नक्सलियों से वार्ता करेगी साय सरकार, बातचीत के लिए खुला रास्ता, समझें क्यों है अहम

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12 Jan 2024 (अपडेटेड: Mar 11 2024 5:42 PM)

Naxalism in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवाद (Maoism) की समस्या को खत्म करने के इरादे से अब उनसे वार्ता करने का फैसला लिया है. सूत्रों…

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Naxalism in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवाद (Maoism) की समस्या को खत्म करने के इरादे से अब उनसे वार्ता करने का फैसला लिया है. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी सरकार (BJP Government) ने लंबे समय से चले आ रहे झगड़े और सामान्य तौर पर नक्सलवाद पर बात करने के लिए नक्सलियों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है. बता दें कि राज्य में नक्सलियों से वार्ता की मांग कई बार सियासी गलियारों में उठती रही है.

चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई दिग्गज नेता नक्सलवाद को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाते रहे हैं. साथ ही वे प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने पर यहां से माओवाद को जड़ से खत्म करने का वादा भी करते दिखे थे.

इस बीच अब सूत्रों के मुताबिक, विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने नक्सलियों से बातचीत के लिए कदम बढ़ाया है. जानकारी के अनुसार, चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर भी हो सकती है क्योंकि व्यक्तिगत चर्चा से नक्सली आशंकित दिख रहे हैं.

वार्ता को लेकर गृहमंत्री देते रहे हैं बयान

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा कई मौकों पर नक्सलियों से वार्ता की बात करते रहे हैं. पिछले दिनों शनिवार (6 जनवरी) को दंतेवाड़ा पहुंचे शर्मा ने यहां भी इसी तरह का बयान दिया था. उन्होंने नक्सलियों को चेतावनी देने के साथ-साथ वार्ता के लिए मनाही नहीं होने की बात भी कही थी. उन्होंने कहा था कि वार्ता के लिए मनाही नही है. भटके युवाओं को मुख्य धारा में आना पड़ेगा. नक्सलियों के दिए दर्द से नौजवान सिविलियन और जानवर तक कराह रहे हैं.

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उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा था, “आईडी ब्लास्ट में दर्जनों लोग घायल होते हैं. रायपुर हॉस्पिटल में 6 जवान भर्ती हैं, जिनमें से 3 जवान के पैर जा चुके हैं. यह सामाजिक पीड़ा है. नक्सली मुख्यधारा में आए अन्यथा इस दर्द का हिसाब लिया जाएगा.”

शर्मा के बयान के बाद नक्सलियों से वार्ता को लेकर अटकलें लगने लगी थी.

सत्ता में आते ही साय सरकार ने नक्सलवाद को लेकर क्या कहा था?

प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद यहां कई नक्सली वारदातें हुई थीं. लिहाजा इसे गंभीरता से लेते हुए 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी और राज्य में नक्सल विरोधी अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया था.

राज्य जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी एक बयान में साय के हवाले से कहा गया था, “नक्सली हताशा में हिंसा करते हैं. हम (नक्सल प्रभावित इलाकों में) विकास के जरिए लोगों का विश्वास जीतेंगे. हम केंद्र के सहयोग से नक्सलवाद को खत्म करेंगे.”

शाह निभाएंगे अपना वादा

छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों को बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बड़ा मुद्दा बनाया था. नवंबर के दूसरे सप्ताह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जशपुर में एक रैली के दौरान प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने पर पांच साल के भीतर नक्लवाद खत्म करने का वादा किया था. शाह ने शाह ने लोगों से “डबल इंजन” सरकार (केंद्र और छत्तीसगढ़ में भाजपा) बनाने की अपील की थी और आश्वासन दिया था कि पांच साल में राज्य से नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा. ऐसे में अब साय सरकार के हालिया फैसले को इस आलोक में भी देखा जा सकता है.

बघेल सरकार का क्या था स्टैंड?

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भी बातचीत के जरिए नक्सल समाधान की पैरवी करती रही है. लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस इसे लेकर उतनी गंभीर नजर नहीं आई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई मौकों पर यह कहते नजर आए कि नक्सली अगर हथियार छोड़ दें तो बातचीत के जरिए शांति का रास्ता निकाला जा सकता है. लेकिन नक्सली वार्ता के लिए कोई शर्त नहीं चाहते हैं. ऐसे में नक्सली समस्याओं के उन्मूलन की दिशा में साय सरकार के इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

(इनपुट- सुमी राजाप्पन)

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