परिवर्तन यात्रा: मां दंतेश्वरी मंदिर से अपनी यात्रा क्यों शुरू करती है भाजपा? जानें क्या है वजह

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• 05:39 AM • 12 Sep 2023

BJPs Parivartan Yatra in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा मंगलवार को प्रदेश में अपनी ‘परिवर्तन यात्रा’ का आगाज करेगी. इस सियासी यात्रा…

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BJPs Parivartan Yatra in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा मंगलवार को प्रदेश में अपनी ‘परिवर्तन यात्रा’ का आगाज करेगी. इस सियासी यात्रा के जरिए पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के कथित भ्रष्टाचार को उजागर करेगी और साथ ही केंद्र की जन कल्याण योजनाओं, नीतियों के बारे में लोगों को बताएगी. इसके जरिए प्रदेश के कुल 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 87 को कवर करने का लक्ष्य है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे और उसके बाद वहां एक सार्वजनिक रैली करेंगे. जबकि दूसरी ‘परिवर्तन यात्रा’ को 15 सितंबर को जशपुर (उत्तरी छत्तीसगढ़) में भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा हरी झंडी दिखाएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि इस यात्रा को दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर से शुरू करने का मतलब क्या है?

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आदिवासी बाहुल्य छ्त्तीसगढ़ में माना जाता है कि सत्ता की चाबी बस्तर के पास है. वहीं दंतेवाड़ा स्थित दंतेश्वमरी मां मंदिर बस्तर की आराध्य देवी है. आदिवासियों के बीच इस मंदिर की मान्यता किसी से छिपी नहीं है. मान्यता है कि यहां से जो भी यात्राएं निकली हैं अधिकांश यात्रा ने सत्ता तक पहुंचने का मार्ग प्रसस्त किया है.बीजेपी ने इससे पहले 2003 में यहां से ‘परिवर्तन यात्रा’ निकाली थी जिसे लाल कृष्ण आडवाणी ने हरी झंडी दिखाई थी. इसके बाद भाजपा ने 15 साल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया. फिलहाल बस्तर की 12 विधान सभा सीट कांग्रेस के पास है. ऐसे में एक बार फिर परिवर्तन यात्रा इसी जगह से निकाली जा रही है.

जानकारों का मानना है कि भाजपा की नजर 32 फीसदी आदिवासी आबादी पर प्रमुखता से है. इसीलिए इस यात्रा की शुरुआत भी बस्तर और सरगुजा क्षेत्र से की जा रही है. वहीं झीरम कांड को देख कर आज भी बस्तर की जनता के मन में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की यादें ताजा हो जाती हैं. जबकि बीजेपी 20 वर्षो के बाद एक बार फिर परिवर्तन यात्रा निकालने के लिए तैयार है. राज्य भाजपा प्रमुख अरुण साव ने पिछले सप्ताह कहा था कि पहली यात्रा 16 दिनों में बस्तर, दुर्ग और रायपुर संभागों से होकर 1,728 किलोमीटर की दूरी तय करेगी, जबकि दूसरी यात्रा बिलासपुर और सरगुजा संभागों में 13 दिनों में 1,261 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. यात्राएं, जिसमें 84 सार्वजनिक बैठकें, 85 स्वागत सभाएं और सात रोड शो होंगे, 87 विधानसभा क्षेत्रों (कुल 90 में से) में 2,989 किमी की दूरी तय करने के बाद उसी दिन बिलासपुर में समाप्त होंगी. उन्होंने कहा कि समापन समारोह में पीएम मोदी के शामिल होने की उम्मीद है.

 

तैयारियां जोरों पर, सुरक्षा चाक चौबंद

पार्टी अपनी परिवर्तन यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित है. प्रदेश भर के कद्दावर नेता दंतेवाड़ा में डेरा डाल चुके हैं. छत्तीसगढ़ प्रभारी शिवरतन शर्मा 10 सितंबर से ही दंतेवाड़ा में मौजूद हैं. सोमवार को बिहार के पूर्व मंत्री और छत्तीसगढ़ के सहप्रभारी नितिन नवीन भी सर्किट हाउस पहुंचे. सर्किट हाउस से लेकर हाईस्कूल मैदान तक छावनी बना हुआ है. भाजपा ने यहां अपनी सुरक्षा कोल लेकर चिंता जाहिर की थी. हालांकि सीएम भूपेश बघेल ने साफ किया कि नक्सल इलाकों में जिस भी राजनीतिक दल के कार्यक्रम होंगे उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएंगी. भाजपा से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि लगभग  50 हजार लोगों की आम सभा को गृह मंत्री संबोधित करेंगे.

छत्तीसगढ़ भाजपा के सह प्रभारी नितिन नवीन ने मीडिया से कहा कि यह परिवर्तन यात्रा बस्तर से कांग्रेस का सफाया कर देगी. जनता कांग्रेस के छल और छलावे की राजनीति को पूरी तरह समझ चुकी है. इन पांच सालों में कांग्रेस ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया. इस बार बस्तर की पूरी 12 सीटें भाजपा के पक्ष में रहेंगी. छत्तीसगढ़ में भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. उन्होंने परिवर्तन यात्रा में सुरक्षा के सवाल पर कहा कि 2003 में भाजपा ने ही परिवर्तन यात्रा का आगाज किया था. सरकार सुरक्षा देकर एहसान नही करेगी. यह उनका मूल कर्तव्य है. परिवर्तन यात्रा को यदि सरकार सुरक्षा नही देगी तब भी भाजपा यह यात्रा निकालेगी.

 

कब-कब हुई परिवर्तन यात्रा?

-सबसे पहले भाजपा ने साल 2003 में परिवर्तन यात्रा निकाली थी जिसका नेतृत्व लाल कृष्ण आडवाणी ने किया था. इस परिवर्तन यात्रा को उन्होंने हरी झंडी दिखाई थी. इसके बाद 15 साल तक बीजेपी ने राज्य में शासन किया.

-दूसरी परिवर्तन यात्रा कांग्रेस ने साल 2013 में निकाली थी. इस दौरान पार्टी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को झीरम कांड में खोया था. नक्सली हमले के बाद यह यात्रा अधुरी रह गई थी.

(दंतेवाड़ा से रौनक शिवहरे की रिपोर्ट)

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