पीडिया मुठभेड़: गांव का दौरा कर लौटी सीपीआई, मनीष कुंजाम बोले- ‘गूंगे-बहरे की भी हुई हत्या’

पीडिया मुूठभेड़ को लेकर सीपीआई नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम (Manish Kunjam) ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

Manish Kunjam on Pedia Encounter

Manish Kunjam on Pedia Encounter

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Pedia Encounter: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों की सरहद पर स्थित पीडिया गांव में हुआ एनकाउंटर (Pedia Encounter) सवालों के घेरे में है. अब इसे लेकर सीपीआई नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम (Manish Kunjam) ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. बता दें कि 10 मई को हुए इस एनकाउंटर में पुलिस ने 12 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया है. वहीं कुंजाम ने कहा है कि पुलिस की कहानी गजब है. गूंगे-बहरे युवक को नक्सली बताकर पुलिस ने मार डाला है. एनकाउंटर फर्जी है.

मनीष कुंजाम ने कहा कि वे पीडिया गांव जाकर लौटे हैं. उन्होंने एक रात ग्रामीणों के बीच गुजारी और मामले की जांच की. मनीष कुंजाम ने कहा कि ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे. पुलिस ने गोलीबारी की. कुछ लोग घर के अंदर चले गए, कुछ जंगल में ही छिपने लगे. तेंदूपत्ता तोड़ने गए 3 ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए पेड़ पर चढ़े थे. उन्होंने कहा था हमें न मारो लेकिन, पुलिस ने उनका भी कत्ल कर दिया.

जिन्हें मारा उनके दुधमुंहे बच्चे

मनीष कुंजाम ने कहा कि जब हम गांव गए तो हमें पता चला कि, जिन्हें पुलिस ने मारा है उनमें से कई शादीशुदा भी हैं. उनके दुधमुंहे बच्चे हैं. एक युवक जिसका नाम अलवम सन्नू है वह न तो बोल सकता था और न ही सुन सकता था. बड़ा सवाल है कि आखिर गूंगा-बहरा युवक नक्सल संगठन में कैसे हो सकता है?

 

हथियार पर भी उठाए सवाल

मनीष कुंजाम का आरोप है कि पुलिस ने मुठभेड़ की कहानी गढ़ी है. मुठभेड़ के बाद पुलिस ने घटना स्थल से जो हथियार बरामद करने की बात कही है उसमें अधिकांश भरमार थे. भरमार बंदूक से एक बार फायर करने के बाद आधा घंटा उसे रीलोड करने में लगता है. पुलिस ने कहा है कि, सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक गोलीबारी हुई है. ऐसे में भरमार बंदूक पकड़े नक्सली कैसे लगातार गोलीबारी कर पाएंगे. कई हथियार चलने की स्थिति में भी नहीं है. मुठभेड़ फर्जी है.

बंदूक वालों की बंदूक वालों से हो लड़ाई

मनीष ने कहा कि बस्तर में बंदूक वालों की बंदूक वालों से लड़ाई होनी चाहिए. उनके कहने का मतलब पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई थी. लेकिन बेगुनाहों का मारने का औचित्य नहीं है. हम इस मामले की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं.

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