बिलासपुर सीट पर देवेंद्र यादव और तोखन साहू के बीच कड़ा मुकाबला, कौन मारेगा बाजी?

बिलासपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव का मुकाबला बीजेपी के तोखन साहू से होने जा रहा है. बिलासपुर लोकसभा में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें वर्तमान में कांग्रेस के पास 2 सीटें हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने इस सीट को जीतने के लिए चुनौती कड़ी है.

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Bilaspur Lok Sabha Seat: कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट से भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है. उनका मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व विधायक तोखन साहू से होने जा रहा है. इससे पहले के चुनाव में बीजेपी से इस लोकसभा सीट पर प्रत्याशी में फेरबदल किया था, जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला.. एक बार फिर से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदलकर उतारा है. वहीं कांग्रेस ने युवा नेता देवेंद्र यादव पर दांव खेला है. इस रिपोर्ट में हम समझने की कोशिश करेंगे की दोनों प्रत्याशियों में ज्यादा दमदार कौन है.

सबसे कम उम्र में महापौर बने देवेंद्र यादव


कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव की बात करें तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की. साल 2009 में देवेंद्र एनएसयूआई के दुर्ग जिलाध्यक्ष बने थे. यह वह दौर था जब कांग्रेस संगठन और पूर्व सीएम अजीत जोगी दोनों चुनाव में अपने अपने प्रत्याशी उतारते थे....देवेंद्र यादव, जोगी खेमे के खिलाफ एनएसयूआई की ओर से चुनाव लड़ रहे थे. इसके बाद साल 2012 में देवेंद्र यादव एनएसयूआई के निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष बने..... युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए 2015 में उन्हें भिलाई नगर निगम चुनाव में महापौर का उम्मीदवार बनाया और वो चुनाव जीत गए , तब वो मात्र 25 साल के थे. इस चुनाव को जीतकर देवेंद्र देश के सबसे कम उम्र के महापौर बन गए. इसके बाद साल 2018 के चुनाव में देवेंद्र यादव राजस्व एवं उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में हराकर भिलाई के विधायक बने. साल 2023 विधानसभा चुनाव में भी इसी सीट पर देवेंद्र दोबारा जीतकर विधायक बन गए. हालांकि फिलहार वो कोल घोटाले के मामले में वो ईडी की रडार पर हैं. ऐसे में जेल जाने का खतरा भी उनके ऊपर मंडरा रहा है. 

जानें तोखन साहू का राजनीतिक सफर


अब बात करें बीजेपी प्रत्याशी तोखन साहू की तो वो लोरमी के विधायक रह चुके हैं. उन्होंने लोरमी के छोटे से गांव से राजनीति की शुरुआत की थी. वे 1994 में सुरजपुरा से पंच रह चुके हैं. इसके बाद सरपंच और जनपद सदस्य भी रह चुके हैं....इसके बाद 2013 में लोरमी से वो विधायक बने. विधायक रहते हुए रमन सिंह के कार्यकाल में वो संसदीय सचिव भी रहे. वहीं, कुछ ही दिन पहले तोखन साहू को छत्तीसगढ़ भाजपा के किसान मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया है....2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को दी, जिसका ईनाम उन्हें लोकसभा का टिकट देकर दिया.

बिलासपुर लोकसभा की 2 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा 


अब थोड़ी बात बिलासपुर लोकसभा सीट को लेकर भी कर लेते हैं. इस लोकसभा के अंदर 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें कोटा, लोरमी, मुंगेली, तखतपुर, बिल्हा, बिलासपुर, बेलतरा और मस्तूरी शामिल है. इनमें से केवल कोटा और मस्तूरी ही कांग्रेस के कब्जे में है बाकी 6 सीटों में बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में बिलासपुर लोकसभा सीट में कांग्रेस के लिए चुनौती बड़ी है. वहीं बीजेपी बिलासपुर सीट में बाहरी प्रत्याशी होने के मुद्दों पर भी कांग्रेस को घेरती नजर आ रही है... इस सीट में भले ही तोखन साहू चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन यहां डिप्टी सीएम अरुण साव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
 

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