Jheeram Ghati naxal attack Case- सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले में बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाली एक प्राथमिकी की छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जांच का रास्ता खोल दिया है. उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच से सच सामने आएगा, जिस सच पर लगातार पर्दा डालने की कोशिश की गई.
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अदालत के फैसले के बाद माओवादी हमलों में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों की जांच चलती रहेगी. छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2020 में एक नई एफआईआर दर्ज की थी. इसके खिलाफ एनआईए की याचिका कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि हम मामले में दखल नहीं देंगे.
सुकमा के झीरम घाटी में 2013 में माओवादियों के हमले में कांग्रेस के 27 नेताओं की मौत की जांच एनआईए ने को है. इसके बावजूद जांच राज्य पुलिस से कराये जाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस पर ही सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की पीठ सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एनआईए इस मामले की जांच 2013 से ही कर रही है. इस मामले में 39 लोगों को आरोपी बनाया गया है. उनके खिलाफ 2 चार्जशीट दाखिल की गई हैं.
क्या है मामला?
तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के शासन काल में यह हमला हुआ था. माओवादियों ने कांग्रेस के पूरे राज्य नेतृत्व का सफाया कर दिया था. 25 मई 2013 को कांग्रेस की रैली के काफिले पर हुए नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दिग्गजों की मौत हो गई थी. तब कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या चरण शुक्ल एवं बस्तर के नेता महेंद्र कर्मा सहित 32 लोगों शामिल थे. भारी हथियारों से लैस नक्सलियों का घातक हमला तब हुआ था जब तत्कालीन विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक प्रचार चल रहा था और कांग्रेस नेता बस्तर जिले में ‘परिवर्तन रैली’ में हिस्सा लेने के बाद लौट रहे थे.
वीसी, कर्मा और पटेल की हुई थी मौत
कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल,योगेन्द्र शर्मा सहित अनेक नेता और सुरक्षा बलों की मौत हुई थी. इस हमले में नक्सलियों ने नृशंसता की सारी हदें लांघते हुए बस्तर के नेता महेंद्र कर्मा पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बाद उनके शरीर को चाकुओं से गोद डाला था. नक्सली उनके शव के ऊपर चढ़कर नाचते रहे. नंदकुमार पटेल और उनके पुत्र दिनेश पटेल पर गोलियां दागते हुए भी क्रूर माओवादियों का जरा भी दिल नहीं पसीजा.
सीएम बघेल ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाजा खोलने जैसा है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था. इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था. कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की. छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरु की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था. आज रास्ता साफ़ हो गया है. अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी. किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था. सब साफ़ हो जाएगा. झीरम के शहीदों को एक बार फिर श्रद्धांजलि.”
सुप्रिया श्रीनेत ने एनआईए पर उठाए सवाल
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जांच का रास्ता खोल दिया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “बात 25 मई 2013 की है, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेताओं के काफिले पर झीरम घाटी में भयावह हमला हुआ जिसमें 32 लोग शहीद हो गये. इस निर्मम कांड ने देश और दुनिया को हिला कर रख दिया. लेकिन इस हत्याकांड की जांच कर रही एजेंसी एनआईए ने कभी यह जांच नहीं की कि आख़िर इस हत्याकांड का षडयंत्र किसने रचा था. क्या यह सिर्फ़ नक्सली हमला था या इसके पीछे राजनीतिक षडयंत्र भी था? जब छत्तीसगढ़ पुलिस ने आपराधिक षडयंत्र की जांच शुरु की तब एनआए ने अदालती अडंगा अटका दिया.आज सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने जांच का रास्ता खोल दिया है.”
उन्होंने सवाल उठाया कि किसके कहने पर, किसे बचाने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी एनआईए जांच का रास्ता रोक रही थी? तत्कालीन भाजपा सरकार ने आपराधिक षडयंत्र की जांच क्यों नहीं करवाई? आयोग बनाया तो उसके दायरे में षडयंत्र क्यों नहीं रखा? उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच से सच सामने आएगा, जिस सच पर लगातार पर्दा डालने की कोशिश की गई.
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