Lok Sabha Election 2024: चिंतामणि महाराज (Chintamani Maharaj Profile ) यह वो नाम है जिनका विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने टिकट काट दिया था. बीजेपी ने भी उन्हें इस दौरान अपना उम्मीदवार नहीं बनाया लेकिन तब उनसे यह वादा किया गया था कि उनकी पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर अपना प्रत्याशी बनाएगी. अब बीजेपी ने अपना वादा पूरा करते हुए महाराज को सरगुजा लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. आखिर कौन हैं चिंतामणि महाराज जिन पर भगवा पार्टी ने अपना भरोसा जताया है.
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चिंतामणि महाराज पूर्व की रमन सरकार में बीजेपी शासन के समय राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने संस्कृत शिक्षा के लिए राज्य के जशपुर जिले में संस्कृत कॉलेज भी अपनी कोशिशों से खुलवाया है. चिंतामणि महाराज ने साल 2018 में दूसरी बार कांग्रेस की टिकट से बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से जीत हासिल की और विधानसभा पहुंचे. लेकिन 2023 में कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दिया. लिहाजा महाराज ने बीजेपी का दामन थाम लिया.
ओम माथुर ने उम्मीदवार बनाने का किया था वादा!
बीजेपी से टिकट मिलने के बाद चिंतामणि महाराज ने कहा कि क्षेत्र के लिए प्राथमिकताएं दिल्ली से तय होंगी. उन्होंने कहा, “मैं आभार व्यक्त करता हूं कि छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर जी का जिन्होंने मुझसे कहा था कि लोकसभा के लिए बीजेपी मुझे उम्मीदवार बनाएगी. रेलवे के क्षेत्र में सरगुजा पिछड़ा हुआ है, प्रयास करूंगा.”
लगातार 10 वर्षों तक कांग्रेस से विधायक रहने के बाद कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी घर वापसी हुई. उन्होंने कहा, “उन विषयों को मैं आपके समक्ष नहीं रखना चाहता कि क्यों मैं कांग्रेस को छोड़ा. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मुझे वह सम्मान पार्टी में नहीं मिल रहा है जो मिलना चाहिए.”
कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस में रहे हैं चिंतामणि
चिंतामणि महाराज साल 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष थे. फिर उन्होंने साल 2008 में बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमे उन्हें हार झेलनी पड़ी. साल 2013 में वे फिर से सामरी विधानसभा से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने उन पर भरोसा जताया और एक बार फिर वे सामरी विधानसभा से चुनावी मैदान में कूद पड़े. इस बार उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को शिकस्त दी. चिंतामणि महाराज को कुल 80,620 वोट प्राप्त हुए थे वहीं भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले.
कांग्रेस से थे नाराज, बीजेपी ने किया था वादा
लेकिन साल 2023 विधानसभा में कांग्रेस ने चिंतामणि महाराज को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया जिससे नाराज होकर वह बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर की उपस्थिति में पार्टी का दामन थामा और मंच से ही ओम माथुर ने कहा था कि मैं इन्हें मोदी जी के साथ बैठाऊंगा. इस दौरान चिंतामणि महाराज ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा था कि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने का वादा किया है.
गहिरागुरु का प्रभाव, जीत जाएंगे चुनाव?
चिंतामणि महाराज का जन्म वर्तमान बलरामपुर जिले के श्रीकोट गांव में 26 जनवरी 1968 मे हुआ था. उनके पिता का नाम रामेश्वर है. चिंतामणि महाराज ने 11 वीं मेट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण की है. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शुरू से आखिरी तक संस्कृत में ही पूरी की है. चिंतामणि महाराज की शादी 26 मई 1992 को रविकला सिंह के साथ हुई थी. उनके 2 पुत्र व तीन पुत्री है. कृषि उनका मुख्य पेशा है और उन्होंने अपना स्थायी निवास गहिरा गुरु आश्रम,बिलासपुर चौक भाथुपारा, अंबिकापुर में बना रखा है. दो बार के पूर्व विधायक महाराज, प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत संत रामेश्वर गहिरा गुरु के पुत्र हैं, जिनका अपने कार्यों के लिए उत्तरी छत्तीसगढ़, विशेषकर आदिवासियों के बीच काफी प्रभाव था.ऐसे में बीजेपी को यकीन है कि वे महाराज उनके लिए कम से कम एक कमल खिलाने में मददगार साबित होंगे.
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