ED Raids in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई को लेकर प्रदेश में सियासत तेज है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के राजनीतिक सलाहकार और ओएसडी के घरों पर केंद्रीय एजेंसी के छापे ने एक ओर जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग को जन्म दिया तो वहीं ‘महादेव ऐप’ (Mahadev App) को भी चर्चा में ला दिया है. दरअसल, ईडी की हालिया छापेमारी इसी ऐप से जुड़े कथित अवैध लेन-देन को लेकर हुई है. ईडी का कहना है कि आरोपी ने सीएमओ से जुड़े अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के सलाहकार के साथ संबंधों का इस्तेमाल किया.
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ईडी ने बुधवार को आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ पुलिस के गिरफ्तार सहायक उप-निरीक्षक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक राजनीतिक सलाहकार के साथ अपने “संबंध” और दुबई से प्राप्त हवाला फंड का इस्तेमाल सीएमओ से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों और राजनेताओं को प्रभावित करने के लिए किया.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये महादेव ऐप क्या है (What is Mahadev App) जिसे लेकर ईडी ने मुख्यमंत्री के करीबी और स्टाफ पर शिकंजा कसा है. आखिर इसे लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला कैसे प्रकाश में आया?
क्या है ‘Mahadeo App’?
महादेव ऐप (Mahadev App) पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस और फुटबॉल जैसे विभिन्न लाइव गेम में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है. इसने भारत में विभिन्न चुनावों पर दांव लगाने की भी अनुमति दी. वहीं मनी लॉन्ड्रिंग का मामला छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम) और कुछ अन्य राज्य पुलिस इकाइयों की ओर उस ऐप के खिलाफ दर्ज की गई कई एफआईआर से उपजा है. छत्तीसगढ़ के भिलाई के रहने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक के मुख्य प्रमोटर माने जाते हैं और दुबई से इसका संचालन कर रहे हैं. माना जाता है कि इसका नेटवर्क भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश समेत अन्य कई देशों में फैला हुआ है.
ऐप के बनने की क्या है कहानी?
कोरोना काल के दौरान इस ऐप की शुरुआत हुई. पहले जूस की दुकान में काम करने वाले सौरभ चंद्राकर को इसका मेन ऑपरेटर माना जाता है. उसे सट्टा खेलने की आदत थी. पहले वह ऑफलाइन सट्टा खेलता था लेकिन कोरोना की वजह से ऑनलाइन सट्टा खेलने लगा. फिर उसने खुद ऐप बनाने की ठान ली. उसने कनाडा में बैठे अपने एक दोस्त से ऐप बनवाया और इसे महादेव ऐप नाम दिया. कुछ ही दिनों में लगभग 50 लाख लोग इसके मेम्बर बन गए. जानकारी के अनुसार, इस गेम की शुरुआत 500 रुपये से होती है. अगर कस्टमर हार भी जाता है तब भी उसे जीता हुआ दिखाया जाता है. उन्हें पैसे भी भेज दिए जाते हैं. ऐसे में ग्राहक झांसे में आता है और इसकी लत का शिकार हो जाता है. लिहाजा बाद में जब वह बड़ी रकम सट्टेबाजी में लगाता है तब उसको हार मिलती है. इस तरह इसके संचालक मोटी कमाई करते हैं. दरअसल, ऑनलाइन गेम के सॉफ्टवेयर की कमांड संचालकों के हाथ में होने के कारण इसमें खेलने वाले की हार-जीत तय होती थी. इसके संचालक चैट ऐप्स पर कई क्लोज ग्रुप चलाते हैं, वे वेबसाइटों पर संपर्क नंबर से विज्ञापन करते हैं. ऐसे नंबरों पर केवल व्हाट्सऐप पर ही संपर्क किया जा सकता है.
ईडी ने की ये कार्रवाई
ईडी ने कथित अवैध सट्टेबाजी ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, कथित हवाला ऑपरेटर भाइयों अनिल और सुनील दम्मानी और सतीश चंद्राकर नाम के एक व्यक्ति सहित चार लोगों को गिरफ्तार करने के बाद कई आरोप लगाए हैं. बता दें कि ईडी ने चारों लोगों को रायपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया, जिसके बाद उन्हें छह दिनों के लिए उनकी हिरासत में भेज दिया गया. वहीं एजेंसी ने बुधवार को राज्य की राजधानी रायपुर और दुर्ग में बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और दो विशेष कर्तव्य अधिकारियों (ओएसडी) पर छापे मारे. जबकि जिन चारों को गिरफ्तार किया गया है उन पर 21 अगस्त को ईडी ने छापेमारी की थी.
ईडी के क्या हैं आरोप?
-ईडी ने आरोप लगाया कि इन गिरफ्तार आरोपियों ने “विशेष रूप से सीएमओ से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों का नाम लिया है, जिन्होंने मासिक/नियमित आधार पर भारी रिश्वत प्राप्त की है.”
-ईडी के मुताबिक जांच में पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को करीब 65 करोड़ रुपये कैश मिले थे. उन्होंने अपना हिस्सा अपने पास रख लिया और बाकी राशि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत के रूप में बांट दी.
-ईडी ने दावा किया, “एएसआई वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वह सत्ता में कई लोगों को मासिक रिश्वत दे रहा था.”
-ईडी के अनुसार, पुलिसकर्मी ने “स्वीकार” किया है कि मई 2022 में सट्टेबाजी ऐप के संचालन के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कुछ कार्रवाई के बाद रिश्वत भुगतान बढ़ाया गया था.
-संघीय एजेंसी ने आरोप लगाया, “मामलों को कमजोर करने, गैर-जमानती अपराधों को शामिल करने और स्थानीय सट्टेबाजों तक अभियोजन को सीमित करने और उनके संचालन पर भविष्य की कार्रवाई को रोकने के लिए रिश्वत को बढ़ाया गया था.”
-जांच एजेंसी ने आरोप लगाया, “एएसआई वर्मा छत्तीसगढ़ में मुख्य संपर्ककर्ता के रूप में काम कर रहे थे और वह सतीश चंद्राकर के साथ महादेव ऑनलाइन बुक के दुबई स्थित प्रमोटरों से हवाला के जरिए मासिक रूप से मोटी रकम प्राप्त कर रहे थे. वे इसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से प्रमुख से जुड़े नेताओं को वितरित कर रहे थे.”
-इसमें दावा किया गया कि युवाओं और अर्थव्यवस्था पर अवैध सट्टेबाजी के विनाशकारी प्रभाव को देखने के बावजूद, राज्य पुलिस और राजनेताओं ने इन सभी अभियानों पर अपनी आंखें बंद रखीं.
-ईडी ने कहा, “भिलाई के युवा बड़ी संख्या में दुबई आते थे और बैक-एंड ऑपरेशन चलाने का अनुभव प्राप्त करने के बाद भारत वापस आते थे और अपने स्वयं के पैनल (सट्टेबाजी के लिए) खोलते थे.”
-ईडी ने दावा किया कि गिरफ्तार आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है और रिश्वत का विवरण और लाभार्थियों की एक सूची दी है.
सीएम बघेल ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि उनके इशारे पर ही प्रदेश में ईडी की कार्रवाई हो रही है. उन्होंने इसे राजनीतिक विद्वेष करार देते हुए कहा कि भाजपा पाटन में ईडी और आईटी के जरिए चुनाव लड़ना चाहती है. बघेल का कहना है कि उनसे जुड़े लोगों को सिर्फ परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई कर रही है. बघेल ने कहा, “महादेव ऐप में हमने पूरी कार्रवाई की. हमने लुक आउट सर्कुलर जारी किया. आरोपियों की गिरफ्तारी की. लेकिन वे (ईडी) जबरन इसमें घुस आए.” उन्होंने कहा कि शराब, कोयला घोटाला को लेकर भी ईडी इसी तरह कार्रवाई कर रही है. जबकि उन्होंने इन मामलों मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सरकार से सहायता मांगी थी. लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की. अभी तक सौरभ चंद्राकर और रवि उत्पल की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
रमन सिंह ने बघेल सरकार पर कसा तंज
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा, “अभी तक भूपेश बघेल सरकार को शराब, कोयला और चावल घोटालों में गिनते थे. आज मालूम हुआ कि सट्टेबाजी से भी मुख्यमंत्री निवास और मुख्यमंत्री कार्यालय के तार जुड़े हुए हैं.” उन्होंने कहा कि ईडी ने इस बात को साबित भी कर दिया है कि उनके तार कहां तक जुड़े हैं. मोटी रकम हर महीने इन्हें दिया जाता था. ईडी की टीम पूरे प्रमाण और साक्ष्य के साथ इनके घरों पर गई है और प्रमाण प्रस्तुत किए हैं. जो बयान दर्ज किए जा रहे हैं उसमें भी सारी बातें आ गई हैं.
पूर्व सीएम ने आरोप लगाया, “इसका मतलब ये हुआ कि जुआ, सट्टा और महादेव ऐप के नाम से प्रशिक्षण के लिए दुबई और हॉन्गकॉन्ग भेजा जाता था. यही कौशल उन्नयन मुख्यमंत्री जी करा रहे हैं.”
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