छत्तीसगढ़ राजनीति: फेरबदल से लेकर ‘लेटर बम’ तक, निशाने पर क्यों हैं अधिकारी?

अक्षय दुबे 'साथी'

• 02:11 PM • 04 Jan 2024

Chhattisgarh Politics- छत्तीसगढ़ में नई सरकार आने के बाद प्रशासनिक फेरबदल से लेकर कई अधिकारियों पर आरोपों की झड़ी लगाने का दौर शुरू हो गया…

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Chhattisgarh Politics- छत्तीसगढ़ में नई सरकार आने के बाद प्रशासनिक फेरबदल से लेकर कई अधिकारियों पर आरोपों की झड़ी लगाने का दौर शुरू हो गया है. 3 जनवरी को जहां 89 अधिकारियों के तबादले हुए वहीं, पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने कई संविदा अधिकरियों पर कांग्रेस मानसिकता का आरोप जड़ दिया. इसके साथ ही साय कैबिनेट ने सीजीपीएससी भर्ती मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करने का भी बड़ा फैसला लिया. यहां भी जाहिर तौर पर अधिकारी ही इस रडार पर आएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि साय सरकार कमान संभालते ही प्रशासनिक सर्जरी को क्यों प्राथमिकता दे रही है?

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बीजेपी हालिया फेरबदल को सामान्य प्रक्रिया बता रही है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसे ज्यादा तूल नहीं दिया. उन्होंने कहा, “नई सरकार बनी है, ट्रांसफर होते रहता है. अच्छा काम करें. सभी अधिकारियों को मैं शुभकामनाएं देता हूं.” लेकिन कांग्रेस के कई नेता इसे बदले की राजनीति करार दे रहे हैं. साथ ही पीएससी मामले पर सीबीआई जांच की सिफारिश को भी मुद्दे की बातों से ध्यान भटकाने की कवायद करार दे रहे हैं. कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मंत्रिमंडल की इस बैठक से उम्मीद थी कि जनता के हितों में फैसला होगा लेकिन इन्होंने पीएससी परीक्षा को सीबीआई जांच के लिए कहा है, इन्हें अपनी पुलिस पर भरोसा नहीं है, सिर्फ हौव्वा खड़ा करने के लिए ये फैसला लिया है.

निशाने पर अधिकारी? समझें ये तीन वाकया

संविदा अधिकारियों पर कंवर का ‘लेटर बम’

पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय से संविदा में कार्यरत अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर इन अधिकारियों के जरिए कांग्रेस को चुनाव में सरकार में आने की मंशा बताते हुए संविदा समाप्त करने की मांग की है. पूर्व विधायक ननकीराम कंवर ने 2 जनवरी को साय को लिखे पत्र में कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में फायदा लेने की मंशा से संविदा नियुक्ति दी गई थी.

इन आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों में सामान्य प्रशासन सचिव डीडी सिंह, डीजीपी अशोक जुनेजा, डीजीपी जेल संजय पिल्ले, राजभवन आईएएस अमृत खलखो, आदिम जाति कल्याण विभाग एके अनंत शामिल हैं. इनके अलावा लघु वनोपज संघ राकेश चतुर्वेदी, वन औषधि पादप बोर्ड जेएस राव, नवाचार आयोग अध्यक्ष विवेक ढांड, धनंजय देवांगन, एसएस बजाज, राय सिंह ठाकुर, एसपीएस श्रीवास्तव, डीएम अवस्थी, संजय शुक्ला के अतिरिक्त और भी अधिकारी-कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति दी गई है. कंवर ने आरोप लगाया कि ये सभी अधिकारी और कर्मचारी कांग्रेस मानसिकता के हैं, जिन्हें नियम न होने के बाद भी संविदा नियुक्ति दी गई है.

CGPSC मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश करेगी साय सरकार

छत्तीसगढ़ कैबिनेट (Chhattisgarh cabinet) ने 3 जनवरी को राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा-2021 (CGPSC) में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश करने का फैसला किया है. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस मुद्दे को कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए बखूबी इस्तेमाल किया था. यह निर्णय यहां मंत्रालय में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान लिया गया. बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने संवाददाताओं से कहा कि युवाओं के हित में राज्य सरकार ने सीजीपीएससी परीक्षा-2021 भर्ती में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों का मामला विस्तृत जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का फैसला किया है. सीजीपीएससी ने अपनी परीक्षा 2021 के तहत राज्य सरकार के 12 विभिन्न विभागों में 170 पदों के लिए चयन सूची जारी की थी.

पूर्व गृहमंत्री और भाजपा नेता  ननकीराम कंवर ने पिछले साल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें सीजीपीएससी परीक्षा 2021 के संबंध में एक स्वतंत्र एजेंसी, जैसे सीबीआई से निष्पक्ष जांच के निर्देश देने की मांग की गई थी. सितंबर 2023 में, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक याचिका में लगाए गए आरोपों को सत्यापित करने का निर्देश दिया कि CGPSC परीक्षा 2021 में चयनित 18 उम्मीदवार आयोग के पदाधिकारियों, उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और बड़े व्यापारियों के रिश्तेदार थे. याचिका में दावा किया गया था कि सीजीपीएससी परीक्षा 2021 के परिणाम से पता चला है कि तत्कालीन सीजीपीएससी अधिकारियों के रिश्तेदारों और प्रभावशाली राजनेताओं, नौकरशाहों और उद्योगपतियों के रिश्तेदारों को भ्रष्टाचार, पक्षपात आदि के कारण चुना गया था.

बड़ी प्रशासनिक सर्जरी, 89 अधिकारियों के तबादले

– विष्णुदेव साय सरकार ने तीन जनवरी को बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की. देर रात 89 आईएएस अफसरों का तबादला आदेश जारी किया गया.  रायपुर समेत 18 जिलों के कलेक्टर बदले गए. बता दें कि, विष्णुदेव कैबिनेट के मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के साथ ही ये अटकलें लगाई जा रही थी कि बहुत जल्द बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होने वाला है. इसमें दर्जन से ज्यादा जिलों के कलेक्टर बदले जाने की भी चर्चा थी.

देखें खास चर्चा: अफसरों पर आरोप, प्रशासनिक फेरबदल, साय सरकार के निशाने पर कौन?

साय सरकार के हालिया कदमों और बीजेपी नेता के बड़े आरोपों के बाद सवाल उठता है कि ज्यादातर मामलों में अधिकारी ही सरकार के रडार पर क्यों हैं? क्या है इसके पीछे की वजह? यह समान्य प्रक्रिया है या फिर कोई राजनीति? बीजेपी और कांग्रेस की इस पर क्या प्रतिक्रिया है, देखें इस पर खास चर्चा-

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