सीआरपीएफ में भर्ती हुए दो जवानों के परिवारों ने ‘नक्सलियों की धमकियों से’ गांव छोड़ा

ChhattisgarhTak

• 08:44 AM • 05 Jul 2023

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के दो युवकों का केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में नियुक्ति होने से नाराज नक्सलियों की कथित धमकी के…

ChhattisgarhTak
follow google news

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के दो युवकों का केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में नियुक्ति होने से नाराज नक्सलियों की कथित धमकी के बाद दोनों युवकों के परिवार ने अपना गांव छोड़ दिया. पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय पुलिस को घटना के बारे में जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में विवरण जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि जानकारी मिली है कि जिले के कुटरू थानाक्षेत्र अंतर्गत दरबा गांव के निवासी दो आदिवासी युवाओं का परिवार गांव छोड़कर दंतेवाड़ा जिला चला गया है. सूत्रों ने बताया कि दोनों युवकों की लगभग छह महीने पहले सीआरपीएफ में नौकरी लगी थी.

उन्होंने बताया कि दोनों युवकों के केंद्रीय बल में शामिल होने से नाराज नक्सलियों ने कथित तौर पर उनके परिवार को गांव छोड़ने के लिए कहा था. सूत्रों ने बताया कि दोनों परिवारों के लगभग 11 लोग पड़ोस के दंतेवाड़ा जिले में अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं. क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी से घटना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुछ स्रोतों के माध्यम से पुलिस को जानकारी मिली है कि हाल ही में सीआरपीएफ में भर्ती हुए युवकों का परिवार अपना निवास स्थान छोड़कर दंतेवाड़ा में स्थानांतरित हो गया है. उन्होंने कहा, ”हम ऐसे किसी भी घटना के पीछे के सही कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.”

पुलिस महानिरीक्षक ने कहा, ”यह सच है कि कई युवा लड़के और लड़कियां सरकारी सेवाओं में भर्ती होकर क्षेत्र में शांति और विकास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए आगे आए हैं.” सुंदरराज ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य बदलाव है कि जो लोग पहले ऐसे अवसरों से वंचित थे, उन्हें अपनी मूल आबादी की सेवा करने का अवसर मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही गांवों में उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बहुत महत्वपूर्ण है.

बस्तर क्षेत्र में तैनात एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि नक्सली बस्तर में अपना आधार खोने से चिंतित हैं और पुलिस या अर्धसैनिक बलों में शामिल होने वाले आदिवासी युवाओं के परिवारों को धमकी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को मुख्यधारा में शामिल होने से रोकने की यह नक्सलियों की रणनीति रही है और वे अपना प्रभाव बनाए रखना चाह रहे हैं.

    follow google newsfollow whatsapp