलवे के विस्तार का मसला भी चुनावों में प्रमुख रहा है…वहीं जंगली हाथी भी यहां बड़ी समस्या रही है….

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बीजेपी की तरफ से ये हो सकते हैं टिकट के दावेदार

इस सीट में अपना दबदबा बरकरार रखने के लिए बीजेपी किसे मैदान पर उतार सकती है, अब इस पर बात करते हैं. बीजेपी की तरफ से गोमती साय, सुनीति राठिया और सुषमा खलखो प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.

गोमती साय– वे रायगढ़ लोकसभा की सांसद रही हैं और वे 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रामपुकार सिंह को 255 मतों से चुनाव हराकर पत्थलगांव की विधायक बनी हैं.

सुनीति राठिया- सुनीति लैलूंगा विधानसभा के विधायक और मंत्री रह चुके सत्यानंद राठिया की पत्नी हैं. इसके अलावा सुनीति राठिया भी लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की विधायक रह चुकी हैं .इसके साथ ही वो रमन सरकार में संसदीय सचिव भी रह चुकी हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से उन्हें लैलूंगा विधानसभा से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन वो हार गईं.

सुषमा खलखो– सुषमा रायगढ़ जिले में बीजेपी का चर्चित चेहरा हैं. लंबे समय से वो पार्टी में जुड़कर सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. पंचायत चुनाव में भी वो दो बार जीत दर्ज कर चुकी हैं. वर्तमान में वे भाजपा की महिला मोर्चा में प्रदेश स्तर की कार्यकर्ता हैं.

कांग्रेस की तरफ से ये हो सकते हैं टिकट के दावेदार

अब बात करते हैं कांग्रेस के प्रबल दावेदारों की. इनमें लालजीत सिंह राठिया, दयाराम धुर्वे और मेनका सिंह का नाम सामने आ रहा है.

लालजीत राठिया- वो धरमजयगढ़ से विधायक हैं. वो इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. 2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी थी.

दयाराम धुर्वे– वे NSUI के पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके हैं. कई बार पार्षद का चुनाव भी जीत चुके हैं. 2017 में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़कर जनता जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया था. लेकिन 2018 में उन्होंने चुनाव के बाद फिर से कांग्रेस में वापसी कर ली थी. फिलहाल वो रायगढ़ लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं.

मेनका सिंह– मेनका राज घराने से ताल्लुक रखती हैं और पूर्व सांसद पुष्पा सिंह की भतीजी हैं. वो लंबे से पार्टी में जुड़कर सक्रिय राजनीति कर रही हैं. उन्होंने पहले भी विधानसभा चुनाव के दौरान चंद्रपुर से टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. अब ऐसे में रायगढ़ लोकसभा के लिए वो अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं. ये तो बस कयास हैं देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में बीजेपी-कांग्रेस किसे मौका देती है.

रायगढ़ से नरेश शर्मा की रिपोर्ट

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