झीरम घाटी कांड पर रमन-बघेल में तकरार, पूर्व सीएम ने पूछा- सबूत का क्या हुआ?

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Jhiram Ghati Naxalite attack case- 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के नए फैसले से छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह (Dr Raman Singh) दोनों ने अदालत के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सिंह ने बघेल से पूछा कि 2018 से पहले जिन्होंने झीरम के सबूत जेब में होने का दावा किया था उनका क्या होगा? वहीं सीएम बघेल ने कहा कि राजनीतिक साजिश रची गई… हमारे पास सबूत हैं और वे फिर सामने आएंगे.” बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले में बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाली एक प्राथमिकी की छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. लिहाजा अब इस मामले में पुलिस जांच का रास्ता साफ हो गया और माओवादी हमलों में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों की जांच चलती रहेगी.

छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2020 में एक नई एफआईआर दर्ज की थी. इसके खिलाफ एनआईए की याचिका कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि हम मामले में दखल नहीं देंगे.

अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए बघेल ने कहा, “जब हम सत्ता में आये तो हमने सबूतों के आधार पर एसआईटी का गठन किया… एनआईए अदालत के माध्यम से बाधा डालती रही… आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी… राजनीतिक साजिश रची गई है… हमारे पास सबूत हैं और वे फिर सामने आएंगे.”

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इस पर पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने बघेल पर पलटवार करते हुए एक्स पर लिखा,  “हां! दाऊ भूपेश बघेल जी इस मामले की जांच से षड्यंत्र का पर्दाफाश होना चाहिए लेकिन यह तो बताइए कि 2018 से पहले जिन्होंने झीरम के सबूत जेब में होने का दावा किया था उनका क्या होगा?”

रमन सिंह ने प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने का दावा करते हुए कहा कि पांच साल तक आपने तो झीरम जैसे गंभीर मुद्दे का राजनीतिक लाभ लिया लेकिन अब भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश की व्यवस्था के अनुरूप इस पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी.

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बघेल ने किया राजनीतिक षड्यंत्र का दावा

झीरम घाटी जांच को लेकर एनआईए की याचिका खारिज होने पर भूपेश बघेल ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं कि उन्होंने एनआईए की याचिका खारिज कर दी… 2016 में बीजेपी सत्ता में थी और उन्होंने विधानसभा में घोषणा की कि सीबीआई जांच होगी लेकिन केंद्र सरकार ने इसे रोक दिया… जब हम सत्ता में आये तो हमने सबूतों के आधार पर एसआईटी का गठन किया… एनआईए अदालत के माध्यम से बाधा डालती रही… आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी… राजनीतिक साजिश आज रची गई है… हमारे पास सबूत हैं और वे फिर सामने आएंगे…”

 

‘किसी ने नहीं की राजनीतिक षड्यंत्र की जांच’

बघेल ने एक्स पर लिखा, “झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाज़ा खोलने जैसा है. झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था. इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था. कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की. छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरु की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था. आज रास्ता साफ़ हो गया है. अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी. किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था. सब साफ हो जाएगा. झीरम के शहीदों को एक बार फिर श्रद्धांजलि.”

 

रमन सिंह ने कहा- ‘5 साल तक सबूत जेब से बाहर नहीं आए’

पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि झीरम मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने शहीदों को न्याय दिलाने का रास्ता खोल दिया है. अब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनते ही झीरम मामले की पूरी जांच की जायेगी और जो भी अपराधी होंगे उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जायेगी.

सिंह ने कहा, ”…यहां (छत्तीसगढ़) 5 साल तक कांग्रेस की सरकार रही. जो 5 साल तक सबूत जेब में रहे, 5 साल तक वो सारे दस्तावेज बाहर नहीं लाए… आने वाले समय में बीजेपी की सरकार बनेगी और इस मामले की तुरंत जांच होगी…”

रमन सिंह ने एक्स पर लिखा, “हां! दाऊ भूपेश बघेल जी इस मामले की जांच से षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश होना चाहिए लेकिन यह तो बताइए कि 2018 से पहले जिन्होंने झीरम के सबूत जेब में होने का दावा किया था उनका क्या होगा? 5 साल तक आपने तो झीरम जैसे गंभीर मुद्दे का राजनीतिक लाभ लिया लेकिन अब भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश की व्यवस्था के अनुरूप इस पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी.”

 

क्या है मामला?

सुकमा के झीरम घाटी में 2013 में माओवादियों के हमले में कांग्रेस नेताओं की मौत की जांच एनआईए ने की है. इसके बावजूद जांच राज्य पुलिस से कराये जाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस पर ही सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की पीठ सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एनआईए इस मामले की जांच 2013 से ही कर रही है. इस मामले में 39 लोगों को आरोपी बनाया गया है. उनके खिलाफ 2 चार्जशीट दाखिल की गई हैं. अदालत के फैसले के बाद माओवादी हमलों में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों की जांच चलती रहेगी. छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2020 में एक नई एफआईआर दर्ज की थी. इसके खिलाफ एनआईए की याचिका कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि हम मामले में दखल नहीं देंगे.

इसे भी पढ़ें- झीरम घाटी हत्याकांड मामले में अब आगे क्या होगा?

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