Biological Diversity (Amendment) Bill-2023- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने गुरुवार को जैव विविधता अधिनियम 2002 (Bio Diversity Act 2002) में संशोधन को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है. सीएम बघेल ने इस संशोधन को आदिवासी विरोधी करार दिया है. उन्होंने कहा है कि यह संशोधन आदिवासी हितों के विपरीत है.
ADVERTISEMENT
मुख्यमंत्री बघेल ने ट्वीट किया कि लोकसभा से 25 जुलाई एवं राज्यसभा से 1 अगस्त को जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, पारित कर दिया गया. इस संशोधन के बाद जैव विविधता उल्लंघन से संबंधित अपराधों को समाप्त कर दिया जायेगा.
‘वन संसाधनों की लूट की छूट है इसका उद्देश्य’
बघेल ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित संशोधन में निजी क्षेत्र की कंपनियों को सभी प्रकार के वन क्षेत्रों में व्यापार की छूट देता है. इसका वास्तविक उद्देश्य कार्पोरेट सेक्टर को वन संसाधनों की लूट की छूट देना है. इस संशोधन के माध्यम से वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को भी बैक डोर से बाई पास करने की मंशा है.
‘आदिवासियों के हितों पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव’
बघेल ने दावा किया कि इस संशोधन से आदिवासियों के हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. वन क्षेत्रों में कार्पोरेट जगत की एंट्री सरल करने से आदिवासियों के वन क्षेत्रों से बेदखली की आशंका उत्पन्न हो गयी है.
क्या कहता है केंद्र?
जैव विविधता संशोधन विधेयक-2023 एक अगस्त को संसद से पारित हो गया था. सरकार के मुताबिक, विधेयक का उद्देश्य औषधीय पौधों पर अनुसंधान को बढ़ावा देना, पौधों से बनने वाली दवाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करना और वन उपज में शामिल स्थानीय व्यक्तियों के लिए लाभ पहुंचाना है. इस विधेयक से घरेलू कंपनियों के लिए आवश्यकताओं को सरल बनाने के लिए जैविक विविधता अधिनियम-2002 में संशोधन हो सकेगा.मविधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा था कि यह प्रधानमंत्री मोदी के मिशन लाइफ और सतत जीवन के आह्वान को मजबूती देगा. उन्होंने कहा कि इससे जनजातियों को लाभ मिलने के साथ ही दुनिया को भारत के पारंपरिक औषधीय ज्ञान का संदेश देगा. यादव ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना और पेटेंट आवेदनों की तेजी से ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करना है.
ADVERTISEMENT