Chhattisgarh Election 2023- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने शुक्रवार को राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 16 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की. इस पार्टी की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने की थी. यह सूची जेसीसी (जे) अध्यक्ष अमित जोगी (Amit Jogi) ने अपने एक्स हैंडल पर साझा की है.
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इन 16 सीटों में से एक खैरागढ़ सीट पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में जीती थी, लेकिन बाद में पिछले साल उपचुनाव में हार गई. इन 16 निर्वाचन क्षेत्रों में से आठ अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए और एक अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणियों के लिए आरक्षित हैं.
90 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए 7 और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है. शुक्रवार को पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है, जिसमें 20 सीटों पर मतदान होगा. शेष 70 सीटों पर 17 नवंबर को मतदान होगा. वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी.
सूची में कोई भी महिला उम्मीदवार शामिल नहीं है. पार्टी ने बस्तर क्षेत्र की चार सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जहां पहले चरण में मतदान होगा.
खैरागढ़ सीट से इन्हें बनाया उम्मीदवार
पार्टी ने खैरागढ़ सीट से लक्की कुंवर नेताम को मैदान में उतारा है, जिसे 2018 में जेसीसी (जे) के देवव्रत सिंह ने जीता था. सिंह पहले तीन बार कांग्रेस विधायक थे, उनकी नवंबर 2021 में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. पिछले साल अप्रैल में सिंह के निधन के बाद जरूरी हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने खैरागढ़ पर कब्जा कर लिया. कांग्रेस निवर्तमान विधायक यशोदा वर्मा को फिर से मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने एक युवा चेहरे विक्रांत सिंह को मैदान में उतारा है, जो राजनांदगांव जिला पंचायत के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के रिश्तेदार हैं.
इन्हें मिला टिकट
सूची के अनुसार, जेसीसी (जे) के अन्य उम्मीदवार रवि चंद्रवंशी (पंडरिया सीट), सुनील केशरवानी (कवर्धा), लोकनाथ भारती (डोंगरगढ़-एससी), शमशुल आलम (राजनांदगांव), मुकेश साहू (डोंगरगांव), विनोद पुरम (खुज्जी), नागेश पुरम (मोहला-मानपुर-एसटी), शंकर नेताम (कोंडागांव-एसटी), बलिराम कचलम (नारायणपुर-एसटी), सोनसाय कश्यप (बस्तर-एसटी), नवनीत चंद (जगदलपुर), भरत कश्यप (चित्रकोट-एसटी), बेला नेताम (दंतेवाड़ा-एसटी), रामधर जुर्री (बीजापुर-एसटी) और देवेंद्र तेलम (कोंटा-एसटी) हैं.
2018 में बसपा के साथ था गठबंधन
जेसीसी (जे) ने पिछला चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन में लड़ा था और सात सीटें जीतकर तीसरे मोर्चे के रूप में उभरी थी, लेकिन इस बार वह कांग्रेस और भाजपा के प्रभुत्व वाली द्विआधारी राजनीति में राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है.
हालांकि छत्तीसगढ़ Tak के साथ एक बातचीत में, अमित जोगी ने कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए सर्व अन्य छोटे दलों से संपर्क कर रही है. हालांकि, पार्टी ने अब तक किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है.
वहीं इस बार मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने गोंगपा के साथ गठबंधन किया है.
कैसा है पार्टी का हाल?
साल 2020 में अजीत जोगी की मृत्यु के बाद जेसीसी (जे) एक तरह से संकट का सामना कर रही है. साल 2000 से 2003 तक राज्य में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने वाले अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद 2016 में जेसीसी (जे) बनाई और 2018 का विधानसभा चुनाव बसपा के साथ गठबंधन में लड़ा. 2018 में कांग्रेस 90 में से 68 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी, जबकि भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई. जबकि जेसीसी (जे) को पांच सीटें और उसकी सहयोगी बसपा को 2 सीटें मिलीं. जेसीसी (जे) का वोट शेयर 7.6 प्रतिशत रहा, जिसे छत्तीसगढ़ में किसी क्षेत्रीय पार्टी का पहला महत्वपूर्ण प्रदर्शन माना गया. हालांकि, मई 2020 में अजीत जोगी की मृत्यु के बाद, अमित जोगी पार्टी को एक साथ रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
विधायक अजीत जोगी और देवव्रत सिंह की मृत्यु के बाद हुए उपचुनावों में जेसीसी (जे) दो विधानसभा क्षेत्रों – मरवाही और खैरागढ़ – हार गई. जेसीसी (जे) के दो अन्य विधायकों – धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया, जिससे कोटा का प्रतिनिधित्व करने वाली दिवंगत अजीत जोगी की पत्नी और एकमात्र विधायक रेणु जोगी
की सीट ही संगठन के पास रह गया. अब इस चुनाव में पार्टी कैसे अपनी पैठ बनाती है यह देखना दिलचस्प होगा.
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