12 जाति समूहों के एसटी वर्ग में शामिल होने पर गरमाई राजनीति, भाजपा-कांग्रेस में मची श्रेय लेने की होड़
छत्तीसगढ़ की 12 प्रमुख आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने का रास्ता लगभग साफ हो गया है. लोकसभा के बाद अब राज्यसभा…
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छत्तीसगढ़ की 12 प्रमुख आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने का रास्ता लगभग साफ हो गया है. लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी इससे जुड़ा विधेयक पारित कर दिया गया है. लेकिन इसे लेकर अब छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दलों में श्रेय लूटने की होड़ मच गई है. सत्तारूढ़ कांग्रेस जहां इसे भूपेश सरकार की कामयाबी बता रही है, तो वहीं भाजपा इसके लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को क्रेडिट दे रही है. बता दें कि 12 जनजाति समुदाय लिपिकीय त्रुटि की वजह से अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल नहीं हो पाए थे.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए बिल पारित होने के दिन को छत्तीसगढ़ के लिए स्वर्णिम दिन करार दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की 12 जनजातियां जो लिपकीय त्रुटि के कारण वर्षों से अपने अधिकार से वंचित थीं, उन्हें देश के उच्च सदन में अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का लाभ और संवैधानिक अधिकार मिला. उन्होंने कहा कि ये जनजातियां वर्षों से संघर्षरत थी लेकिन उनकी आवाज कोई सुन नहीं रहा था. ऐसे में पीएम मोदी ने उनकी आवाज सुनी. पीएम मोदी का छत्तीसगढ़ कोटि-कोटि धन्यवाद करता है. उन्होंने इस विधेयक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह के प्रयासों का नतीजा बताया है. उन्होंने इसे लेकर ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा, “एक नई सुबह ! 12 प्रमुख आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी का हार्दिक धन्यवाद।“
हमारे प्रयास सफल हुए: डॉ. रमन सिंह
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प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी इसे भाजपा के प्रयासों का परिणाम बताया है. उन्होंने ट्वीट किया, “हमारे प्रयास सफल हुए, विगत दिनों हमनें प्रधानमंत्री श्री प्रधानमंत्री मोदी जी को पत्र लिखकर मात्रात्मक त्रुटि के कारण दशकों से अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित आदिवासी समाज के 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का आग्रह किया था.जिसके पश्चात लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी यह विधेयक पारित हो गया है और अब वे सभी 12 जातियां अपने अधिकारों को प्राप्त कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगी.इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार.”
कांग्रेस ने भूपेश सरकार को दिया श्रेय
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दूसरी ओर कांग्रेस इन आदिवासी वर्गों को जनजाति सूची में शामिल करने के लिए भूपेश सरकार को दिया है. उन्होंने पूर्ववर्ति रमन सिंह की सरकार पर निशाना भी साधा है. बैज ने ट्वीट किया, 15वर्षो तक रमन सिंह की सरकार ने 12जाति समूह के लोगो को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा था.कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार के प्रयासों से उन्होंने जो अनुशंसा केंद्र को भेजी उसके कारण ही अंततः 12जाति समूहों के लोगो को अनुसूचित वर्ग मे शामिल होने का विधेयक राज्यसभा मे पारित हो गया.”
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बैज ने आगे कहा, “एक सांसद के रूप मे मैंने भी इस मामले को लोकसभा मे उठाया था. कांग्रेस ने राज्य मे विपक्ष मे रहते हुए भी इनकी आवाज को उठाया था.अपने अधिकार को पाना सचमुच सुखद होता है मै इन 12जाति समूहों के लोगो को बधाई देता हूं.”
इन जनजातियों को मिलेगा लाभ
छत्तीसगढ़ की जिन 12 आदिवासी समुदायों को जनजाति सूची में शामिल किया गया है, वे लिपिकीय त्रुटियों की वजह से संविधान में मिलने वाले अधिकारों और लाभ से आज तक वंचित थे. लेकिन अब जो संशोधन किया गया है उसके बाद उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाएगा. अब भारिया भूमिया के पर्याय के रूप में भूईंया, भूईयाँ भूयां नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया के रूप में भारिया का सुधार किया गया है. वहीं पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो, धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवार, गदबा गोंड के साथ गोंड़, कौंध के साथ कोंद कोडाकू के साथ कोड़ाकू नगेसिया, नागासिया के पर्याय के रूप में किसान, धनगढ़ का परिशोधन धांगड़ किया गया है. इसके अलावा सावर, सवरा के समानार्थी सौंरा, संवरा को भी इस सूची में जोड़ा गया है.
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