Bijapur Naxal: हाल ही में नक्सल संगठन को बड़ा झटका लगा है. बीजापुर जिले में 30 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. इस गौरान माओवादी ने खुलासा किया है कि नक्सलियों का संगठन कैसे चलता है.
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बस्तर क्षेत्र में माओवादियों के बढ़ते आतंक को धीरे धीरे अब सीआरपीएफ के जवान और स्थानीय पुलिस वाले लगाम लगा रहे हैं.
इसी बीच बड़ी खबर सामने निकल कर आ रही है कि बीजापुर जिले के 30 हार्डकोर माओवादियों के आत्मा समर्पण किया है. आत्मासमर्पण करने वालों में से 9 नक्सलियों के नाम 39 लाख रूपए का इनाम था.
इस बीच छत्तीसगढ़ Tak ने एक सरेंडर माओवादी से बातचीत की जिसने कई खुलासे किए.
कैसे बना नक्सली?
छत्तीसगढ़ Tak की टीम से बात करते हुए एक माओवादी ने बताया कि वह साल 2005 से संगठन में है. वे जल, जंगल, और जमीन को बचाने के लिए संगठन में भर्ती हुए थे. साल 2005 से 2009 तक संगठन में सदस्य के रूप में मौजूद रहा फिर साल उन्हें 2009 में प्लाटून कमांडर की जिम्मेदारी सौंपी गई. साल 2012 में जनताना संगठन में अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया साल 2012 से 2024 तक अध्यक्ष के पद पर ही रहे.
बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हे कोई हथियार नहीं दिया गया था. माओवादी ने बताया की वो रोड खोदने, और गाड़ी जलाने जैसी तमाम घटनाओं में शामिल था.
कहां से मिलता है पैसा?
माओवादी ने बताया कि संगठन में मीटिंग के लिए बड़े लीडर चंदा इकट्ठा करते है और तेंदू पत्ते ठेकेदारों से भी पैसों की वसूली करते हैं.
संगठन में है कुल 9 शाखाएं
माओवादियों ने बताया कि जनताना संगठन में कुल 9 शाखाएं हैं. संगठन में न्याय शाखा, कृषि शाखा, आर्थिक शाखा, जंगल शाखा, जैसी अलग अलग शाखाएं मौजूद हैं. सारे शाखाओं में लोगों की अलग अलग जिम्मेदारियां हैं.
'डरे हुए हैं माओवादी'
छत्तीसगढ़ Tak की टीम से बात करते वक्त माओवादी ने बताया कि जिस प्रकार से सेना के कैंप जगह-जगह बन रहे हैं उन्हें ये डर सता रहा है कि वो मारे जाएंगे जिस वजह से माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं.
बता दें कि जनवरी 2024 से लेकर अब तक बीजापुर में कुल 180 नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया जबकि 76 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है.
बीजापुर से रंजन दास की रिपोर्ट
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