BJP को रूपकुमारी चौधरी पर तगड़ा भरोसा, ताम्रध्वज साहू को कैसे देंगी टक्कर

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महासमुंद लोकसभा सीट पर इस बार जबरदस्त मुकाबला होने जा रहा है. 26 अप्रैल को यहां दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. बीजेपी ने यहां से रूपकुमारी चौधरी को मैदान पर उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता ताम्रध्वज साहू पर भरोसा जताया है.

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Mahasamund Lok Sabha Seat: महासमुंद लोकसभा सीट पर इस बार जबरदस्त मुकाबला होने जा रहा है. 26 अप्रैल को यहां दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. बीजेपी ने यहां से रूपकुमारी चौधरी को मैदान पर उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता ताम्रध्वज साहू पर भरोसा जताया है. रूपकुमारी साल 2013 से 2018 तक बसना से विधायक रह चुकी हैं. इस दरमियान 2015 से 2018 तक वे संसदीय सचिव भी रहीं. रूपकुमारी विधायक बनने से पहले जिला पंचायत की सदस्य भी रह चुकी हैं. वर्तमान में वे महासमुंद भाजपा की जिला अध्यक्ष हैं. 

संगठन में मजबूत पकड़


रूपकुमारी चौधरी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. वे RSS से जुड़ी हुई हैं और संगठन में मजूबत पकड़ रखती हैं. 47 साल की रुपकुमारी चौधरी 10वीं तक पढ़ी हैं और वे अघरिया समाज से ताल्लुकात रखती हैं. उनके पति ओम प्रकाश चौधरी भूमि विकास बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं. फिलहाल वे खेती करते हैं. 

रूप को बीजेपी ने इसलिए दिया टिकट


बसना विधायक रहने के दौरान रूपकुमारी चौधरी लोगों के बीच अपने जनसंपर्क को लेकर हमेशा चर्चा में रही. इसके चलते उन्हें बीजेपी ने उन्हें अपना स्टार प्रचारक भी बनाया. महासमुंद जिले की राजनीति में लगातार सक्रिय रहने के चलते पार्टी ने इस बार रूपकुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया, जिसका फायदा उन्हें जरूर मिल सकता है.

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जीत की हैट्रीक लगा चुकी है बीजेपी 


अगर महासमुंद सीट की बात करें तो आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का अधिक दबदबा रहा है लेकिन पिछले तीन चुनाव से इस पर बीजेपी जीत की हैट्रीक लगा चुकी है. मोदी लहर, राम मंदिर जैसे मुद्दों के कारण बीजेपी की स्थिति छत्तीसगढ़ में मजबूत जरूर दिखाई देती है लेकिन महासमुंद सीट में टक्कर कांटे की है. इस लोकसभा सीट में साहू वोटर्स का दबदबा ज्यादा है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद चुन्नीलाल साहू का टिकट काटकर रुपकुमारी को मौका दिया है. 

ताम्रध्वज साहू को लोग बता रहे बाहरी 


वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू को लेकर भी क्षेत्र में अच्छा माहौल है. लेकिन उनके बाहरी प्रत्याशी होने का मुद्दा भी गूंज रहा है. ऐसे में स्थानीय होने का फायदा रुपकुमारी चौधरी को कितना मिल पाता है ये तो देखने वाली बात होगी. 

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