छत्तीसगढ़ चुनाव: इस विधानसभा सीट से कांग्रेस किसे बनाएगी अपना उम्मीदवार? जानें क्यों बन गई है बड़ी चुनौती

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Chhattisgarh Elections- विधानसभा क्रमांक 88 यानी दंतेवाड़ा विधानसभा (Dantewada Assembly Seat) सीट से कांग्रेस (Congress) की ओर से 19 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की है. यह पहली बार है जब इस सीट से दावेदारों की इतनी लंबी फेहरिस्त देखी जा रही है. बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने के लिए 27 अगस्त तक सभी ब्लॉकों के दावेदारों से आवेदन मंगाया था. ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि पार्टी यहां किसे अपना प्रत्याशी बनाती है.

दरअसल, कर्मा और कांग्रेस इस सीट के लिए एक दूसरे के पूरक के रूप में देखे जाते रहे हैं. लेकिन इस बार दावेदारों की सूची में कई युवा चेहरे हैं. कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा और बेटा छबिंद्र कर्मा के अलावा कर्मा कुटुंब से ही चार और दावेदार हैं. इसमें भानु कर्मा, सुरेश कर्मा, मुकेश कर्मा और एडवोकेट सत्यनरायण कर्मा शामिल हैं.

दूसरी ओर मंत्री कवासी लखमा गुट से शंकर कुंजाम का नाम भी चर्चा में है. शंकर कुंजाम बड़े बेड़मा से है. ये वही बड़े बेड़मा गांव है जो सीपीआई का गढ़ माना जाता रहा है. कुआकोंडा ब्लॉक स्थित इस गांव से मंत्री कवासी लखमा का लगाव किसी से छुपा नहीं है. कवासी लखमा के मंत्री बनने के बाद दंतेवाड़ा में पहला दौरा इसी गांव में हुआ था. यहां वे सबसे पहले समाजसेवी सोनी सोढ़ी के पिता मुंडा सोढ़ी और सीपीआई से पूर्व विधायक चाचा नंदाराम सोढ़ी के घर पहुंचे. कांग्रेस सरकार में इस परिवार की आर्थिक मदद भी हुई. इस गांव से शंकर कुंजाम का नाम चर्चा में आना दंतेवाड़ा विधानसभा के नए समीकरण को जन्म दे रहा है.

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हालांकि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अवधेश गौतम ने कहा कि विधानसभा से 19 आवेदन आए हैं. इसमें विधायक देवती कर्मा और बेटे छबिंद्र कर्मा का भी आवेदन है.  कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन कर रही है. इन सभी नामों को अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज रहे हैं.

बड़े बेड़मा इतना अहम क्यों?

बड़े बेड़मा गांव तीन दशक से चर्चित रहा है. कभी यह सीपीआई का गढ़ माना जाता था. इस गांव के नंदा सोढ़ी विधायक निर्वाचित हुए थे. लेकिन नंदा की सियासत को बड़ा झटका महेंद्र कर्मा ने दिया था. हालांकि महेंद्र कर्मा भी सीपीआई की राजनीति से ही निकल कर कांग्रेस में आए थे. इस हार से सीपीआई उबर नहीं पाई और अब वह हाशिए पर है. बावजूद इसके सोढ़ी परिवार का क्षेत्र में अच्छा-खासा प्रभाव है. सूत्रों की बात मानें तो सोढ़ी परिवार को कांग्रेस में लाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी पुरजोर प्रयास में लगे हुए हैं.

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परिवार या परिवार से बाहर, बड़ी चुनौती…

इस बार दंतेवाड़ा विधान सभा में कांग्रेस से छबिंद्र कर्मा के नाम की चर्चा जोरों पर है. पिछले विधानसभा चुनाव में छबिंद्र ने बगावती तेवर अख्तयार किए थे. लेकिन किसी तरह उनको मना लिया गया था. लेकिन इस बार कहा जा रहा है परिवार में विवाद की स्थिति नहीं है. परिवार के सभी सदस्य छबिंद्र कर्मा के लिए तैयार हैं. हालांकि विधायक देवती कर्मा और बेटे छबिंद्र कर्मा दोनों ने अपनी दावेदारी पेश की है. छबिंद्र कर्मा ने दंतेवाड़ा मंडल से आवेदन किया है. वहीं देवती कर्मा ने फरसपाल से आवेदन किया है. इन दो बड़े नामों बाद कर्मा कुटुंब से और भी  दावेदारों का सामने आना चिंता का सबब बना हुआ हुआ है. दरअसल, सुरेश कर्मा आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष हैं और दूसरा नाम सत्यनरायण कर्मा का है वे भी राजनीति में सक्रिय हैं और पेशे से वकील हैं. दोनों ही फरसपाल से हैं.

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ये हैं 19 दावेदार

देवती कर्मा, छबिंद्र कर्मा, सुरेश कर्मा, मुकेश कर्मा, भानुप्रताप कर्मा, सत्यनारायण कर्मा,राजकुमार तामो, जया कश्यप, अमसेलकर नाग, रूपधर नाग,मनकूराम,विनोद सोरी, शंकर कुंजाम, भीमा मंडावी, नंदा कुंजाम, पुष्पानाग, जागरा बिंजाम, गंगूराम कश्यप और महादेव नेताम.

(दंतेवाड़ा से रौनक शिवहरे की रिपोर्ट)

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