Chhattisgarh Congres- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब कांग्रेस के भीतर आरोप-प्रत्यारोप की गूंज सुनाई देने लगी है. पार्टी के कई बड़े दिग्गज सरकार और संगठन के टॉप नेताओं को आड़े हाथ लेने लगे हैं. वहीं ऐसे आरोपों को लेकर कांग्रेस ने भी सख्ती दिखानी शुरू कर दी है. लिहाजा हारने के कुछ दिनों बाद, कांग्रेस ने गुरुवार को अपने दो पूर्व विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया और एक पूर्व मंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
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7 और 17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में, भाजपा 90 सदस्यीय सदन में 54 सीटें जीतकर सत्ता में वापस आई, जबकि कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई.
ताजा घटनाक्रम में निवर्तमान विधानसभा में कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह और डॉ. विनय जयसवाल को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल की अवधि के लिए निष्कासित कर दिया गया.
सिंह और जायसवाल को 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए टिकट नहीं दिया गया था और दोनों ने चुनाव में हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कई आरोप लगाए. इन आरोपों की जद में कांग्रेस के चार बड़े दिग्गज हैं.
बृहस्पत ने सिंहदेव-सैलजा को घेरा
रामानुजगंज (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक सिंह ने चुनाव में हार के लिए एआईसीसी महासचिव और छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी प्रभारी कुमारी सैलजा और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को जिम्मेदार ठहराया.
बता दें कि जुलाई 2021 में बृहस्पत सिंह ने सिंहदेव पर उनके फॉलो गार्ड के वाहन पर हमला करने का आरोप लगाया था और उनसे अपनी जान को खतरा होने की भी बात कही थी.
जायसवाल ने राज्य सह प्रभारी पर लगाए गंभीर आरोप
2018 में मनेंद्रगढ़ से पहली बार विधायक चुने गए जायसवाल ने कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद दावा किया कि उन्होंने एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव और राज्य सह प्रभारी चंदन यादव को पैसे दिए थे. जायसवाल ने कहा था कि उन्होंने 7 लाख रुपए यादव को दिए थे. उन्हें यह नहीं पता कि पैसे कहां इस्तेमाल हुए. उन्होंने यह पैसे पार्टी के लिए दिए थे.
पूर्व मंत्री ने बघेल पर बोला हमला!
पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पिछले हफ्ते कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में विधानसभा चुनाव हार गई क्योंकि सत्ता केंद्रीकृत हो गई थी और मंत्रियों को उनके उचित अधिकार नहीं दिए गए थे. इस बयान को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर हमले के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने सामूहिक नेतृत्व की कमी, केवल ग्रामीण सीटों पर ध्यान केंद्रित करने, चुनाव से पहले “वास्तविक सर्वेक्षण” की कमी और पार्टी में “झगड़े के माहौल” को लेकर भी बघेल पर उंगली उठाई थी.
तीन बार विधायक रहे अग्रवाल को इस बार कोरबा सीट से भाजपा के लखनलाल देवांगन के खिलाफ 25,629 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
पार्टी ने दिखाई सख्ती लेकिन…
दो पूर्व विधायकों बृहस्पत सिंह और विनय जयसवाल के निष्कासन आदेश में कहा गया है कि 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद उनकी ओर से प्रदेश प्रभारी और वरिष्ठ नेताओं पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे. आदेश में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के निर्देश पर दोनों नेताओं को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है.
पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस में पार्टी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया था और (पिछली) कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाए थे और परोक्ष रूप से सरकार के मुखिया पर गंभीर आरोप लगाए थे. नोटिस में कहा गया है कि अग्रवाल के बयान से पार्टी की छवि खराब हुई है और उनसे तीन दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है. निष्कासन आदेश और कारण बताओ नोटिस राज्य कांग्रेस प्रभारी महासचिव (संगठन और प्रशासन) मलकीत सिंह गैंदू द्वारा जारी किए गए थे.
जानकारों का कहना है कि इस करारी शिकस्त के बाद पार्टी के भीतर अभी और भी विरोध के स्वर सुनाई देंगे. फिलहाल इन दिग्गज नेताओं के निशाने पर भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, कुमारी सैलजा और चंदन यादव हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस निष्कासन और नोटिस के जरिए कैसे संगठन के भीतर सब कुछ ठीक करती है.
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