Amit Shah Vs Rahul Gandhi in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. दोनों दलों के बड़े नेताओं की आवाजाही भी शुरु हो चुकी है. वहीं राज्य की सबसे बड़ी आबादी आदिवासियों को साधने के लिए भी सियासी पार्टियां हर संभव कोशिश कर रही हैं. इसका एक नजारा आज छत्तीसगढ़ में साफ तौर पर देखने के लिए मिला. दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) शनिवार को चुनावी राज्य में अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल हुए. दोनों प्रतिद्वंदी नेताओं ने जनता को संबोधित भी किया. इस दौरान आदिवासियों को लेकर दोनों ने एक-दूसरे की पार्टी पर जमकर निशाना साधा. शाह ने जहां धर्मांतरण का हवाला देते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाए. तो वहीं वनवासी शब्द पर आपत्ति जताते हुए राहुल ने भाजपा पर हमला बोला.
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राज्य में निवासरत करीब 32 फीसदी आदिवासियों को साधने के लिए दोनों ही दल अपने-अपने तरीकों से यहां काम कर रही हैं. जहां भाजपा इन इलाकों में धर्मांतरण को प्रमुख मुद्दा बनाने में लगी है. वहीं कांग्रेस उन्हें आदिवासियों का दुश्मन करार देते हुए खुद को आदिवासियों की संरक्षक बता रही है. लिहाजा इसी रणनीति के तहत दोनों दिग्गज नेता एक-दूसरे की पार्टी पर हमला बोलेते नजर आए.
शाह ने क्या कहा?
रायपुर में आरोप पत्र जारी करते हुए अमित शाह ने धर्मांतरण को लेकर बघेल सरकार पर निशाना साधा.उन्होंने कांग्रेस से पूछा, “आपने वादा किया था कि आदिवासी संस्कृति की रक्षा करेंगे लेकिन यहां वोट के लालच में धर्मांतरण करवा रहे हैं.” उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता को तय करना है कि उन्हें आदिवासियों की संस्कृति को कुचल कर धर्म परिवर्तन कराने वाली सरकार चाहिए या आदिवासियों की संस्कृति को संरक्षित और सुरक्षित करने वाली भाजपा की सरकार चाहिए?
राहुल ने क्या कहा?
नवा रायपुर में युवाओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने भाजपा को आदिवासी विरोधी करार दिया. “आदिवासियों के लिए हमने पेशा कानून लाया.उनके अधिकारों की रक्षा की. इस देश की धरती के पहले मालिक आप थे. जल-जंगल-जमीन पर आपका हक बनता है. बीजेपी ने एक शब्द निकाला है वनवासी इसका अलग मतलब है. आदिवासी युवा जो सपने देखते हैं हम चाहते हैं वह पूरा हो.” उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “वे चाहते हैं कि आप जंगल में ही रहे. जंगल के बाहर न आए. उनका कहना है कि आप पहले हिंदुस्तान के मालिक नहीं थे. आप जंगल में ही रहें. लेकिन हम चाहते हैं कि आपको अपना पूरा हक मिले.”
राहुल गांधी ने कहा, “वे आदिवासियों को अलग नाम दे देंगे. एक धर्म को दूसरे धर्म से और एक भाषा को दूसरी भाषा से लड़ा देंगे. ये नफरत फैलाते हैं. जबकि भारत जोड़ने के जरिए हमने सबको जोड़ने का काम किया. इस यात्रा के जरिए हमने लोगों को संदेश दिया कि पहले आप हिंदुस्तानी हैं. हम जोड़ते हैं. वे नफरत फैलाते हैं. हम किसानों के लिए और छोटे व्यापारियों के लिए काम करते हैं और वे दो तीन अरबपतियों के लिए काम करते हैं.”
क्या है धर्मांतरण बनाम वनवासी?
बता दें कि वनवासी शब्द का इस्तेमाल आरएसएस और भाजपा के विचारों को मानने वाले आदिवासियों के लिए करते हैं. उनका कहना है कि जिस तरह ग्रामवासी और नगरवासी होते हैं उसी तरह वनवासी होते हैं. वनवासी कल्याण आश्रम जैसी संस्थाएं भी आरएसएस की ओर से संचालित की जाती हैं. लेकिन कांग्रेस इस शब्द के पीछे साजिश देखती है. इससे पहले भी इसे लेकर राहुल गांधी भाजपा पर निशाना साध चुके हैं. जबकि भाजपा लगातार कांग्रेस के शासनकाल में धर्मांतरण बढ़ने का दावा करती है. हालांकि पिछले दिनों एक इंटरव्यू में सीएम बघेल ने दावा कि था कि सबसे ज्यादा धर्मांतरण डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में हुआ था. इसे लेकर उनके पास साक्ष्य भी हैं. उन्हें भाजपा नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को चुनौती देने तक की बात कही थी.
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