Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर पहले फेज में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. कहने को तो यहां मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में है. प्रदेश में भाजपा सत्ता में है, वही कांग्रेस उम्मीदवार कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) अपनी चिर परिचित अंदाज वाली राजनीति से मतदाताओं को रिझाते हुए दिख रहे हैं. पार्टी सिंबल और लंबे राजनीतिक अनुभव वाले प्रत्याशियों के बीच एक अन्य नाम की चर्चा भी है, जिसने MBBS की पढ़ाई पूरी की है और डॉक्टरी पेशे में जाने FMGI की तैयारी छोड़ बस्तर लोकसभा से ताल ठोक रहे हैं. यह नौजवान है बीजापुर के धुर माओवाद ग्रस्त फरसेगढ़ का रहने वाला प्रकाश गोटा, जिसने बस्तर सीट से चुनाव लड़ने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रुप मे पर्चा भरा है.
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नक्सलियों के निशाने पर पूरा परिवार
बस्तर लोकसभा चुनाव में वैसे तो कांग्रेस और बीजेपी में ही दिख रहा है लेकिन बीजापुर के डॉ प्रकाश के मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है. नक्सली हिंसा में परिवार के तीन सदस्यों को खोने के बाद, छत्तीसगढ़ के डॉक्टर प्रकाश गोटा चुनावी मैदान में कूद गए हैं. प्रकाश गोटा के पिता चिन्नाराम सलवा जुड़म के नेता थे, 2012 में नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद भी परिवार नक्सलियों के निशाने पर बना रहा. प्रकाश के पिता की हत्या के बाद कई बार नक्सलियों ने उनके परिवार को प्रताड़ित किया. फसलें बरबाद कर दी, गाड़ी जला दी. अभी भी बीजापुर में गोटा परिवार के सामने जान का खतरा है. ऐसे में उन्हें SECURITY भी दी गई है.यहां अनपढ़ कवासी लखमा और मैट्रिक पास महेश कश्यप के कांटे की टक्कर के बीच बीजापुर के एमबीबीएस डॉ प्रकाश की एंट्री से सियासी पारा हाई हो गया है. बीजापुर के रहने वाले डॉ प्रकाश विदेश से डॉक्टरी की डिग्री लेकर लौटे है. प्रकाश गोटा का दावा है कि बस्तर में जिंदा रहने के लिए मैं चुनाव लड़ रहा हूं.
पिता की नक्सलियों ने की थी हत्या
साल 2023 में किर्गिस्तान से MBBS की पढ़ाई पूरी करने वाले प्रकाश चिकित्सा की बजाए राजनीति में अपना भविष्य देखने लगे है. प्रकाश का दावा है कि उन्हें कुछ क्षेत्रीय दल और सामाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है. फरसेगढ़ निवासी प्रकाश का परिवार भी नक्सल पीड़ित परिवारों में शामिल है. प्रकाश के पिता की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. उनके पिता चिन्ना राम गोटे सलवा जुडूम के प्रथम पंक्ति के नेतृत्वकर्ताओं में से थे, और दिवंगत महेंद्र कर्मा के करीबी भी रहे. बीते साल प्रकाश के भाई महेश को माओवादियों ने अपहरण कर हत्या की कोशिश की थी, नक्सलियों से मिले जख्म के बाद प्रकाश अब डॉक्टरी छोड़ राजनीति में आना चाहते हैं.
बस्तर के नौजवानों को राजनीति में लाने का उद्देश्य
प्रकाश का मुख्य एजेंडा नक्सलवाद से राहत है. प्रकाश कहते है कि नक्सलवाद का हल केवल वार्ता से सम्भव है. वार्ता की स्थिति निर्मित करने ग्रामीण इलाकों की बुनियादी जरूरतें पहले पूरी की जाए, बस्तर से लौह अयस्क का दोहन के बदले पब्लिक ट्रांसपोर्ट, मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, क्वालिटी एजुकेशन की व्यवस्था पहले हो. राजनीति में अनुभवहीन होने के सवाल पर प्रकाश कहते है कि राजनीति में कदम रखने के पीछे उनका उद्देश्य बस्तर के नौजवानों को प्रेरित करना है, जिससे वे भी राजनीति में आये और बस्तर की जनता के मन मे बदलाव की नई उम्मीद बनकर उभरने की कोशिश है. लखमा- महेश की राजनीतिक दक्षता के सवाल पर प्रकाश कहते है कि लखमा निरक्षर नेता है उनसे बस्तर के विकास की रूपरेखा की उम्मीद नही की जा सकती, इसी तरह महेश पार्टी का मुखौटा मात्र है.उनका दावा है कि वे आम आदमी हैं, कोई राजनीतिज्ञ नहीं हैं. यही वजह है कि वे किसी पार्टी से टिकट मांगने नहीं गए. निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अब बस्तर की जनता पर ही उन्हे भरोसा है.
बीजापुर से रंजन दास की रिपोर्ट, छत्तीसगढ़ तक
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