Chhattisgarh Assembly Elections 2023- आगामी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) भी अपना उम्मीदवार उतारने जा रहा है. संगठन ने ऐलान किया है कि 90 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों पर वह चुनाव लड़ेगा. इस दौरान सोमवार को सर्व समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम (Arvind Netam) ने कहा है कि कांग्रेस और भाजपा दोनो दलों ने आदिवासियों की उपेक्षा की है,जल जंगल जमीन खत्म होती जा रही है. दोनों पार्टियां कॉर्पोरेट घरानों के लिये काम कर रही हैं. इसी वजह से आदिवासी अब अपना हक मांगने चुनावी मैदान में उतर रहा है.
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जगदलपुर में छत्तीसगढ़ Tak से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी समाज ने इस बार विधानसभा चुनाव में समाज के उम्मीदवार को उतारने का निर्णय लिया है.
उन्होंने बताया, इसके पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं बल्कि विशुद्ध रूप से सामाजिक उद्देश्य है. नेताम ने कहा, “हम पिछले 20 साल से आंदोलन करते रहे हैं. चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की सरकार समाज की सुनवाई कहीं नहीं हुई. इससे तंग आकर चुनाव में आने का फैसला किया है.”
नेताम ने बताया कि समाज के बैनर से चुनाव नहीं लड़ा जा सकता, इसके लिए अलग से राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग में दिया गया है. इस पर बहुत जल्दी फैसला हो जाएगा.
नेताम ने कहा, “प्रदेश में 30 सीटें आरक्षित हैं, इसके अलावा ऐसी 20 सीटें जनरल की हैं जहां करीब-करीब 20 से 70 हजार आदिवासी मतदाता हैं. वहां भी प्रयास करेंगे कि आदिवासी उम्मीदवार उतारें. नहीं तो हम लोगों ने अन्य समाज जैसे- पिछड़ा वर्ग, अपर कास्ट को भी आमंत्रित कर रहे हैं कि आप हमारे बैनर पर चुनाव लड़ना चाहते है तो लड़ें. हमारा समाज आपका पूरा सहयोग करेगा. इस प्रकार वे एक संदेश देना चाहते हैं कि सभी समाज का सहयोग मिले. ऐसा ना हो कि हम आदिवासी-आदिवासी कर रहे हैं… ऐसा सन्देश देना नहीं चाहते हैं.”
‘छोटे दलों से कर रहे हैं संपर्क’
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा कि छोटे राजनीतिक दलों से बातचीत चल रही है. उनसे समझौता हो जाएगा. सीपीआई, सीपीएम, बीएसपी, गोंडवाना सहित छोटे छोटे दल हैं उनसे समझौता करेगें.
उन्होंने जोर दिया कि उनका मुख्य मुद्दा सामाजिक आंदोलन है. उन्होंने कहा, “हमारा राजनीतिक आंदोलन नहीं है और हमारे मुद्दे भी सामाजिक ही हैं, राजनीतिक नहीं हैं. पहली बार प्रदेश में हम समाज के आंदोलन को ध्यान में रखकर के चुनावी मैदान में हैं.”
नेताम ने दावा किया, “हमें राजनीति में उतरने का शौक नहीं था. दोनों राजनैतिक दलों ने समाज को मजबूर कर दिया. हमारी उपेक्षा करके समाज के अस्तित्व खतरे में डाला. बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान दिया हमारे अधिकारों के लिये वह भी खत्म किया जा रहा है. धीरे-धीरे जल जंगल जमीन पर हमारा अधिकार खत्म हो रहा है.”
भाजपा कांग्रेस पर साधा निशाना
आदिवासी नेता ने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आदिवासियों की स्थिति के लिए दोनों पार्टियों की समान भागीदारी है. उन्होंने कहा, “कॉर्पोरेट घराने के साथ मिलकर हमारी संसाधनों की लूट होगी. इसको ध्यान में रखकर हम समाज को अभी से सतर्क करना चाहते हैं कि अपनी लड़ाई खुद लड़ो.”
‘चुनाव लड़ने के लिये सभी तैयार’
नेताम ने कहा कि पैनल करीब करीब-तैयार हो गया. तीन राउंड की चर्चा पूरे प्रदेश में टीम के साथ कर ली गई है. चुनाव में उतरने के सवाल पर उन्होनें कहा, “समाज 15 साल से आंदोलन कर रहा है. ऐसा तो नहीं कि पहली बार कर रहे हैं. सात-आठ महीने पहले हम लोगों ने फैसला कर लिया था कि चुनाव में उतरेंगे. चुनाव लड़ने के लिये सभी मानसिक रूप से तैयार हैं.”
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