छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल: साय कैबिनेट में आईं ‘लक्ष्मी’; जानें 9 दिग्गजों की खूबियां

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Chhattisgarh New Cabinet- छत्तीसगढ़ में पहली बार चुने गए तीन विधायकों सहित नौ भाजपा विधायकों को शुक्रवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. इस शपथ के साथ ही कैबिनेट सदस्यों की संख्या 12 हो गई है. राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने राजधानी रायपुर स्थित राजभवन में आयोजित एक समारोह के दौरान 31 वर्षीय महिला विधायक सहित नौ विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.

शुक्रवार को शपथ लेने वाले विधायकों में आठ बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामविचार नेताम, केदार कश्यप और दयालदास बघेल शामिल हैं. बता दें कि दो उपमुख्यमंत्री – अरुण साव और विजय शर्मा – ने पहले ही 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री के साथ ही शपथ ली थी.

आईएएस से नेता बने ओपी चौधरी, टंक राम वर्मा और लक्ष्मी राजवाड़े, सभी पहली बार विधायक, और दूसरी बार विधायक श्याम बिहारी जायसवाल और लखनलाल देवांगन को भी मंत्री नियुक्त किया गया है.

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लक्ष्मी इकलौती महिला मंत्री

मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद, इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित – साव, देवांगन, जायसवाल, चौधरी, वर्मा और राजवाड़े छह सदस्य हैं. सीएम साय, नेताम और कश्यप अनुसूचित जनजाति से हैं, जबकि बघेल अनुसूचित जाति वर्ग से हैं. शर्मा और अग्रवाल सामान्य वर्ग से हैं. राजवाड़े कैबिनेट में एकमात्र महिला सदस्य होंगी.

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पहली बार विधायक बनने वाले 5 नेताओं को जगह

अग्रवाल, नेताम, कश्यप और बघेल ने राज्य में पिछली भाजपा सरकारों में मंत्री के रूप में कार्य किया है, जबकि सीएम साय केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे हैं. जबकि साय कैबिनेट के पांच सदस्य – साव, शर्मा, चौधरी, वर्मा और राजवाड़े – पहली बार विधायक बने हैं.

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विस्तार के बाद मंत्रिमंडल में सरगुजा संभाग से चार, बिलासपुर संभाग से तीन, रायपुर और दुर्ग संभाग से दो-दो और बस्तर संभाग से एक सदस्य शामिल किया गया है. मंत्रियों के विभागों की घोषणा अभी बाकी है. बता दें कि छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 13 मंत्री हो सकते हैं. राज्य में 90 विधानसभा सीटें हैं.

जानें नौ मंत्रियों में क्या है खास?

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  1. बृजमोहन अग्रवाल:

    भाजपा के वरिष्ठ राजनेताओं में से एक और राज्य में अग्रवाल समुदाय के सबसे बड़े नेता, बृजमोहन अग्रवाल (64) ने अविभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मंत्री के रूप में कार्य किया है. हाल ही में हुए चुनावों में, अग्रवाल ने रायपुर शहर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास के खिलाफ 67,719 वोटों के उच्चतम अंतर से जीत हासिल की. इसके साथ ही वे आठवीं बार विधायक बने और 1990 के बाद से अजेय रहे.

 

  1. रामविचार नेताम:

    उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में पार्टी के एक प्रमुख आदिवासी चेहरे नेताम (61) ने इस बार कांग्रेस के अजय तिर्की को 29,663 वोटों से हराकर रामानुजगंज सीट जीती. छह बार के विधायक नेताम 2016 में राज्यसभा सांसद के रूप में भी चुने गए थे और उन्होंने छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में दो बार (2003 और 2008) मंत्री के रूप में कार्य किया था. उन्हें नवनिर्वाचित विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर भी नियुक्त किया गया.

 

  1. केदार कश्यप:

    49 वर्षीय विधायक कश्यप बस्तर क्षेत्र (दक्षिण) से आते हैं और प्रमुख आदिवासी नेता हैं. कश्यप ने इस बार नारायणपुर सीट पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक चंदन कश्यप को 19,188 वोटों से हराया. चार बार विधायक रहे कश्यप ने 2008 और 2013 में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया था. कश्यप ने बस्तर क्षेत्र में कथित धर्म परिवर्तन को लेकर पिछली सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ भाजपा की ओर से मोर्चेबंदी की. उनके इस कदम से पार्टी को आदिवासी बहुल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिली. बता दें कि वह बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद स्वर्गीय बलिराम कश्यप के बेटे हैं.

 

  1. दयालदास बघेल:

    चार बार विधायक रहे दयालदास बघेल (69) एससी समुदाय से हैं. उन्होंने इस बार नवागढ़ में प्रभावशाली अनुसूचित जाति समाज से आने वाले नेता और पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री गुरु रुद्र कुमार को हराया. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सरपंच के रूप में की और 2003 में पहली बार विधायक बने. उन्होंने राज्य में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल (2013-18) में मंत्री के रूप में कार्य किया.

 

  1. लखनलाल देवांगन:

    61 वर्षीय देवांगन ने कोरबा में पिछली कांग्रेस सरकार के प्रभावशाली मंत्री जय सिंह अग्रवाल को हराया. ओबीसी समुदाय से आने वाले देवांगन 2013 में कटघोरा से पहली बार विधायक चुने गए थे. उन्होंने 2005 से 2010 तक कोरबा जिले में मेयर के रूप में भी काम किया था.

 

  1. श्याम बिहारी जायसवाल:

    उन्होंने मनेंद्रगढ़ सीट पर कांग्रेस के रमेश सिंह वकील को हराया. जायसवाल (47) साल 2013 में पहली बार विधायक चुने गए थे. वह ओबीसी समुदाय से आते हैं और पहले भाजपा के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं.

 

  1. ओपी चौधरी:

    2005 बैच के आईएएस अधिकारी, चौधरी (42) ने अपना हाई-प्रोफाइल करियर छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने रायगढ़ जिले के खरसिया से साल 2018 का चुनाव लड़ा लेकिन नाकाम रहे, यह सीट 1977 में अस्तित्व में आने के बाद से भाजपा ने कभी नहीं जीती है. लेकिन इस बार चौधरी निकटवर्ती रायगढ़ जिले से जीते. वह ‘अघरिया’ जाति से आते हैं, जो इलाके का एक प्रभावशाली ओबीसी समुदाय है. कलेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह दंतेवाड़ा और रायपुर में अपनी शिक्षा परियोजनाओं और त्वरित निर्णयों के लिए युवाओं के बीच लोकप्रिय थे.

 

  1. टंक राम वर्मा:

    पहली बार विधायक बने बलौदाबाजार से कांग्रेस के शैलेश नितिन त्रिवेदी को हराकर जीते. वर्मा (61) ने पूर्व भाजपा सांसद रमेश बैस और अपके साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले केदार कश्यप के निजी सहायक के रूप में काम किया था. वह एक प्रभावशाली ओबीसी समूह कुर्मी समुदाय से आते हैं.

 

  1. लक्ष्मी राजवाड़े:

    31 वर्षीय विधायक कैबिनेट की एकमात्र महिला सदस्य और सबसे कम उम्र की हैं. पहली बार की विधायक ने भटगांव में कांग्रेस के मौजूदा विधायक पारस नाथ राजवाड़े को हराया. वह भी ओबीसी समुदाय से आती हैं. इससे पहले वह सूरजपुर जिले में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष थीं.

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