छत्तीसगढ़ ट्रक-बस ड्राइवर हड़ताल: ‘हिट एंड रन’ कानून में ऐसा क्या बदला कि हो गया ‘तेल खत्म’?

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02 Jan 2024 (अपडेटेड: Jan 2 2024 12:17 PM)

Chhattisgarh Truck Bus Strike-  हिट-एंड-रन दुर्घटना मामलों के संबंध में नए दंड कानून (Motor Vehicle Act 2023) में प्रावधान के खिलाफ व्यावसायिक बसों और ट्रक…

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Chhattisgarh Truck Bus Strike-  हिट-एंड-रन दुर्घटना मामलों के संबंध में नए दंड कानून (Motor Vehicle Act 2023) में प्रावधान के खिलाफ व्यावसायिक बसों और ट्रक चालकों के विरोध ने छत्तीसगढ़ में जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. नए दंड कानून में प्रावधान को वापस लेने की मांग करते हुए छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर बस-ट्रक ड्राइवर भारी विरोध कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी है. लिहाजा कई यात्रियों को जहां असुविधा हो रही है वहीं इसका असर माल के परिवहन पर भी पड़ रहा है. यहां तक कि लोग पेट्रोल (Petrol Diesel Shortage) भराने के लिए भी भटकते नजर आ रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर हो या न्यायधानी बिलासपुर हर जगह के लोग परेशान नजर आ रहे हैं. मनेंद्रगढ़, मरवाही, बालोद, कवर्धा, दुर्ग, रायगढ़ जैसे अलग-अलग शहरों में में लोग इस डर से पेट्रोल पंपों पर कतार में खड़े हैं कि आंदोलन के कारण आने वाले दिनों में ईंधन आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.

एक लाख से ज्यादा ड्राइवर हड़ताल पर

छत्तीसगढ़ वाहन चालक संघ के पदाधिकारी बताते हैं कि बसों, ट्रकों, परिवहन और स्कूल बसों के संचालन में लगे ड्राइवरों सहित लगभग 1 लाख ड्राइवरों ने ‘स्टीयरिंग छोड़ो आंदोलन’ के हिस्से के रूप में सोमवार को विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. पदाधिकारियों ने बताया कि हिट-एंड-रन दुर्घटना मामलों पर नए प्रावधान के खिलाफ मंगलवार से विभिन्न जिलों में “चक्का जाम” विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. एसोसिएशन का कहना है कि जब तक यह प्रावधान रद्द नहीं किया जाता तब तक विरोध जारी रहेगा.

राज्य भर में 12,000 से ज्यादा निजी बसों के ड्राइवरों ने सोमवार से काम बंद कर दिया, जिससे सैकड़ों यात्री रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और राजनांदगांव सहित अन्य शहरों के बस स्टेशनों पर फंसे रहे.

वहीं रायपुर के भाटागांव में अंतरराज्यीय बस स्टेशन पर कई यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए निजी टैक्सियों और ऑटो-रिक्शा किराए पर लेने के लिए दौड़ पड़े.

सावित्री ने बताई आपबीती

बिलासपुर के पुलिस कल्याण पेट्रोल पंप के बाहर खड़ी सावित्री देवी ने बताया कि वे सुबह अपने बच्चों को स्कूल छोड़कर आई थीं  और पति के लिए नाश्ता बनाने के बाद अब उन्हें वापस स्कूल बच्चों को लेने जाना था, लेकिन स्कूल तक पहुंचने के लिए उनके वाहन में पेट्रोल ही नहीं है. उन्होंने बताया कि जब वह पेट्रोल पंप पहुंची तो पता चला कि यहां बड़ी भीड़ है और उन्हें पेट्रोल नहीं मिलने वाला.

सावित्री देवी ने बताया, “घर में पति खाने के इंतजार में भूखा बैठे हुए हैं और बच्चे स्कूल में भूखे इंतजार कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वो क्या करे. इस दौरान उन्होंने फोन पर अपने भाई से संपर्क किया, जिन्हें बच्चों को स्कूल से लाने के लिए कहा गया था, लेकिन भाई के पास भी पेट्रोल नहीं होने की वजह से वह बच्चों को ई-रिक्शा में लेने के लिए निकले.

घर से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर सावित्री देवी इन परेशानियों से जूझती नजर आईं. इस बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार है उन्हें इस बात का भी अंदाजा नहीं है.

क्यों विरोध कर रहे हैं ड्राइवर?

औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत, लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भागने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की सजा हो सकती है. आंदोलनकारी 10 साल की जेल की सजा को ड्राइवरों के लिए बहुत कठोर बता रहे हैं.

(इनपुट- बिलासपुर से मनीष शरण)

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