भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल का निधन, बेटे के कार्यकाल में गए थे जेल; जोगी सरकार ने किया था ये काम   

Nand Kumar Baghel passes away- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के पिता नंद कुमार बघेल का सोमवार सुबह रायपुर के एक अस्पताल…

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Nand Kumar Baghel passes away- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के पिता नंद कुमार बघेल का सोमवार सुबह रायपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 89 वर्ष के थे.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में भूपेश बघेल ने कहा, “बाबूजी श्री नंद कुमार बघेल जी का आज सुबह निधन हो गया. उनका पार्थिव शरीर पाटन सदन (रायपुर में) में रखा गया है. उनका अंतिम संस्कार 10 जनवरी को हमारे गृह ग्राम कुरुदडीह (दुर्ग जिला) में मेरी छोटी बहन के विदेश से लौटने के बाद होगा.” उन्होंने अपने पिता के साथ एक तस्वीर भी शेयर की.

 


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नंद कुमार बघेल के निधन पर दुख व्यक्त किया है. शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को एक शोक संदेश में, साय ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है.

क्यों चर्चा में थे नंद कुमार बघेल?

साल 2021 में नंद कुमार बघेल को उनके बेटे की सरकार के दौरान एक समुदाय के खिलाफ कथित तौर पर विवादास्पद टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.  वहीं 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद नंद कुमार बघेल की किताब ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसके बाद तत्कालीन अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था.

जोगी से लेकर बघेल तक के कार्यकाल में विवादों से रहा नाता

पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पिता अपने बयानों को लेकर हमेशा से विवादों में रहे है. नंद कुमार बघेल अक्सर सार्वजनिक तौर पर विवादित बयानों के चलते घिरे रहते थे. इसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. उनका पहला चर्चित विवाद साल 2001 में उनकी पुस्तक ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ को लेकर था. इस पुस्तक में वे तर्कों के साथ रावण को महान योद्धा भी बता चुके हैं, लेकिन इस पुस्तक को साल 2001 में तत्कालीन अजीत जोगी सरकार ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला मानते हुए प्रतिबंधित भी किया गया.

कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

इस पुस्तक को लेकर विवाद बढ़ने पर नंद कुमार बघेल इसके खिलाफ हाईकोर्ट भी चले गए थे, जहां हाईकोर्ट की फुल बेंच ने 17 साल बाद उनकी याचिका को खारिज कर दी और पुस्तक पर बैन बरकरार रखा. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में बीते कुछ सालों में नंद कुमार बघेल गांवों में रावण वध के खिलाफ अभियान भी चलाते नजर आए. गांव-गांव का दौरा कर आदिवासी समुदाय से अपील करते रहे कि वे दशहरे को रावण के पुतले का दहन ना करें.

बेटे के सीएम बनने के बाद भी नहीं बदले तेवर

साल 2018 में बेटे भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद कई मौकों पर उन्होंने ब्राह्मण विधायक, मंत्री यहां तक कि उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता तक की सार्वजनिक रुप से यह कहते हुए आलोचना की थी कि इनके कारण राज्य के पिछड़े वर्ग को न्याय नहीं मिल रहा है. यहीं नहीं नंद कुमार बघेल ने एक बार सार्वजनिक मंच पर बस्तर के इलाक़े में सारे सवर्ण अफ़सरों को बर्ख़ास्त करने की मांग कर दिए थे.

2019 में उन्होंने दशहरा के कार्यक्रम में रावण को महान योद्धा, पुरखा बताकर विजयादशमी को शोक दिवस का नाम दिया था, इसे लेकर उस दौरान काफी विवाद भी हुआ था. उनका तर्क रहा है कि महान योद्धाओं का वध ब्राह्मण समाज बहुजन मूल संस्कृति को अपमानित करने के लिए ही किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार में ही 2021 में 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. उन पर ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान देने का आरोप था, इसके बाद तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है.

कई सामाजिक आंदोलन से जुड़े रहे बघेल

नंद कुमार बघेल ने जेपी आंदोलन में भी भाग लिया, वे कई सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़े रहे. 1984 में उन्होंने जनता पार्टी से दुर्ग लोकसभा से चुनाव भी लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था .बसपा और जनता दल से जुड़े रहे नंदकुमार बघेल की पहचान, पिछड़े वर्ग के कट्टर समर्थक और ब्राह्मणवाद के कट्टर विरोधी नेता के तौर पर रही है. एक आयोजन में उन्होंने कहा था, “ईश्वरवाद झूठ है, ईश्वर की आड़ में इस देश में एक पाखंड चलता रहा है, जिसमें ब्राह्मण अपना हित साधते रहते हैं. हमें तो बुद्ध की तरह अपने विवेक पर भरोसा करना पड़ेगा.”

जब भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी बघेल का निधन हुआ तब भी पिता पुत्र की धार्मिक मान्यता में मतभेद देखने को मिला था. भूपेश बघेल के पूरे परिवार ने जहां सनातन धर्म के रीति-रिवाज से 10 दिनों तक श्राद्ध कार्यक्रम किया, जिसमें पिंडदान से लेकर गंगा में अस्थियां विसर्जन तक सारे रीति रिवाज सनातन धर्म के मान्याता मुताबिक किए गए, लेकिन नंदकुमार बघेल अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार बौद्ध भिक्षुओं के साथ राजिम में करते देखे गए थे.

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