Bijapur Naxal Encounter: बीजापुर के पीड़िया जंगल में 10 मई, शुक्रवार को पुलिस और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर हुआ था, जिसमें 12 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया गया था.अब ग्रामीणों ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताया है. इस पूरे मामले में छ्त्तीसगढ़ Tak की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की और ग्रामीणों से बातचीत की. कथित नक्सलियों के परिजन रोते-बिलखते नजर आए. उन्होंने छत्तीसगढ़ Tak से बात करते हुए कहा कि जो लोग मारे गए हैं वो नक्सली नहीं है, गांव के सीधे-साधे लोग थे. हालांकि इस मामले में बीजापुर एसपी ने साफ कहा कि कोई फर्जी एनकाउंटर नहीं हुआ है.
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बता दें, शुक्रवार सुबह से शाम तक बीजापुर के पीड़िया जंगल में जवानों और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर चलता रहा. तीन जिलों के 1200 जवानों ने संयुक्त रुप से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और 12 नक्सलियों को मार गिराया. नक्सलियों के शव और मौके से हथियार भी बरामद किए गए.पुलिस का कहना था कि मारे गए नक्सलियों में कई इनामी नक्सली भी शामिल थे.इसे लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवानों को बधाई भी दी.
'तेंदुपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों का एनकाउंटर'
लेकिन अब कथित मारे गए नक्सलियों के परिजनों और स्थानीय लोगों ने इस पूरे एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है. घटनास्थल पर पहुंची छत्तीसगढ़ तक की टीम ने जब ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि कुछ लोग जंगल में तेंदुपत्ता तोड़ने गए थे. पुलिस ने इन आदिवासियों का पीछा किया और उन्हें गोली मार दी. निहत्थे आदिवासियों को जवानों ने चारों तरफ से घेरा और अंधाधून उनके ऊपर गोली बरसा दी.मारे गए लोग नक्सली नहीं बल्कि आदिवासी हैं. ग्रामीणों ने कहा कि मारे गए लोग नक्सली वेशभूषा में भी नहीं थे. उन्होंने ग्रामीणों की तरह ही कपड़े पहने हुए थे.
कई आदिवासी अब भी लापता!
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि एनकाउंटर के बाद कई ग्रामीण गायब हैं. वो जिंदा हैं या मारे गए है, इसे लेकर भी कोई जानकारी नहीं है.इस मुठभेड़ के बाद ग्रामीण काफी डरे सहमे हुए हैं. उन्होंने सरकार से शांति की अपील की है. आदिवासियों ने कहा कि वो कब तक ऐसे डर-डर के जीते रहेंगे. इन आरोपों के बीच कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि सुरक्षा बलों पर अनपेक्षित राजनीतिक दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि उनकी कार्रवाइयों पर सवाल उठने लगे.
भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री भू्पेश बघेल ने इस मुठभेड़ को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'नक्सली समस्या का हल ज़रूरी है और सुरक्षा बलों का हौसले बढ़ाना भी. लेकिन सुरक्षा बलों पर अनपेक्षित राजनीतिक दबाव ऐसा नहीं होना चाहिए कि उनकी कार्रवाइयों पर सवाल खड़े हों. सुरक्षा बलों को भी ध्यान में रहना चाहिए कि अंतत: उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति है. प्रदेश की भाजपा सरकार को भी आगाह करना ज़रूरी है कि वह नक्सलवाद को ख़त्म करने की आड़ में आदिवासियों को प्रताड़ित करने के अपने अतीत को न दोहराए.'
एसपी ने कहा- झूठ बोल रहे ग्रामीण
हालांकि इस मामले में छत्तीसगढ़ तक की टीम ने बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव से बातचीत की तो उन्होंने इस मुठभेड़ को सही करार दिया. एसपी ने बताया कि जो मारे गए हैं उनकी पहचान गिरफ्त में आए माओवादियों से कराई गई है. नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण झूठ बोल रहे हैं. नक्सली अपने संगठन में हुए नुकसान को उजागर नहीं करना चाहते हैं इसलिए ग्रामीणों की आड़ लेकर झूठा दावा किया जा रहा है. ये एनकाउंटर सही है.
बीजापुर से रंजन दास की रिपोर्ट
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