बलौदा बाजार हिंसा: कांग्रेस ने सीएम और डिप्टी सीएम से मांगा इस्तीफा, हुआ भारी हंगामा

ChhattisgarhTak

23 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 23 2024 12:16 PM)

सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी कांग्रेस ने पिछले महीने बलौदाबाजार शहर में हुई हिंसा के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और डिप्टी सीएम विजय शर्मा से इस्तीफा मांगा.

CM Vishnu Deo Sai and Ex CM Bhupesh Baghel

CM Vishnu Deo Sai and Ex CM Bhupesh Baghel

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Balodabazar violence- सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी कांग्रेस ने पिछले महीने बलौदाबाजार शहर में हुई हिंसा के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और डिप्टी सीएम विजय शर्मा से इस्तीफा मांगा. कांग्रेस ने दावा किया कि यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था के बिगड़ने का संकेत है.

सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही, जब कांग्रेस विधायक ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्पीकर ने नामंजूर कर दिया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्षी सदस्य सदन के वेल में आ गए और उन्हें स्वतः ही निलंबित कर दिया गया.

क्या है मामला?

 15 और 16 मई की दरम्यानी रात को बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के गिरौदपुरी धाम में पवित्र अमर गुफा के पास सतनामियों द्वारा पूजे जाने वाले पवित्र प्रतीक 'जैतखाम' या 'विजय स्तंभ' को तोड़े जाने के बाद, समुदाय ने 10 जून को विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप भीड़ ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के कार्यालयों वाले सरकारी भवन और 150 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

बघेल ने क्या कहा?

 शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने कहा कि हिंसा और आगजनी खराब कानून व्यवस्था और खुफिया विफलता के साथ-साथ प्रशासन द्वारा विजय स्तंभ को तोड़े जाने को गंभीरता से न लेने का परिणाम है. अन्य कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे पर उनका समर्थन किया और चर्चा की मांग की, जबकि भाजपा विधायकों ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि घटना की न्यायिक जांच पहले से ही चल रही है और इसलिए इस पर चर्चा करना सदन के नियमों के खिलाफ होगा.

 विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि विपक्षी सदस्य न्यायिक जांच के तहत आने वाले बिंदुओं का उल्लेख किए बिना अपना मुद्दा रख सकते हैं. बघेल ने दावा किया कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागते देखा गया और जिला कार्यालय, एसपी कार्यालय और कई अन्य कार्यालयों में करोड़ों की संपत्ति और बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट कर दिए गए, जिससे शांतिप्रिय छत्तीसगढ़ की छवि धूमिल हुई है.

कांग्रेस विधायकों ने लगाए आरोप, मांगा इस्तीफा

कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि हिंसा के सिलसिले में उनके पार्टी कार्यकर्ताओं और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, उन्होंने सीएम साय और डिप्टी सीएम शर्मा के इस्तीफे की मांग की. अपने जवाब में, शर्मा ने कहा कि यह कहना गलत है कि सरकार बलौदाबाजार में स्थिति को संभालने में विफल रही है. उन्होंने कहा कि 8 जून को सतनामी समुदाय के सदस्यों ने जिला प्रशासन को सूचित किया था कि वे एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित करना चाहते हैं और 10 जून को जब लगभग 8,000 लोगों ने रैली निकाली, तो 500 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था. हालांकि, असामाजिक तत्वों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और दंगा और आगजनी में लिप्त हो गए, शर्मा ने सदन को बताया, विभिन्न पुलिस थानों में 14 मामले दर्ज किए गए और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। शर्मा ने कहा कि हिंसा के सिलसिले में कलेक्टर और एसपी को भी निलंबित कर दिया गया है.

स्थगन प्रस्ताव नामंजूर

शर्मा के जवाब के बाद स्पीकर ने स्थगन प्रस्ताव नोटिस को नामंजूर कर दिया, हालांकि कांग्रेस विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव नोटिस पर चर्चा की मांग जारी रखी. स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी और जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे कांग्रेस विधायक वेल में आ गए और स्वतः ही निलंबित हो गए। इसके बाद स्पीकर ने विपक्षी सदस्यों के निलंबन की घोषणा की और दिन के लिए सूचीबद्ध कार्य शुरू किया. विपक्षी सदस्य राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए और सीएम साय और डिप्टी सीएम शर्मा के इस्तीफे की मांग करते हुए सदन के वेल में ही रहे. दिन का सूचीबद्ध कार्य पूरा होने के बाद स्पीकर रमन सिंह ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी.

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