छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में इस साल भी बारिश के दिनों में डायरिया का प्रकोप नजर आ रहा है. इस बार सबसे ज्यादा मामले शहर के चांटीडीह क्षेत्र से आ रहे हैं. लोग उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. इस दौरान शहर में एक बुजुर्ग महिला सहित दो लोगों की मौत हो गई है. अब तक डायरिया के संक्रमण की वजह से सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही अस्पतालों में 150 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. डायरिया के बढ़ते मामलों को लेकर भाजपा नेताओं की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि नगर निगम प्रशासन की लापरवाही और पार्षदों की निष्क्रियता के कारण लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. फिलहाल इस मामले में नगर निगम ने केवल पानी का सैंपल लिया है.
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शनिवार तक 13 बच्चे और करीब दो दर्जन लोग सिम्स अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं. जबकि जिला अस्पताल में 4 बच्चे सहित 14 भर्ती हैं. वहीं जानकारी दी गई है कि डायरिया से एक बुजुर्ग महिला सहित 2 लोगों की मौत हुई है. सिम्स अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, जिन दो लोगों की मौत हुई है उनमें कमला मिश्रा 70 वर्षीय बुजुर्ग थीं, जबकि दूसरी मौत अनीस कुरैशी की हुई है जो कि 60 वर्ष के थे. इन दोनों ही मरीजों को उल्टी दस्त की समस्या को लेकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
भाजपा नेताओं ने नगर निगम से प्रभावित परिवार के लिए मुआवजे की मांग की है. हालांकि जिस क्षेत्र में डायरिया फैला है वहां बीजेपी की ही महिला पार्षद हैं. इस पर कांग्रेस ने भी पार्षद की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए हैं. इस बीच नगर निगम आयुक्त कुणाल दुदावत ने चांटीडीह क्षेत्र का निरीक्षण किया और स्वास्थ विभाग द्वारा लगाए गए कैंप पहुंचे. इसके अलावा प्रभावित कुछ जगहों का निरीक्षण भी किया. इस दौरान उन्होंने डायरिया से हुई दो मौतों को लेकर कुछ कहने से इंकार कर दिया और सिम्स अस्पताल की रिपोर्ट आ जाने के बाद कुछ कहने की बात कही.
दो मौतों के बाद नगर निगम ने की खानापूर्ति?
फिलहाल नगर निगम ने प्रभावितों के लिए और दोबारा क्षेत्र में डायरिया नहीं फैले इसको लेकर कोई खास रणनीति नहीं बनाई है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्र में कैंप लगाकर दवाइयां बांटी है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है. सीएमएचओ का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है. लेकिन चांटीडीह और आसपास की क्षेत्रों में नालियों पर लगी क्षतिग्रस्त पाइप लाइन से गंदा पानी लोगों तक पहुंच रहा है और वह बीमार पड़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में डायरिया से लोगों की मौतें हुई हैं लेकिन इससे भी सबक नहीं लिया गया है.
बीजेपी नेताओं ने बताया ‘नरक निगम‘
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की बदहाली को लेकर कई तरह की खबरें आती रही हैं. लंबे समय से सड़क बनने से लेकर अंडरग्राउंड सीवरेज तक काम जारी है, जिसकी वजह से खुदाई होती रहती है और इसी खुदाई के दौरान पानी की पाइप लाइन टूट जाया करती है. ऐसे में शहर के निचले इलाकों और स्लम एरिया में गंदे पानी की सप्लाई होती है. इसके कारण लोग बीमार होते हैं और अपनी जान भी गंवाते हैं. यही वजह है कि भाजपा पार्षदों और नेताओं ने नगर निगम को नरक निगम करार दिया है.
संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले परिवारों को नहीं मिलेगा कोई मुआवजा!
बिलासपुर के चांटीडीह क्षेत्र में गंदे पानी की वजह से जब संक्रमण अपने चरम पर पहुंच गया तो दो लोगों को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी. इस संक्रमण में मारे जाने वाले दोनों ही व्यक्ति बुजुर्ग हैं, जहां कमला मिश्रा 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला थी, जबकि अनीस कुरैशी 60 वर्षीय बुजुर्ग. इन दोनों की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई. लेकिन स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम इन मौतों को डायरिया के संक्रमण की वजह से मानने से साफ इंकार कर रहे हैं. इस मामले में मुआवजा तो दूर इनकी मौत को संक्रमण की वजह से हुई मौत भी नहीं बताया जा रहा है. नगर निगम कमिश्नर कुणाल दूतावास इस मामले को लेकर सफाई देते हुए यह कहते नजर आए कि सिम्स अस्पताल प्रबंधन मौत की वजह को लेकर रिपोर्ट देगी. उनकी रिपोर्ट आने से पहले यह नहीं कहा जा सकता कि यह डायरिया के संक्रमण की वजह से मरे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग ने डायरिया की समस्या होने पर इन्हें एडमिट करने की तो बात स्वीकारी है. लेकिन मौत को लेकर किसी भी तरह से अधिकारिक पुष्टि करने से साफ इनकार कर दिया है. ऐसे में अभी तक इन दोनों ही मृतकों के परिजनों को किसी भी तरह से कोई मुआवजा नहीं मिल पाया है.
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