CG Congress joins protest against coal mine projects in Hasdeo forest- छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य का मामला एक बार फिर चर्चा में है. प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद इस इलाके में हो रही वनों की कटाई को लेकर कांग्रेस साय सरकार के खिलाफ लामबंद हो गई है.
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पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव से लेकर पीसीसी प्रमुख दीपक बैज तक बीजेपी सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं और यहां आदिवासियों के आंदोलन को अपना भरपूर समर्थन दे रहे हैं. लेकिन बीजेपी के लिए यह इसलिए चिंता का सबब बनता दिखाई दे रहा है क्योंकि यह विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार के शुरुआती दिनों में ही कांग्रेस को उनपर हमलावर होने के एक बड़े मौके की तरह है. वहीं, इस मामले में बीजेपी अपनी सरकार को पूरी तरह संवेदनशील बता रही है और सीएम साय ने तो यहां तक कह दिया है कि यह सब कांग्रेस का किया धरा है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज ने रविवार को आरोप लगाया कि नवनिर्वाचित भाजपा सरकार कॉरपोरेट के हित में काम कर रही है और कोयला खदान विस्तार परियोजना के लिए जैव विविधता से समृद्ध हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ काटे जा रहे हैं. कोयला खदान परियोजनाओं के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में बैज और कई कांग्रेस कार्यकर्ता सरगुजा जिले के हरिहरपुर में ग्रामीणों के साथ शामिल हुए.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख बैज के आरोपों से पहले यह समझते हैं कि आखिर हसदेव अरण्य विवाद क्या है?
हसदेव पर क्यों बरपा हंगामा?
राज्य के उत्तरी भाग में कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिलों में 1,878 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हसदेव-अरण्य कोयला क्षेत्र रायपुर से लगभग 300 किमी दूर स्थित है. इस क्षेत्र को इसके समृद्ध जंगल के लिए ‘छत्तीसगढ़ का फेफड़ा’ कहा जाता है.
31 अक्टूबर 2022 को छत्तीसगढ़ के वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर सचिव ने भारत सरकार के वन महानिरीक्षक को पत्र लिखकर परसा ओपन कास्ट कोयला खदान उत्खनन पर रोक लगाने और वनों की कटाई के प्रस्ताव को रद्द करने का आग्रह किया था.
विशेष रूप से, हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा पूर्व और केते बसन (पीईकेबी) दूसरा-फेज विस्तार कोयला खदान के लिए ताजा पेड़ काटने की कवायद पिछले साल 21 दिसंबर को पुलिस सुरक्षा घेरे के बीच शुरू हुई थी.
स्थानीय प्रशासन ने दावा किया था कि उसके पास पीईकेबी-II में पेड़ काटने के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां थीं, जो पीईकेबी-I खदान का विस्तार है.
यह खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित की गई है, जिसने अदाणी समूह को एमडीओ (खदान डेवलपर और ऑपरेटर) दिया है.
वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा की ओर से 26 जुलाई 2022 को एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था कि हसदेव क्षेत्र में खनन गतिविधियां नहीं की जाएंगी और केंद्र को भेजा गया था.
लेकिन ताजा मामले के बाद इसमें सियासत तेज हो गई. सिंहदेव भी आंदोलनरत आदिवासियों का साथ देने हसदेव अरण्य पहुंच गए. वहीं बीते दिनों राजधानी रायपुर में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी इस मामले में बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन किए. इसके बाद रविवार को दीपक बैज भी हरिहरपुर पहुंचे.
बैज ने साय को घेरा
बैज ने प्रदर्शनकारियों से कहा, “पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान, राहुल गांधी ने कहा था कि अगर लोग ईवीएम पर कमल (भाजपा का प्रतीक) का बटन दबाएंगे, तो वीवीपैट से अदाणी निकल आएंगे और यह कथन राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद सच साबित हुआ है.” उन्होंने आरोप लगाया कि विष्णु देव साय सरकार ने जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों सहित प्राकृतिक संसाधनों को अडानी (समूह) को सौंपना शुरू कर दिया है.
बैज ने मुख्यमंत्री साय के इस दावे को खारिज कर दिया कि जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य में कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति पिछली कांग्रेस सरकार ने दी थी. उन्होंने आरोप लगाया, ”वास्तविकता यह है कि यह अनुमति और पर्यावरण मंजूरी मोदी सरकार द्वारा दी गई थी.”
कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने इस मंजूरी को रद्द कर दिया था और केंद्र को पत्र लिखकर अनुमति रद्द करने की मांग भी की थी.
बैज ने दावा किया कि दिसंबर 2023 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से अब तक हसदेव क्षेत्र में 50,000 पेड़ काटे गए हैं, और कहा कि कुल 3 लाख पेड़ काटे जाएंगे.
‘आदिवासी सीएम को चेहरा बनाकर अडानी के लिए लूटने का काम कर रही बीजेपी’
इसे लेकर बैज ने एक्स पर पोस्ट भी किया. उन्होंने लिखा कि हसदेव अरण्य मे चल रही जंगल की कटाई के विरोध मे आंदोलन मे शामिल हुआ भाजपा आदिवासी मुख्यमंत्री को चेहरा बनाकर अडानी के लिए छत्तीसगढ़ के जल,जंगल और जमीन को लूटने का काम कर रही है. सरकार बनने के साथ ही हसदेव में जंगल की कटाई शुरू होना इसका प्रमाण है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए संजीवनी!
बता दें कि कांग्रेस हसदेव मामले को लेकर हर मोर्चे पर बीजेपी को घेरने की रणनीति बना रही है. ऐसे में यह अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस इस मुद्दे पर आदिवासियों को साधने का प्रयास करेगी और खासतौर पर सरगुजा में अपनी खोई हुई ताकत पाने के लिए एड़ी-चोटी एक करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इसे सिंहदेव और बैज के ताजा बयानों और पार्टी की गतिविधियों से बखूबी भांपा जा सकता है. लिहाजा इस मसले पर अब बीजेपी सरकार के रूख पर सबकी नजर है.
हसदेव मामले पर देखें यह खास इंटरव्यू
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