Tokhan Sahu: इसलिए मंत्री बनाए गए तोखन साहू, देखते रह गए दिग्गज!
Tokhan Sahu: कभी ग्राम पंचायत से राजनीति में पदार्पण करने वाले तोखन साहू अब केंद्रीय राज्य मंत्री बन चुके हैं. छत्तीसगढ़ के भाजपा के दिग्गजों को पछाड़कर राज्य मंत्री बने तोखन साहू, पहली बार संसद सदस्य बने और नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में शामिल हुए.
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Tokhan Sahu: कभी ग्राम पंचायत से राजनीति में पदार्पण करने वाले तोखन साहू अब केंद्रीय राज्य मंत्री बन चुके हैं. छत्तीसगढ़ के भाजपा के दिग्गजों को पछाड़कर राज्य मंत्री बने तोखन साहू (Tokhan Sahu), पहली बार संसद सदस्य बने और नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में शामिल हुए.
साहू पिछले तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं. साहू की राजनीतिक यात्रा 1990 के दशक की शुरुआत में एक ग्राम पंचायत प्रतिनिधि के रूप में शुरू हुई.
कैसे दिग्गजों को पछाड़कर मोदी कैबिनेट में शामिल हुए साहू
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केंद्रीय मंत्री के पद पर साहू का उदय अप्रत्याशित रहा, दरअसल, छत्तीसगढ़ से बृजमोहन अग्रवाल, विजय बघेल और संतोष पांडेय जैसे अन्य प्रमुख नेताओं के रहते उनको यह जिम्मेदारी मिली
साहू पिछड़े वर्ग से आते हैं, जो छत्तीसगढ़ की ओबीसी आबादी का लगभग 14 प्रतिशत है. साहू को अपने समुदाय के भीतर एक निर्विवाद नेता माना जाता है. अपने पहले लोकसभा चुनाव में साहू ने बिलासपुर सीट पर 1,64,558 मतों के अंतर से जीत हासिल की, उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस के मौजूदा विधायक देवेंद्र यादव को हराया. साहू ने यादव के 5,60,379 वोटों के मुकाबले 7,24,937 वोट हासिल किए, जिससे बिलासपुर में 1996 से भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रहा.
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पंच से मंत्री तक का सफर
55 वर्षीय साहू ने अपना राजनीतिक जीवन साल 1994 में शुरू किया, जब वे लोरमी विकासखंड के सूरजपुरा गांव से निर्विरोध पंच चुने गए, जो अब मुंगेली जिले का हिस्सा है. वे 2005 में जनपद सदस्य बने और 2012 में बिलासपुर जिला सहकारी बैंक के प्रतिनिधि के रूप में चुने गए. साहू के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सफलता 2013 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिली, जहां उन्होंने तत्कालीन प्रभावशाली कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह को हराकर लोरमी विधानसभा सीट से विधायक के रूप में जीत हासिल की.
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2018 के राज्य चुनावों में, भाजपा की ओर से फिर से नामांकित किए जाने के बावजूद, साहू सिंह से हार गए, जिन्होंने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के टिकट पर चुनाव लड़ा था. अपनी हार के बावजूद, साहू सक्रिय राजनीतिक व्यक्ति बने रहे.
2023 के विधानसभा चुनाव में साहू समुदाय से ही आने वाले भाजपा सांसद अरुण साव ने लोरमी सीट जीती और विष्णु देव साय की भाजपा सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया.
जातिगत समीकरण बना प्रमुख कारण
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि साव के समर्थन और जातिगत समीकरणों पर भाजपा के फोकस ने मोदी की मंत्रिपरिषद में साहू की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के छह साहू उम्मीदवार चुने गए थे, लेकिन राज्य मंत्रिमंडल में केवल एक को ही नियुक्त किया गया था. ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि छत्तीसगढ़ से केंद्रीय मंत्री के रूप में साहू या एक अन्य ओबीसी समुदाय कुर्मी को चुना जाएगा.
दुर्ग से दूसरी बार सांसद और प्रमुख कुर्मी नेता विजय बघेल को भी मोदी सरकार में मंत्री पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था. मोदी के पिछले कार्यकाल में सरगुजा सीट से रेणुका सिंह ने केंद्रीय जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. सिंह हाल ही में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनी गई थीं. विष्णु देव साय ने मोदी के पहले कार्यकाल (2014-2019) के दौरान केंद्रीय इस्पात और खान राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया.
क्या बोले सीएम साय?
मोदी के पहले कार्यकाल (2014-19) के दौरान केंद्रीय इस्पात और खान राज्य मंत्री के रूप में कार्य करने वाले छत्तीसगड़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दिल्ली में नई एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के बाद साहू को बधाई दी. उन्होंने कहा, "यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण है. उनका (साहू का) केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना पूरे राज्य के लिए खुशी की बात है.
एक आधिकारिक बयान में साय के हवाले से कहा गया, "हम विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प को पूरा करने के लिए मिलकर काम करेंगे और देश और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे."
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