जब से कांग्रेस ने राजनांदगांव सीट से भूपेश बघेल को प्रत्याशी बनाया है, तब से ये हाईप्रोफाइल सीट बन गई है. बघेल का मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद संतोष पांडेय से होने जा रहा है. ऐसे में हम अपनी रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि भूपेश बघेल के लिए जीत की डगर कितनी कठिन हो सकती है.
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भूपेश बघेल के लिए राजनांदगांव में जीत का झंडा फहराना आसान नहीं है. बार-बार बीजेपी यही पूछ रही है कि भ दुर्ग छोड़कर भूपेश बघेल राजनांदगांव सीट से क्यों चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि पांडेय उन्हें आसानी से पटखनी दे देंगे. कांग्रेस फिलहाल आंतरिक गुटबाज़ी से जूझ रही है. वहीं बीजेपी इसके मुक़ाबले एकजुट है.
लेकिन सीएम भूपेश बघेल भी मजबूत कैंडिडेट हैं इसलिए बीजेपी को उनको हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए. राजनांदगांव लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला- मानपुर, डोंगरगढ़, खैरागढ़, कवर्धा और पंडरिया शामिल है. यहां की जातिगत समीकरण की बात करें तो राजनांदगांव लोकसभा सीट पर पिछड़ा वर्ग सबसे ज्यादा है...अकेले साहू समाज का वोट बैंक 5 लाख से ज्यादा का है. ऐसे में साहू समाज किसी भी प्रत्याशी को जिताने में अहम भूमिका निभाते हैं. पूरा समीकरण जानने के लिए देखें ये वीडियो.
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