Chhattisgarh Gauthan Scheme- सरकार के बदलते ही कई पुरानी योजनाओं और नीतियों में बदलाव आम है, लेकिन छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने पूर्ववर्ती बघेल सरकार की एक योजना को आगे जारी रखने का फैसला किया है. बता दें कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मात देकर सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार गौठान योजना को पहले की तरह चलाना चाहती है. इस आशय की बड़ी जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने दी.
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केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि गौठान योजना पूर्ववत संचालित होती रहेगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि गौठान में अब भ्रष्टाचार नहीं होगा बल्कि वह लोगों के उत्थान के केन्द्र होगा. उन्होंने कहा, “अब गोठान भ्रष्टाचार का प्रतीक नहीं होगा. अब वो लोगों के उत्थान के केन्द्र होगा, इसी पर आज चर्चा हुई.”
केंद्रीय मंत्री ने मनरेगा को लेकर भी पूर्ववर्ती कांग्रेस पर बड़े आरोप लगाए. उन्होंने कहा, “इसमें भी कई घोटाले यहां हुए हैं. मैं पहले भी यहां आया था. उस पर भी चर्चा हुई.”
क्या है गौठान योजना?
कांग्रेस सरकार ने नरवा, गरुआ, घुरवा, बाड़ी योजना बनाई थी. इस योजना के तहत पूरे प्रदेश में गौठानों का निर्माण कराया गया था. इन गौठानों में गांव के गोधन को दिन में रखा जाता था. एक समिति इसका संचालन करती थी. यहां गोबर और गौमूत्र का संग्रहण किया जाता था. जैविक खाद बनाया जाता था. इससे समितियों को आय होती थी. साथ ही रोजगार सृजन होता था.
बीजेपी ने लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
भाजपा ने इस योजना में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मांग की थी कि चारा घोटाले की तर्ज पर ही गौठान घोटाले की सीबीआई (CBI) जांच हो. साथ ही पार्टी ने कहा था कि वह पूरी रिपोर्ट को कम्पाइल कर तमाम जांच एजेंसियों को भेजेगी. भाजपा विधायक और पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने गौठानों के नाम पर 1300 करोड़ रुपए के भारी दुरुपयोग और घोटाले का आरोप तत्कालीन प्रदेश सरकार पर लगाया था. लिहाजा प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद समझा जा रहा था कि यह योजना बन्द कर दी जाएगी. लेकिन सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार अब इस योजना को पहले की तरह चलाने के मूड में है.
अब इस योजना का क्या होगा?
पूर्ववर्ती बघेल सरकार की गौठान योजना को मौजूदा साय सरकार की ओर से जारी रखने के संकेत देने के बाद अब कई सवाल उठने लगे हैं. पहला तो यह कि चुनाव से पहले बीजेपी इसमें भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाती थी. चारा घोटाले की तर्ज पर ही गौठान घोटाले की सीबीआई (CBI) जांच की बात करती थी. तो क्या अब बीजेपी का मन बदल गया है या फिर उनको बघेल सरकार की यह योजना बहुत पसंद आ गई है? वहीं इस फैसले के बाद ‘गोधन न्याय योजना’ को लेकर अटकलें तोज हो गई हैं. दरअसल इस योजना के तहत राज्य के किसानों और पशुपालकों से गाय का गोबर और गोमूत्र की खरीदी की जाती थी. बघेल सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को की थी. दूसरा सवाल यह है कि क्या अब इस योजना को भी साय सरकार जारी रखेगी?
गाय की राजनीति में कौन धुरंधर?
देश की राजनीति में गाय के नाम का भरपूर इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन कांग्रेस दावा करती रही है कि वह छत्तीसगढ़ में उनके नाम पर राजनीति नहीं बल्कि असली गोसेवा करती रही है. तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई मौकों पर कहा कि बीजेपी गाय के नाम पर राजनीति करती है और उनकी सरकार गोसेवा. वहीं विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तूता क्षेत्र में गाय की मौतों को लेकर तब के प्रदेश भाजपा प्रमुख अरुण साव ने दावा किया था लगातार छत्तीसगढ़ में सड़कों पर गौमाता की मौतें हो रही हैं. ये बताता है कि किस प्रकार राज्य की भूपेश बघेल सरकार ऐसे कृत्य कर रही है. उन्होंने कहा था, “जनता कभी माफ नहीं करेगी. गौमाता की जो मौत हुई है इसके लिए दोषी कोई है तो वह भूपेश सरकार-कांग्रेस सरकार है.”
लेकिन छत्तीसगढ़ की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की गाय से जुड़ी योजनाओं को लेकर विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) खुलकर तारीफ करती रही है. इसे लेकर विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि बघेल सरकार की गाय से जुड़ी योजनाएं, गोबर-गोमूत्र खरीदी वगैरह की उन्होंने खुद सराहना की है. लेकिन बघेल सरकार हिंदू-मुस्लिम-ईसाई विवाद में संतुलन नहीं रख पाई.
इनपुट- गेंदलाल शुक्ल
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