Jhiram Ghati Naxal Attack: 25 मई 2013 को विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले कांग्रेस पार्टी की परिवर्तन रैली पर देश का सबसे बड़ा राजनीतिक नक्सली हमला (Jhiram Ghati Attack) हुआ था. इस हमले में 33 लोग शहीद हुए थे. हमले के 11 साल बाद भी कई सवाल बाकी हैं...
ADVERTISEMENT
नक्सलियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की हत्या कर दी थी. तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रमुख नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 33 लोग मारे गए थे. दरअसल साल 2013 में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने थे. कांग्रेस सत्ता वापसी के लिये राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने का फैसला करती है. कांग्रेस के दिग्गज नेता 23 मई की शाम जगदलपुर पहुंचते है 24 मई को जगदलपुर स्थित टाउन क्लब मैदान में परिवर्तन यात्रा की बड़ी जनसभा की जाती है. दुसरे दिन सुबह साढ़े 10 बजे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, कद्दावर आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ल, पूर्व विधायक उदय मुदालियर नंदकुमार के बड़े बेटे दिनेश पटेल सहित कई कार्यकर्ता सुकमा के लिये रवाना होते हैं.
सुकमा में पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की बड़ी सभा आयोजित थी, तमाम नेता सभा के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 221 से वापस जगदलपुर की तरफ रवाना होतें है. शहर से 13 किलोमीटर दूर ग्राम केश्लुर में परिवर्तन यात्रा की एक और सभा होनी थी इसी सभा में शामिल होने कांग्रेसी नेता सुकमा से निकले थे.
शाम 03:55 बजे क्या हुआ?
शाम करीब 3:55 बजे के करीब संभाग मुख्यालय से 41 किलोमीटर दूर झीरम घाटी में जैसे ही कांग्रेसी नेताओं का काफिला पहुंचा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी किसी को समझ ही नहीं आया की अचानक कैसे हमला हो गया इस बीच कांग्रेस नेताओं के सुरक्षा कर्मियों ने भी गोलीबारी शुरू कर दी.
पूर्व विधायक उदय मुदालियर, योगेन्द्र शर्मा, मो.अल्लानूर, अभिषेक गोलछा, गनपत नाग, सदासिंह नाग भागीरथी नाग, मनोज जोशी और राजकुमार श्रीवास्तव की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई.
पूर्व केंद्रीय मन्त्री वीसी शुक्ल को कई गोलिया दागी गई थी जिनकी 17 दिन बाद दिल्ली के मेदंता अस्पताल में मौत हो गई. इधर नक्सली लगातार गोलीबारी करते रहे. कई लोगों के मारे जाने के बाद नक्सलियों ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, कद्दावर नआदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, नंदकुमार के बड़े बेटे दिनेश पटेल और कोंटा विधायक कवासी लखमा को रस्सियों से बांध कर अलग-अलग जगहों में ले जाया गया.
लखमा को छोड़ दिया मगर...
कवासी लखमा को तो नक्सलियों ने छोड़ दिया मगर, महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल की निर्मम हत्या कर दी. इन तीन नेताओं के शव दुसरे दिन करीब शाम 4 बजे बरामद की गई. नक्सलियों के इस नरसंघार में में 9 काग्रेसी नेताओं समते 33 ने जान गंवाई.
जांच का क्या हुआ?
झीरम हमले के बाद तत्कालीन UPA सरकार ने NIA को जांच का जिम्मा सौंपा था मगर आज तक जांच पूर्ण नहीं हो सकी. 2013 में भाजपा पुन:सत्ता पर काबिज हो गई केंद्र में भी NDA की सरकार आ गई तब से लेकर अब तक झीरम हमले का सच सामने नही आ सका.
वर्ष 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी भूपेश सरकार ने जांच के लिये SIT का गठन किया जिसे सुप्रीम कोर्ट में भाजपा ने चुनौती दे दी किसी ना किसी तरह से झीरम का सच सामने नही आने देना भी शक की निगाह से देखा जा रहा है. झीरम हमले का मास्टर माइंड हिडमा को बताया गया था लेकिन हिडमा झीरम में नहीं था यहां का पूरा मोर्चा विकल्प ने संभाल रखा था. बताया जाता है कि हमले को अंजाम देने के लिये करीब 1 हजार नक्सली 7 दिनों तक घाटी में मौजूद थे और जैसे ही परिवर्तन यात्रा घाटी के बीचोबीच पहुंची बड़ा हमला कर दिया गया.
चश्मदीद ने लगाए कई आरोप
हमले में बचे कांग्रेस नेता मलकीत सिंह गैदु का कहना है कि एनआईए ने सही जांच नहीं की. भूपेश बघेल की सरकार ने कमेटी बनाई लेकिन फिर एनआईए ने उसे कोर्ट में चुनौती दी. इससे साफ है कि बीजेपी इस साजिश को साफ नहीं करना चाहती. मलकीत सीधे भाजपा पर आरोप लगाते हैं कि भाजपा और नक्सलियों ने मिलकर इस जघन्य हत्या काण्ड को अंजाम दिया है,उनका मानना है अमूमन नक्सली जब भी कोई बड़ी घटना को अंजाम देते हैं तो कोई ना कोई विडियो या विज्ञप्ति जारी करते हैं, पर 11 साल बीत गये आज तक कोई वीडियो या विज्ञप्ति जारी नहीं की गई. इससे साफ़ स्पष्ट हो रहा है की भाजपा ही मुख्य साजिशकर्ता है.
गैदू का कहना है कि भाजपा नहीं चाहती की सच कभी सामने आये. मलकीत ने छत्तीसगढ़ Tak की टीम से घटना के बारे में एक-एक बात बताई.
ADVERTISEMENT