छत्तीसगढ़ के साइबर फ्रॉड जमुई में हुए गिरफ्तार, गेमिंग ऐप के जरिए करते थे लोगों से ठगी
साइबर क्राइम की दुनिया में साइबर अपराधियों का हब बनते जा रहे जमुई में साइबर थाना खुलते ही पुलिस ने साइबर अपराधियों पर नकेल कसने…
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साइबर क्राइम की दुनिया में साइबर अपराधियों का हब बनते जा रहे जमुई में साइबर थाना खुलते ही पुलिस ने साइबर अपराधियों पर नकेल कसने में बड़ी सफलता हासिल की है. झारखंड के जामताड़ा के बाद साइबरअपराधियों के लिए शरण स्थली बन चुके जमुई में बीती रात पुलिस ने एक अंतर्राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार सभी साइबर अपराधी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और पिछले दो महीनों से जमुई जिला मुख्यालय में किराए के मकान में रहकर अपराध की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे.
गेमिंग एप के जरिए लोगों को ठगने वाले एक साइबरअपराधियों के गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ करते हुए उसमें शामिल पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है. इस दौरान पुलिस ने साइबर अपराधियों के पास से लैपटॉप, चेक बुक, पासबुक, एटीएम कार्ड, मोबाइल फोन सहित लाखों रुपए का सामान बरामद किया है. गिरफ्तार सभी साइबर अपराधी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं.
मामले की जानकारी देते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार ने बताया कि ईआरएसएस डायल 112 की टीम को सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति जमुई के सतगामा में अवस्थित श्रीराम अपार्टमेंट में रहकर साइबर फ्रॉड की घटना को अंजाम दे रहे हैं. डायल 112 की टीम के द्वारा साइबर थाना को सूचित किया गया. पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक छापेमारी टीम का गठन किया गया. उक्त टीम ने श्रीराम अपार्टमेंट में छापेमारी की इस दौरान पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया.
उन्होंने कहा कि गिरफ्तार अपराधियों की पहचान छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिला के भिलाई शास्त्री चौक निवासी रविशंकर कुमार पिता सुरेंद्र साव, आनंद कुमार पिता हजारी सिंह, सोनू कुमार पिता स्व. गोपाल साव, हर्ष कुमार पिता हजारी साव और बिहार के सिवान जिला के आसार थाना क्षेत्र के सहसराय गांव निवासी संदीप कुमार पिता हरेंद्र गौड़ के रूप में की गई है.
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जानिए कैसे करते थे ठगी
डीएसपी ने कहा कि गिरफ्तार अपराधियों के पास से 15 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप 16 चेक बुक- बैंक पासबुक और 14 एटीएम बरामद किया गया है. विभिन्न खातों में करीब 9 लाख की राशि भी पाई गई है, जिसे पुलिस ने सीज करा दिया है. उन्होंने बताया कि छानबीन के क्रम में यह बात सामने आया है सभी अपराधी माइकल रेड्डी और रेड्डी बुक विड्रॉल के नाम से ऑनलाइन गेमिंग में लोगों को फंसाते थे.
सट्टेबाजी के नाम पर पैसा लगाकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. इस दौरान एक दो लोगों को पैसा भेज भी दिया जाता था. अधिक पैसा होने की स्थिति में हवाला के जरिए भी पैसों का लेनदेन किया जाता था. यह सब अपराधी माइकल रेड्डी के सहयोगी अनिल साव जो दुर्ग जिला के भिलाई थाना क्षेत्र के शारवी चौक का निवासी है, उसके कहने पर ही इन सभी घटनाओं को अंजाम दे रहे थे.
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जब इनके मोबाइल अकाउंट में पेमेंट रिसीव हो जाता था तो इन लोगों से कन्फर्मेशन लिया जाता था. फिर कस्टमर को प्लेयर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराया जाता था. फिर उसी आईडी से प्लेयर गेम करते थे. हारने पर पैसा कंपनी को जाता था और जीतने पर पैसा प्लेयर के अकाउंट में भेज दिया जाता था.
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पुलिस के मुताबिक मोबाइल फोन में दो ऐसे नंबर मिले हैं जो अमेरिका और इंगलैंड के हैं. पुलिस इन नंबरों के बारे में पता लगा रही है.
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