ताड़मेटला मुठभेड़: जानें क्यों सवालों के घेरे में है यह एनकाउंटर? अब CM ने कही ये बात

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Tadmetla Encounter- छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के ताड़मेटला और दूलेड गांव के जंगल में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में दो इनामी नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया. पुलिस अधिकारियों ने पांच सितंबर को यह जानकारी दी. लेकिन कई ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेता इस एनकाउंटर को फर्जी बता रहे हैं. इसके खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन भी जारी है. उनका आरोप है कि निर्दोष ग्रामीणों को मारकर उन्हें नक्सली करार दिया गया. अब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ताड़मेटला और दूलेड गांव के जंगल में मंगलवार सुबह करीब छह बजे सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में दो नक्सलियों, जगरगुंडा एरिया कमेटी के सोढ़ी देवा और रवा देवा को मार गिराया. उन्होंने कहा कि दोनों नक्सलियों के सर पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ताड़मेटला और दूलेड गांव के जंगल में जगरगुंडा एरिया कमेटी के 10-12 नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर डीआरजी, जिला बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के संयुक्त दल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था. सुरक्षाबल के जवान सुबह लगभग छह बजे ताड़मेटला और दूलेड गांव के बीच जंगल में थे तब नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला कर दिया. जिसके बाद सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की. पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि कुछ देर तक दोनों ओर से फायरिंग होने के बाद नक्सली वहां से भाग गए. बाद में जब सुरक्षाबल के जवानों ने घटनास्थल की तलाशी ली तब वहां दो नक्सलियों के शव, 12 बोर डबल बैरल की एक राइफल और एक पिस्टल बरामद की गई.

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लेकिन पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम पुलिस के इस दावे का खंडन करते हैं. वकील बेला भाटिया भी इस मुठभेड़ को लेकर सवाल उठा रही है.

कुंजाम ने की न्यायिक जांच की मांग

मनीष कुंजाम ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए इस घटना की निंदा करते हुए मांग की है कि इस घटना की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए. पिछले दिनों प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि उनका इसी दिन ग्राम एलमागुंडा में कार्यक्रम था. वे दिन में 10:30 बजे करीब चिंतागुफा गांव पहुंच गए थे. इसी दौरान सुकमा एसपी किरण चव्हाण का फोन आया कि ताड़मेटला में मुठभेड़ चल रहा है. आपका एलमागुंडा जाना उचित नहीं रहेगा. ऐसा कहने पर उन्होंने अपना कार्यक्रम स्थगित किया. कुंजाम ने सवाल उठाया, “अगर मुठभेड़ रात से चल रही थी तो आवाज सुनाई क्यों नहीं दी? फिर पुलिस अधीक्षक का इस टाइम में भी मुठभेड़ जारी है कहना संदेह को और गहरा करता है. चिंतागुफा से ताड़मेटला की दूरी 7- 8 किलोमीटर होगी. इतनी दूरी से आवाज तो आती ही.”

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पूर्व विधायक ने दावा किया, “वापसी के दौरान जब मैं पुसवाडा के पास पहुंचा तभी ताड़मेटला के पढ़े-लिखे एक लड़के का फोन आया कि आप मिनपा, एलमागुंडा  कितना समय पहुंच रहे हैं? मैंने कहा कि कार्यक्रम स्थगित करके वापस जा रहा हूं इसका कारण बताया. फोन में ही वो लड़के बताने लगे कि यहां ऐसा कोई घटना नहीं हुई है, हम लोग तो यही है, वे आश्चर्य में थे.”

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ग्रामीण बुरकापाल में इकट्ठा होकर पिछले पांच दिनों से विरोध पदर्शन कर रहे हैं

कुंजाम ने आरोप लगाया, “मंगलवार 5 सितंबर को रात 8-9 बजे फोन से बताया गया कि दो लड़के तिम्मापुरम अपने सगे संबंधी से मिलने गये थे. वापसी के दौरान उनको फोर्स ने वहीं कहीं पकड़ा होगा और मार डाला.”

‘दोनों ग्रामीण थे, माओवादी नहीं’

मूलवासी बचाओं मंच की पदाधिकारी और अधिवक्ता बेला भटिया ने कहा कि मारे गए दोनों ग्रामीण थे, माओवादी नहीं थे. उन्होंने दावा किया कि एक व्यक्ति मछली का बीज खरीदने गया था. जबकि दूसरा किराना दुकान के लिए सामग्री खरीदने गया था.

उन्होंने सवाल उठाया,  “मृतकों के पास से पैसे और मोबाइल गायब हैं. इतना ही नहीं दोनों की बाइक भी नहीं मिल रही है. बताया तो ये जा रहा है कि बाइक वे अपने सगा-सबंधी से मांगकर ले गए थे. उनकी बाइक और मोबाइल पुलिस के पास ही है.”

आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण

मुठभेड़ मामले को लेकर ताड़मेटला में ग्रामीण आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार आस-पास के गांव के सैकड़ों ग्रामीण ताड़मेटला पहुंच रहे हैं. जंगल के रास्ते उफनते बरसाती नाले को तैरकर पार करते ग्रामीणों का एक वीडियो भी सामने आया है. वहीं माओवादियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने प्रेस नोट जारी कर मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और बस्तर आईजी को जिम्मेदार ठहराया है.

दोषियों को सजा देने की मांग करते ग्रामीण

वहीं ग्रामीण बुरकापाल में इकट्ठा होकर पांच दिनों से विरोध पदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी होने की वजह से आंदोलन स्थल तक पहुंचने के लिए गांव वाले जंगल के रास्ते का सहारा ले रहे हैं.

आंदोलन स्थल तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करते ग्रामीण

मनीष कुंजाम घटना की जांच की मांग करते हुए कहते हैं, “पुलिस और फोर्स कहती हैं कि वे लोगों का विश्वास जीतना चाहती हैं. लेकिन इस तरह की घटना बताती है कि ये दावा सच्चाई से कोसों दूर है. भूपेश-लखमा के राज में पुलिस और फोर्स की इस निर्दयतापूर्ण घटना की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और आदिवासी महासभा कड़ी निंदा करती है. साथ ही मांग करती है कि इस घटना की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए.”

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सीएम बघेल ने क्या कहा?

सोमवार को बीजापुर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि उनकी सरकार मामले की जांच करा रही है. उन्होंने कहा, “ताड़मेटला मामले में पुलिस जांच कर रही है. पुलिस का कहना है कि मारे गए लोग नक्सली थे, फिर भी सरकार मामले की जांच करा रही है.”

 

(दंतेवाड़ा से रौनक शिवहरे, सुकमा से धर्मेंद्र सिंह और जगदलपुर से धर्मेंद्र महापात्र की रिपोर्ट)

इसे भी देखें- Sukma encounter: आखिर क्यों Sukma में इनामी नक्सलियों के Encounter पर उठ रहे सवाल

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