रायपुर: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, जानें क्या कह रहे हैं मरीज?

महेंद्र नामदेव

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Chhattisgarh Junior Doctors Strike- छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर मंगलवार से हड़ताल पर चले गए हैं. इसका असर प्रदेश की स्वास्थ सेवाओं पर साफ देखा जा रहा है. बुधवार को हड़ताल का दूसरा दिन है और मरीज अपने इलाज के लिए यहां-वहां भटकते दिखे. डॉक्टरों की हड़ताल का प्रभाव अब इमरजेंसी सेवाओं पर भी दिखने लगा है. बता दें कि बीते 6 सालों में स्टाइपेंड बढ़ोतरी को लेकर जूनियर डॉक्टर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया. इसके चलते रायपुर के अलावा सरगुजा, कांकेर, जगदलपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव के शासकीय कॉलेज के जूनियर डॉक्टर आंदोलन पर उतर आए हैं.

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनकी किसी भी प्रकार की जांच नहीं हो पा रही है. दूर-दूर से लोग रायपुर के हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट कराने के लिए आते हैं. ऐसे में उपचार के अभाव में उनको यहां-वहां भटकते देखा जा सकता है. जेएनएम मेडिकल कॉलेज रायपुर में इलाज कराने आए मरीजों ने कहा कि डॉक्टरों की मांगे सरकार को जल्द पूरी करनी चाहिए जिससे उन लोगों का इलाज हो सके.

सिंगारभाठा से इलाज कराने आए मरीज शत्रुहन साहू ने कहा कि वे बारिश के मौसम में दूर से गाड़ी किराए पर लेकर अस्पताल तक आए हैं. लेकिन ऐसे में डॉक्टर नहीं होने की वजह से उन्हें बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अप प्राइवेट अस्पताल में जाना उनकी मजबूरी होगी.

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अंबिकापुर से आए एक मरीज ने भी कहा कि दूर दराज से आने वाले मरीजों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि उनका सीटी स्कैन भी नहीं हो पाया.  बलरामपुर से आए महेंद्र ने भी सीटी स्कैन नहीं होने की बात कही.

धरना स्थल पर ओपीडी सेवाएं

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मनु प्रताप सिंह ने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनकी हड़ताल की वजह से किसी भी मरीज को परेशानी हो. उन्होंने बताया, “इसके लिए हम लोगों ने धरनास्थल पर ही व्यापक तौर पर ओपीडी सेवाएं दे रहे हैं.” उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वे डॉक्टरों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनें.

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क्या है प्रमुख मांगें?

जूनियर डाक्टरों (Chhattisgarh Junior Doctors Strike) का कहना है कि स्टाइपेंड कम रखा गया है जिसके चलते उनकी दैनिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती. उनका कहना है कि 19 जनवरी को पहले भी इस मांग को लेकर आंदोलन किया था जिसके बाद उनको आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही उनकी मांगें पूरी की जाएंगी. लेकिन कई महीने बीते जाने के बावजूद इस ओर कोई पहल नही होता देख वे फिर से आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गए हैं. डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी प्रदेश में 4 साल का बॉन्ड नहीं भरवाया जाता, सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही ऐसा हो रहा है. वहीं बीते 4 साल में मानदेय भी नहीं बढ़ाया गया है.

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