Chhattisgarh Liquor scam: शराब घोटाले में ईडी का बड़ा एक्शन, टूटेजा और ढेबर की संपत्ति अटैच

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03 May 2024 (अपडेटेड: May 3 2024 5:23 PM)

Chhattisgarh Liquor scam:ईडी ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में एक बार फिर से बड़ा एक्शन लिया है. ईडी ने मनी लॉड्रिंग मामले में कई अधिकारियों और व्यापपारियों की संपत्ति जब्त की है. इनमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर की प्रोपर्टी भी शामिल है.

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Chhattisgarh Liquor scam:  छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार आरोपियों की प्रापर्टी अटैच की है. इसमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर की प्रोपर्टी भी शामिल है. घोटाले में शामिल आरोपियों की कुल 205.49 करोड़ की संपत्ति कुर्क की गई है.ईडी ने शुक्रवार को इसे लेकर बयान जारी किया है. ईडी ने कहा कि यह कार्रवाई राज्य के कई व्यापारी और अधिकारियों के खिलाफ की गई है.

ईडी की तरफ से जारी एक बयान में बताया गया कि कुर्क की गई संपत्तियों में टूटेजा की 15.82 करोड़ की 14 संपत्तियां, रायपुर मेयर ऐजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर की 116.16 करोड़ की 115 संपत्तियां, विकास अग्रवाल की 1.54 करोड़ रुपए की और अरविंद सिंह से जुड़ी 12.99 करोड़ रुपए की संपत्ति शामिल हैं.

ढेबर की ये संपत्ति हुई अटैच

ईडी ने बताया कि अनवर ढेबर की कुर्क की संपत्तियों में रायपुर स्थित होटल वेनिंग्टन कोर्ट भी शामिल है, जो उनकी फर्म ढेबर बिल्डकॉन द्वारा चलाया जा रहा है.इसके अलावा एक व्यवसायिक इमारत अकॉर्ड बिजनेस टॉवर भी शामिल है.अटैच की गई सभी संपत्तियों की कुल कीमत 205.49 करोड़ रुपए है.

इनके खिलाफ भी हुई कार्रवाई

बयान के अनुसार, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी और आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी की 1.35 करोड़ रुपये की संपत्ति, त्रिलोक सिंह ढिल्लों की 28.13 करोड़ रुपये की नौ संपत्तियां, नवीन केडिया के 27.96 करोड़ रुपये के आभूषण और आशीष सौरभ केडिया, दिशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की 1.2 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की गई है.

यूपी STF ने भी लिया एक्शन

इससे पहले 2 मई को इस कथित शराब घोटाले मामले में यूपी STF ने नोएडा के एक व्यवसायी विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया था. बता दें,ईडी ने टुटेजा को इस मामले में हाल ही में गिरफ्तार किया था. ईडी का आरोप है कि शराब की अवैध बिक्री के माध्यम से अर्जित कमीशन को "राज्य के सर्वोच्च नेताओं के निर्देशों के अनुसार" साझा किया गया था.

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