Balodabazar Case: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने गुरुवार को दावा किया कि पिछले महीने छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार शहर में हुई आगजनी की घटना के सिलसिले में सतनामी समुदाय के लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने इस हिंसा की सीबीआई जांच की मांग की.
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आजाद ने इस संबंध में गुरुवार को यहां राजभवन में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को ज्ञापन सौंपा.
10 जून को, बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के मुख्यालय बलौदाबाजार शहर में भीड़ ने एक सरकारी इमारत, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के आवास कार्यालयों और दोपहिया और चार पहिया वाहनों सहित 150 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया. यह घटना इस साल मई में एक धार्मिक ढांचे में कथित तोड़फोड़ के खिलाफ सतनामी समुदाय द्वारा आहूत विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी.
आजाद आज सुबह रायपुर पहुंचे और राजभवन में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर घटना का संज्ञान लेने और इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आग्रह किया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि मामले में निर्दोष लोगों को फंसाया गया और गिरफ्तार किया गया तथा उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग की.
आजाद ने क्या कहा?
राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए आजाद ने बलौदाबाजार में आगजनी की घटना को निंदनीय बताया और इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की, लेकिन निर्दोष लोगों के खिलाफ नहीं. उन्होंने दावा किया, "घटना की न्यायिक जांच के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं और पैनल ने जांच के लिए तीन महीने का समय मांगा है. लेकिन सतनामी समुदाय के लोगों के खिलाफ चुनिंदा तरीके से कार्रवाई की जा रही है, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, प्रताड़ित किया जा रहा है और परेशान किया जा रहा है."
यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, आजाद की चेतावनी
उन्होंने कहा कि बाबा गुरु घासीदास ने 'मनखे मनखे एक समान' और अहिंसा का संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि सरकार, प्रशासन और पुलिस सतनामी समुदाय को हिंसक बताने में लगी हुई है. उन्होंने कहा, "अगर जांच के नाम पर भीम आर्मी, सतनामी समुदाय और अन्य संगठनों के सदस्यों को परेशान किया जाता है, तो हम दिल्ली में इस मुद्दे को उठाएंगे और गृह मंत्री का घेराव करेंगे."
उन्होंने कहा, "मैंने राज्यपाल से समाज के कमजोर वर्गों को सुरक्षा देने का अनुरोध किया है." उन्होंने मांग की कि आगजनी की घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीशों की निगरानी में सीबीआई से कराई जानी चाहिए.
क्या है मामला?
15 और 16 मई की रात को बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के गिरौदपुरी धाम में पवित्र अमर गुफा के पास अज्ञात लोगों ने सतनामी समुदाय के पूजे जाने वाले पवित्र प्रतीक 'जैतखाम' या 'विजय स्तंभ' को तोड़ दिया. घटना के सिलसिले में पुलिस ने बाद में तीन लोगों को गिरफ्तार किया.
घटना के विरोध में समुदाय ने 10 जून को दशहरा मैदान बलौदाबाजार में प्रदर्शन और कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का आह्वान किया. जब प्रदर्शन में आगजनी और पथराव हुआ, तो जिला प्रशासन ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू कर दी, जिसके तहत बलौदाबाजार शहर में चार या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी गई.
बता दें कि मध्यकालीन युग के समाज सुधारक बाबा गुरु घासीदास के स्थापित प्रभावशाली सतनामी समुदाय छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े अनुसूचित जाति समूह का प्रतिनिधित्व करता है.
हिंसा मामले में 153 लोग हो चुके हैं गिरफ्तार
पुलिस के अनुसार, आगजनी के सिलसिले में अब तक 153 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें भीम आर्मी नामक संगठन से जुड़े कुछ लोग भी शामिल हैं.
आगजनी की घटना के बाद राज्य सरकार ने बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर केएल चौहान और पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार को स्थानांतरित कर दिया था और जिले में सतनामी समुदाय के 'जैतखाम' को नुकसान पहुंचाने के बाद उचित कार्रवाई नहीं करने के आरोप में दोनों को निलंबित कर दिया था.
मामले में खूब हुई राजनीति
राज्य के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के मंत्री दयालदास बघेल और राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने पहले कांग्रेस नेताओं पर 10 जून को विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था. उनके आरोपों का खंडन करते हुए कांग्रेस ने दावा किया कि मंत्रियों ने सरकार की विफलता और अक्षमता को छिपाने के लिए कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ निराधार आरोप लगाए. कांग्रेस ने यह भी दावा किया था कि बलौदाबाजार में 10 जून के विरोध प्रदर्शन के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने प्रदर्शनकारियों के लिए व्यवस्था की थी.
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