Bhupesh Govt action against Contract Health Workers- छत्तीसगढ़ में आंदोलनरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ राज्य सरकार एक्शन मोड में आ गई है. बिलासपुर, कोरबा, कांकेर, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, बीजापुर, बेमेतरा, बस्तर, कोंडागांव, रायगढ़, महासमुंद, गरियाबंद समेत अन्य जिलों के सैकड़ों संविदा कर्मचारियों पर निलंबन, बर्खास्तगी और एफआईआर की गाज गिरी है. अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को काम पर लौटने का नोटिस देने के बाद अब उन पर यह कार्रवाई की गई. वहीं खबर है कि छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के आंदोलनकारी साथी कर्मियों के निलंबन के विरोध में रायपुर धरना स्थल पर सामूहिक इस्तीफा दे सकते हैं.
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छत्तीसगढ़ के विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में पदस्थ संविदा स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों को लेकर 21 अगस्त से हड़ताल पर हैं. निलंबित और बर्खास्त किए गए सभी स्वास्थ्य कर्मचारी प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ समेत 10 अलग अलग संगठनों के बैनर तले हड़ताल कर रहे थे. वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए हड़ताल में राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हिस्सा लिए थे. हड़ताल के दौरान इन सभी ने अस्पताल में सेवाओं का बहिष्कार कर दिया. हड़ताल को खत्म करने के लिए भूपेश सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (ESMA) का भी ऐलान किया था, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारी काम पर नहीं लौटे.
इन जिलों ने जारी किया निलंबन का आदेश
दो सितम्बर को बघेल सरकार की कैबिनेट बैठक के बाद तत्काल प्रभाव से 1500 हड़ताली कर्मचारियों को सस्पेंड करने की बात सामने आई. हालांकि अब तक विभिन्न जिलों में तीन हजार से ज्यादा निलंबन, बर्खास्तगी के आदेश जारी हो चुके हैं.
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के स्वास्थ्य कर्मचारी-अधिकारी के बर्खास्त, निलंबन और एफआईआर होने वालों की सूची नीचे है. इसमें नर्सिंग कैडर और डॉक्टर भी शामिल हैं-
बेमेतरा- 91, दुर्ग- 205, गरियाबंद- 98, कोंडागांव- 10, महासमुंद-60, रायगढ़-280, बालोद-09, बस्तर से 296, कांकेर- 568, बीजापुर-148, जांजगीर-चांपा- 233, बलोदाबाजार- 265, कबीरधाम-181, जगदलपुर-296, बिलासपुर-205, कोरिया- 84, मनेंद्रगढ़-10, गौरेला पेंड्रा, मरवाही-79, सरगुजा संभाग- 42, कोरबा -337
क्या हैं मांगें
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी लंबे समय से वेतन विसंगति दूर करने, नियमितीकरण, 13 माह का वेतन, 4 स्तरीय वेतनमान, पदोन्नति और पदनामों में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही वे आयुष विभाग में नई भर्तियों की जगह अंशकालिक कर्मचारियों को पूर्णकालिक करने का भी राज्य सरकार से अनुरोध कर रहे हैं.
बघेल सरकार के लिए चुनौती
बता दें कि यह हड़ताल और आंदोलनकारियों पर कार्रवाई ऐसे वक्त में हो रही है जब विधानसभा चुनाव को महज कुछ ही महीने शेष बचे हैं. ऐसे में अगर हड़ताली कर्मचारियों को साधने में बघेल सरकार नाकाम होती है तब इसका असर चुनावों पर भी पड़ सकता है.
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